- ईव टीजिंग के मुद्दे पर आई नेक्स्ट ऑफिस में हुआ पैनल डिस्कसन

- डिस्कसन के दौरान ईव टीजिंग को रोकने पर गेस्ट ने दिए कई सुझाव

DEHRADUN : ईव टीजिंग पर अंकुश लगाने के लिए सोच बदलनी जरूरी है। सोच बदलेगी तो समाज बदलेगा और लोगों का महिलाओं के प्रति नजरिया बदल जाएगा। नतीजा ईव टीजिंग खत्म हो जाएगी और महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करती नजर आएंगी। यह बात आई नेक्स्ट की स्पेशल कैंपेन 'इज्जत करो' के तहत हुए पैनल डिस्कसन में सामने आई।

दो घंटे हुई परिचर्चा

दरअसल, नवरात्र के दौरान आई नेक्स्ट ने यह बताने का प्रयास किया कि शहर में कहां मनचले देवी स्वरूप नारियों को शर्मसार कर देते हैं, जिसके बाद हरकत में आई पुलिस ने फ्राइडे को उन स्थानों पर औचक छापेमारी की जहां मनचले मौजूद रहते थे। इसी बीच आई नेक्स्ट ने इस मुद्दे पर पटेल नगर स्थित अपने कार्यालय पर पैनल डिस्कसन का आयोजन किया। जिसमें पुलिस अधिकारी समेत समाज सेवी व स्टूडेंट लीडर के अलावा सिटी बस यूनियन के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। दोपहर करीब तीन बजे से दो घंटे तक चले पैनल डिस्कसन के दौरान ईव टीजिंग को लेकर कई बाते सामने आई।

निडर होकर विरोध करें ग‌र्ल्स

परिचर्चा के दौरान वूमन प्रोटेक्शन सेल इंचार्ज ज्योति नेगी ने ईव टीजिंग को नजर अंदाज न करने की हिदायत ग‌र्ल्स को दी, वहीं महिला हेल्पलाइन की प्रभारी इंचार्ज रेखा दानू ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ईव टीजिंग के खिलाफ ग‌र्ल्स को ही आगे आना पड़ेगा। जब तक वे आगे आकर शिकायत नहीं करती हैं, तब तक पुलिस भी कुछ नहीं कर सकती। क्योंकि पुलिस सेकेंड रिस्पॉन्डर है। बात के दौरान हुए यह मुद्दा भी उछल पड़ा कि आखिर ग‌र्ल्स शिकायत करने से डर क्यों रही हैं? जिसके पीछे की वजह उसकी सामाजिक मर्यादा व लोक लाज का भय होना सामने आया।

परिजन भी बदलें नजरिया

ईव टीजिंग को रोकने के लिए समाज सेवी व महिला सामख्या की अध्यक्षा गीता गैरोला ने सोच बदलने की बात पर बल दिया। कहा कि मनचलों का विरोध ग‌र्ल्स उस विचारधारा के कारण नहीं कर पाती जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, लेकिन अब सोच बदल रही है और इसे और बदलने की जरूरत है। परिजनों को बेटा और बेटी का भेद भुलाकर दोनों को एक नजर से देखना होगा। इसमें एजुकेशन भी अहम रोल अदा कर सकती है। बात को काटते हुए सिटी बस यूनियन के संरक्षक विजय वर्धन डंडरियाल ने छेड़छाड़ को ह्यूमन टेंडेंसी करार देते हुए इस पर अंकुश लगाने के लिए को-एजुकेशन सिस्टम को बढ़ावा देने की बात कही।

कॉलेज में आई कार्ड सिस्टम हो लागू

परिचर्चा में एसजीआरआर पीजी कॉलेज की सेकेट्री सुचित्रा रावत ने ईव टीजिंग पर अपनी आप बीती सुनाते हैं पुलिस पर भी सवाल खड़े कर दिए। आरोप लगाया कि पुलिस सूचना के बाद भी मदद के लिए मौके पर नहीं पहुंचती। स्टूडेंट लीडर शैल डंगवाल ने ईव टीजिंग पर बात करते हुए बताया कि हेल्थ फ्लर्टिग तक सब ठीक है, लेकिन इससे आगे बढ़ना अपराध है। उन्होंने ईव टीजिंग के कारण नशे को करार दिया, जबकि एबीवीपी के छात्र नेता अंकित सुंदरियाल ने कॉलेज कैंपस के अंदर हो रही ईव टीजिंग का कारण उन लोगों को बताया जो बाहर से कॉलेज में आते हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए उन्होंने कॉलेज में आई कार्ड सिस्टम लागू किए जाने की बात कही।

------------

यह निकला निष्कर्ष

पेरेंट्स को जरूर बताएं

:- घर से बाहर निकलते ही कोई भद्दे कमेंट करे तो सावधान रहें

:- बाहर होने वाले हर उस घटना के बारे में परिजन को बताए जो आपको बुरी लगे

:- घर के बाहर कोई बार बार भद्दी टिप्पणी कर रहा हो तो उसका विरोध करें

- अपने विरोध के तरीके के बारे में परिजनों को जरूर बताएं

- फिर भी समस्या न सुलझे तो पैरेंट्स के सहयोग से पुलिस में शिकायत करें

- निडर होकर पुलिस से अपनी बात कहें और इसमें पैरेंट्स भी पीडि़ता की हेल्प करे

--------

पेरेंट्स रखें ध्यान

- लड़कियों के प्रति अपनी मानसिकता बदलें

:- छेड़छाड़ को नजरअंदाज न करें

- आरोपी को सबक सिखाने के लिए पुलिस को शिकायत दें

- यह कतई न सोचे कि इससे उनकी बदनामी होगी

- छेड़छाड़ से अपने बच्ची का मनोबल न गिरने दें

:- सोच बदलें और इसके खिलाफ आवाज बुलंद करें

-------

लड़कों को करें गाइड

:- लड़कों को छेड़छाड़ न जैसी घटना न करने की नसीहत दें

:- उसे इस बात का अहसास कराएं कि ईव टीजिंग क्राइम है

:- रिश्तों की अहमियत बताते हुए उसे अन्य लड़कियों पर भी लागू करें

- लड़के को यह बताने का प्रयास करें कि अन्य लड़कियां भी इस रिश्ते का हिस्सा हैं

--------

पब्लिक भी बदले नजरिया

- मनचले की हरकतों पर नजर रखें

- कोई संदिग्ध दिखाई दे तो सूचना पुलिस को दें

- छेड़छाड़ होने पर विरोध करें

- पीडि़ता की मदद को आगे आएं और उसकी हेल्प करें

- जागरूक होकर आरोपी को मौके पर ही दबोचे और सूचना पुलिस को दें

- आरोपी को पकड़ने तक सीमित रहें मारपीट कर कानून हाथ में न लें

- मौके पर पुलिस के पहुंचते ही आरोपी को पुलिस को सौंप दें

------------

महिला थाने की उठी बात

परिचर्चा के दौरान राजधानी महिला थाना खोले जाने की बात भी सामने आई। अभी तक स्टेट में दो मात्र दो महिला थाना चल रहे हैं। जिसमें एक श्रीनगर व दूसरा अल्मोड़ा है, जबकि दोनों स्थानों पर महिला अपराध का ग्राफ काफी कम है, जबकि राजधानी समेत हरिद्वार व हल्द्वानी में महिला अपराध के मामले अधिक होना बताया गया। जिस कारण राजधानी में महिला थाना खोले जाने की बात प्रमुखता से उठी।

-------

एक्सपर्ट ने रखे अपने विचार

ईव टीजिंग को रोकने के लिए पुरुष की मानसिकता बदलने की जरूरत है। यह तभी संभव हो सकता है जब पेरेंट्स बचपन से ही लड़कों को ऐसे संस्कार दें कि बड़े होकर उसका नजरिया महिलाओं के प्रति अच्छा रहे।

गीता गैरोला, अध्यक्षा, महिला समाख्या

महिलाएं ईव टीजिंग को नजरअंदाज न करें। बाद में इसके घातक परिणाम सामने आ सकते हैं। पुलिस आपके सहयोग के लिए है। पुलिस से डरें नहीं बिल्कुल नहीं।

-ज्योति नेगी, इंचार्ज, वूमन प्रोटेक्शन सेल

कई बार यह देखने में आता है कि लड़कियां छेड़छाड़ की सूचना पुलिस को देती हैं और बाद में खुद ही पीछे हट जाती हैं। इसके पीछे वह पेरेंट्स व अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराती हैं। पेरेंट्स को यह बात समझनी होगी।

-रेखा दानू, प्रभारी इंचार्ज, महिला हेल्पलाइन

आई नेक्स्ट की यह पहल सराहनीय है, पूर्व में भी आई नेक्स्ट इस तरह की पहल करते आया है, जो कि जागरुकता के लिए बेहद जरूरी है। जब लोग जागरुक होंगे तभी ईव टीजिंग पूरी तरह समाप्त हो पाएगी।

- सुचित्रा रावत, अध्यक्षा, एसजीआरआर पीजी कॉलेज

ईव टीजिंग का कारण नशा है। जब तक नशा समाप्त नहीं किया जाता तब तक ईव टीजिंग समाप्त नहीं की जा सकती है। पुलिस को नशे के खिलाफ भी अभियान चलाना चाहिए। ताकि युवा पीढ़ी को इससे बचाया जा सके।

- शैल डंगवाल, छात्र नेता

कॉलेज परिसर में ईव टीजिंग पर अंकुश लगाने के लिए कॉलेज प्रशासन द्वारा आई कार्ड सिस्टम लागू किया जाना चाहिए। उन्हीं छात्रों को कॉलेज के अंदर घुसने दिया जाना चाहिए जो कार्ड धारक हो। अभी तक कोई भी कॉलेज में आता जाता रहता है। ऐसे ही लोग ईव टीजिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं।

- अंकित सुंदरियाल, छात्र नेता, एबीवीपी

ईव टीजिंग ह्यूमन टेंडेंसी है। इसे तभी समाप्त किया जा सकता है जब को एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाए। ऐसा करने से ब्वॉयज को ग‌र्ल्स के साथ ईव टीजिंग करने का विचार ही नहीं आएगा।

- विजय वर्धन डंडरियाल, संरक्षक, सिटी बस यूनियन