ट्रिपिकल काम
पहले के दौर में भी घड़ी पहनने का नहीं उसे जेब में रखने का चलन ज्यादा था लेकिन जब धीरे-धीरे घड़ियों की डिजाइन में बदलाव हुए तो रखने में दिक्कत होने लगी। वे जेब में रखने से टूटने लगी। जिससे धीरे-धीरे इन्हें पहनने का रिवाज शुरू हो गया। इस दौरान पट्टे वाली घड़ियों से शुरुआत हुई। जिसमें घड़ी को एक उल्टे हाथ से सीधे हाथ में बांधना भी एक बड़ा ट्रिपिकल काम होता था।
पहनने में आसानी
ऐसे में लोगों ने इस बात का हल निकाला और घड़ी को बाएं हाथ में पहनने लगे। जिसे ठीक तरीके से पहनने में दाएं हाथ से पूरी मदद मिल जाती है। यानी कि घड़ी की कील जिस छेद में फंसानी होती थी उसमें भी आसानी से फंसा लेते हैं।इस काम के लिए दूसरे की मदद भी नहीं लेनी पड़ती है। इसके अलावा इसके पीछे एक कारण और भी है।
चेन वाली घड़ी
कुछ लोगों को छोड़ दें तो अधिकांश लोग सारे काम दाहिने हाथ से करते हैं। ऐसे में जब लोग दाएं हाथ में घड़ी पहनते थे तो उसमें समय देखने में परेशानी होती थी। इसलिए भी लोग दाहिने हाथ में घड़ी पहनना ज्यादा पसंद करते हैं। हालांकि आज के जमाने में तो चेन वाली और कई डिजिटल घड़ियां भी बाजार में आ चुकी हैं, लेकिन रिवाज और सहूलियत के हिसाब से लोग आज भी घड़ियों को उल्टे हाथ में ही पहनते हैं।Interesting News inextlive from Interesting News Desk
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