क्रम में ही लिखा

आपने देखा होगा कि कीबोर्ड पर अक्षर A के बाद B नहीं बल्कि S,D,F लिखे होते हैं। जब कि सामान्यत: अक्षरों की सीरीज में A के बाद B,C,D आता है। इसके पीछे यह नहीं कि कीबोर्ड बनाने वालों को अक्षर नहीं मालूम थे बल्कि टाइपराइटर से जुड़ी एक रीजनिंग छुपी है। 1868 में लैथम शोल्स ने पहला टाइपराइटर बनाया था। इस टाइपराइट में उन्होंने वर्णमाला के अक्षरों को क्रम में ही लिखा था। हालांकि इसे बनाने के कुछ दिन बाद उन्हें पता चला कि क्रम को सीधा रखने से बटन जाम हो रहे हैं।

अगर आप भी सोचते हैं कि कीबोर्ड के बटन एक सीरीज में क्‍यों नहीं होते,तो यहां पढ़ें वजह

अक्षरों का चयन

इसके अलावा एक सीरीज में होने से बटनों को प्रेस यानी कि दबाने में भी परेशानी आ रही थी। इतना ही नही अक्षरों के पास-पास होने और बार-बार उपयोग की वजह से उनकी पिन आपस में उलझ जाती थीं। जिससे टाइपिंग बिल्कुल सही नहीं हो पाती थी। काफी गलतियां होती थीं। हालांकि इसके बाद 1873 में शोल्स ने एक नए तरीके से बटनों को टाइपराइटर में लगाया। इसमें उन्होंने सबसे पहले ज्यादा प्रयोग होने वाले अक्षरों का चयन किया। इसके बाद उन्हें उंगलियों की पहुंच के हिसाब से क्रम में लगाया।

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कीबोर्ड बाजार में

इसमें उन्होंने  E और I को पहली लाइन में और Z और X को नीचे वाली लाइन में सबसे कोने में सेट किया। जिससे अक्षरों वाली पहली लाइन Q,W,E,R,T,Y को क्वेर्टी नाम दिया। हालांकि बाद में यह मॉडल  शोल्स से ‘रेमिंग्टन एंड संस’ ने खरीदा तो इसे इसी नाम से जाना जाने लगा। इसके बाद 1874 में रेमिंग्टन ने कई और कीबोर्ड भी बाजार में उतारे। इसके बाद टाइपराइटर के बाद जब कंप्यूटर चलन में आए तो उनमें भी उंगलियों की सहूलियत और अक्षरों के इस क्रम को अपनाने का प्रयास हुआ है।

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