BAREILLY

टफ लाइफ स्टाइल में वर्क प्रेशर के कारण नींद पूरी न होना और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से लोगों में ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ रहा है। ब्रेन स्ट्रोक में शुरुआती चार घंटे में यदि पेशेंट को एक खास इंजेक्शन लगाया जाए। तो उसकी जान बचाई जा सकती है। यह जानकारी व‌र्ल्ड स्ट्रोक डे पर संडे को शहर के मेडिसिटी हॉस्पिटल में आयोजित वर्कशॉप में चिकित्सकों ने दी।

 

लक्षण दिखने पर न करें अनदेखी

आज के भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग दिन रात काम में लगे रहते हैं पर अपनी फिटनेस पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में बॉडी में कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, वर्क प्रेशर के कारण नींद न आना, थकावट रहना और अचनाक से किसी अंग का काम बंद कर देना ये सभी ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण हैं। यदि ये लक्षण किसी व्यक्ति में दिखाई देते हैं तो इन्हें इग्नोर न करें और तुरंत ही न्यूरो फिजीशियन से संपर्क करें।

 

शुरू के चार घंटे अहम

ब्रेन स्ट्रोक का मेजर अटैक होने पर मरीज को बिना कोई देरी किए तुरंत ही न्यूरो फिजीशियन से चेकअप कराकर सीटी स्कैन कराना चाहिए। सीटी स्कैन की रिपोर्ट को देखने के बाद न्यूरो फिजीशियन एक खास तरह का इंजेक्शन पेशेंट को देता है। जो ब्रेन स्ट्रोक के मरीज के लिए जीवन दान से कम नहीं है। ये खास इंजेक्शन मरीज को अटैक होने के बाद शुरुआती चार घंटों में दिया जाना जरूरी होता है, जिससे मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है यदि इंजेक्शन लगाने के दौरान पेशेंट मामूली ब्लीडिंग होती है तो कोई प्रॉब्लम नहीं है। यदि इंजेक्शन लगाने के दौरान ब्लीडिंग ज्यादा होती है तो पेशेंट को बचाना मुश्किल हो जाता है।

 

जागरुकता से बची जान

डिस्ट्रिक्ट में ब्रेन स्ट्रोक के कई मरीज ऐसे हैं जिनके परिवार वालों की जागरुकता की वजह से जान बचाई गई है। शहर के सुभाषनगर के रहने वाले अजय सक्सेना आईसीआईसीआई बैंक में काम करते हैं। इसी वर्ष जुलाई में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ। उनके भाई ने बिना देरी किए उन्हें भर्ती कराकर जांच कराई। जिसमें उन्हें ब्रेन स्ट्रोक होने की पुष्टि हुई। डॉक्टर ने तुरंत ही उन्हें इंजेक्शन लगाया जिसकी वजह संजय की जान बच सकी। इसी तरह संजय प्रकाश को ब्रेन स्ट्रोक की प्रॉब्लम थी। इन्हें भी समय से इलाज मिलने पर जान को बचाया गया।