- कैडेवरिक पेल्वी-एसीटाबुलर फ्रैक्चर फिक्सेशन वर्कशॉप में डॉक्टर्स को दी ट्रेनिंग

LUCKNOW:

लखनऊ आर्थोपेडिक क्लब और यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से शनिवार को 'कैडेवरिक पेल्वी-एसीटाबुलर फ्रैक्चर फिक्सेशन वर्कशॉप' में शनिवार को 80 से अधिक डॉक्टर्स को ट्रेनिंग दी गई। चंडीगढ़ से आए डॉ। रमेश सेन और एम्स नई दिल्ली के डॉ। विवेक ने डॉक्टर्स को कैडेवर पर लाइव सर्जरी कर ट्रेनिंग दी।

पहले छह घंटे महत्वपूर्ण

वर्कशॉप के आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। हरीश मक्कड़ ने बताया कि एक्सीडेंट में पेल्विस रीजन में फ्रैक्चर बहुत खतरनाक होते हैं। ऐसे में आधे मरीज अस्पताल तक ही नहीं पहुंच पाते हैं। इसलिए एक्सीडेंट के दौरान कमर में चोट लगने पर सावधानी से मरीज को अस्पताल ले जाएं। अगर इस हिस्से से ब्लीडिंग हो रही हो तो किसी साफ कपड़े से बांध दे ताकि ब्लीडिंग रुक जाए। कार्यक्रम के को-आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। संतोष सिंह ने बताया कि मरीज के लिए पांच से छह घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। मरीज के अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले उसका बीपी, पल्स को मैनेज करना जरूरी है। सर्जरी तीन चार दिन बाद भी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि कांफ्रेंस में डॉक्टर्स को कैडेवर्स पर सर्जरी की अपाच्र्युनिटी दी गई। उन्होंने कहा कि कई बार बाहर से चोट का पता नहीं चल पाता लेकिन अंदर ब्लीडिंग होती है। मरीज खड़ा नहीं हो पाता और दर्द होता है। जिसका तुरंत मैनेजमेंट जरूरी है ओर ब्लीडिंग रोकनी जरूरी है। ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत हायर सेंटर पर ले जाएं क्योंकि उसे स्पेशलाइज सर्जरी की आवश्यक्ता होती है।