RANCHI : नक्सली हथियार छोड़कर मुख्य धारा में लौट आएं, इसके लिए झारखंड पुलिस एक नया प्रयोग करने जा रही है। पुलिस हेडक्वार्टर ने पलामू में माओवादी कमांडर अजय यादव की बेटी नेहा को पोस्टर गर्ल बनाने का फैसला किया है। महुदंड स्कूल में पढ़ने वाली नेहा द्वारा माओवादियों के संदर्भ में लिखे गए लेखों को पोस्टर के जरिए विभिन्न इलाकों में चिपकाया जाएगा। इसके जरिए माओवादियों से गुजारिश की जाएगी कि वे हथियार सौंप कर मुख्य धारा में लौट आएं, ताकि विकास की गति तेज की जा सके।

विकास को मिलेगी रफ्तार

डीजीपी डीके पांडेय ने कहा की अब लोगों को यह समझ जाना चाहिए कि नक्सलियों की वजह से ही उनके इलाके में विकास का काम बाधित हो रहा है। उन्होंने बताया कि जिस माओवादी कमांडर की बेटी नेहा को पुलिस ने पोस्टर गर्ल बनाने का निर्णय लिया है, वह खुद इसकी पीडि़ता रह चुकी हैे। उसने काफी नजदीक से नक्सली गतिविधियों के पड़ने वाले दुष्परिणामों को झेला है। ऐसे में उसके द्वारा माओवादियों के संदर्भ में लिखे लेख को पोस्टर बनाकर पुलिस नक्सलियों को सरेंडर कराने के लिए अभियान चलाएगी।

गंभीरता से सोचे नक्सली

अपर पुलिस महानिदेशक और राज्य पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आर के मल्लिक ने कहा की नक्सली परिवारों को इसे बहुत गंभीरता से सोचना चाहिए की यह भावना वैसे नक्सली की बेटी की है जिसका पिता अब इस दुनिया में नहीं है। निश्चित रूप से उसके लिखे लेख को लोगों खासकर नक्सलियों के बीच ले जाकर उन्हें इससे अवगत कराएंगे, ताकि वे वापस मुख्यधारा में लौट सकें।

क्यों नेहा चुनी गई पोस्टर गर्ल

पिछले दिन पलामू पुलिस की ओर से 'तारे जमीन पे' अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में एस्से कॉम्पटीशन का आयोजन किया गया था। एस्से कॉम्पटीशन का सब्जेक्ट था- क्या है नक्सलवाद और समाज पर इसका क्या पड़ रहा दुष्प्रभाव। इस कॉम्पटीशन में ज्यादातर वैसे बच्चों ने पार्टिसिपेट किया था, जिसके परिजन माओवादी हैं। इसमें माओवादी कमांडर अजय यादव की बेटी नेहा को पहला पुरस्कार मिला था। नेहा ने अपने लेख में उसने नक्सलियों के संगठन और उद्देश्य पर सवाल खड़े किए। नेहा ने अपने लेख में लिखा था की माओवादी विकास विरोधी होते हैं। उसके इसी विचारों से प्रेरित होकर ही झारखंड पुलिस ने नेहा को पोस्टर गर्ल बनाया है।