गुर्दे को प्रभावित कर सकती है diabetes

सैकड़ों मरीजों की गई जांच, सतर्क रहने के doctors ने दी advice

Diabetes management और जटिलताओं पर हुई चर्चा

ALLAHABAD: भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस रोग को सटीक इलाज और प्रबंधन के जरिए ही दूर किया जा सकता है। रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक होने से गुर्दा, मूत्राशय और मूत्र नलिका प्रभावित हो सकती है। इससे यूटीआई में संक्रमण की संभावना भी बनी रहती है। अगर रोगी अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें तो गुर्दा रोग से बचा जा सकता है। एमएलएन मेडिकल कॉलेज के यूरोलाजिस्ट प्रो। दिलीप चौरसिया ने यह बात कही। वह शनिवार को कॉलेज के प्रीतमदास आडिटोरियम में डायबिटीज एजूकेशन फाउंडेशन एवं इलाहाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित शिविर में बोल रहे थे। उन्होंने डायबिटीज रोगियों को किडनी संबंधी रोगों से बचने की सलाह दी।

आंखों के पर्दे पर भी असर संभव

प्रो। चौरसिया ने कहा कि समय-समय पर अपनी शुगर लेवल की जांच कराते रहना चाहिए। इससे संभावित खतरों से बचा जा सकता है। डॉ। सरिता बजाज ने मधुमेह प्रबंधन और जटिलताओं की विस्तार से जानकारी दी। कहा कि प्यास अधिक लगना, पसीना अधिक आना, वजन घटना मधुमेह का लक्षण है। डॉ। कमलजीत सिंह ने कहा कि डायबिटीज दस साल पुराना होने पर आंख का पर्दा प्रभावित होने लगता है। डॉ। कमलेश सोनकर ने बताया कि मधुमेह की वजह से पक्षाघात की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। शिविर में सैकड़ों मरीजों का रक्त शर्करा, रक्तचाप, वजन आदि का निश्शुल्क परीक्षण हुआ। साथ ही विशेषज्ञों ने लोगों के सवालों का जवाब भी दिया।

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सतर्कता ही बचाव

इसके पहले जस्टिस अरुण टंडन ने कार्यक्रम का उदघाटन किया। बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि बाल्यकाल से नियमित व्यायाम एवं संतुलित आहार लेने के बावजूद आप मधुमेह से पीडि़त हो सकते हैं। ऐसी स्थिति न आए उसके लिए चिकित्सक से नियमित परीक्षण करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वयं की सतर्कता ही मधुमेह से कारगर बचाव है। कार्यक्रम में प्रो। केके भूटानी ने स्वागत व संचालन डॉ। शांति चौधरी ने किया। कार्यक्रम में डॉ। साद उस्मानी, डॉ। करुणाकर द्विवेदी, डॉ। वत्सला मिश्रा, डॉ। आरके यादव, डॉ। सूफिया, एसपी गुप्त, विभव बाजपेई, डॉ। एनसी द्विवेदी, रवि प्रकाश आदि मौजूद रहे।