- शौचालयों का ऑनलाइन डाटा फीड नहीं होने का मामला तूल पकड़ा

- डीएम ने डीपीआरओ पूछा डाटा फीडिंग को लेकर खामोशी की वजह

BAREILLY:

डिस्ट्रिक्ट में बनाए गए 23 हजार शौचालयों का डाटा ऑनलाइन फीड न किए जाने का मामला केंद्र सरकार के दखल देने के बाद तूल पकड़ लिया है। इसमें डीपीआरओ पर भी गाज गिर सकती है। फिलहाल, डीएम ने डीपीआरओ को जवाब-तलब कर दो साल तक खामोश रहने की वजह पूछा है। वहीं, जान बचाने के लिए डीपीआरओ भी एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्होंने अपने समेत 418 ग्राम विकास अधिकारियों का वेतन रोकने का निर्देश जारी कर दिये हैं।

करोड़ों के गोलमाल की संभावना

विभाग के डाटा के मुताबिक दो साल में लगभग 23 हजार शौचालय का निर्माण हुआ, जिसके लिए 36 करोड़ से अधिक रकम जारी हुई। पर काम धरातल पर नहीं दिख रहा है। संबंधित मामले पर वेडनसडे को सीडीओ शिव सहाय अवस्थी ने पंचायती राज विभाग में छुट्टी के दिन बैठक बुलाई। डाटा फीडिंग न करने के आरोप में रामनगर ब्लॉक के गांव मुतलपुर, गुलेली, आलमपुर जाफराबाद का गांव चंदौआ, भुता का भगवंतपुर, मझगवां का सत्तार नगर, उरला के पूर्व व वर्तमान प्रधानों के अलावा सचिवों पर एफआईआर के निर्देश दिए हैं।

तेजी से कर रहे फीडिंग

अब तक प्रदेश में सपा की सरकार रही तो अफसरों को आसानी रही लेकिन भाजपा ने हिसाब मांगना शुरू कर दिया। अब शौचालय निर्माण की हकीकत सामने आई तो कर्मचारियों की छुट्टी शाम 5 बजे की बजाय रात 10 बजे तय कर दिया है। इस दौरान शौचालयों की फीडिंग की जा रहीे है। बता दें कि शौचालयों का फोटो ऑनलाइन डालने पर ही केंद्र सरकार मानेगी कि गांवों में निर्माण हुआ है। अब तक 60 परसेंट गांव में बने शौचालयों के फोटो ऑनलाइन नहीं हुए।

शौचालयों का निर्माण गांवों में हुआ है। कुछ जगह अधूरे हैं जो पूरे करवाए जा रहे हैं। लापरवाही में प्रधान व सचिवों पर रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है।

वीके सिंह, डीपीआरओ