ALLAHABAD: बीएचयू वाराणसी से आए डॉ। मधुकर राय ने कहा कि डायबिटीज प्रबंधन के क्षेत्र में इतना विकास होने के बावजूद मरीजों की मौत हो रही है जो चिंता का विषय है। इस रोग में गुर्दे प्रभावित होत हैं। डॉक्टरों को सोच समझ के दवा देनी चाहिए क्योंकि हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं। मरीजों को जननांगों की सफाई पर विशेष ध्यान देते हुए यूटीआई से बचना चाहिए। इसके पहले स्वर्ण संगम का उदघाटन जस्टिस आरके अग्रवाल ने किया। उन्होंने डॉ। सरिता बजाज और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से चिकित्सा क्षेत्र की नवीनतम जानकारी मिलती रहती है। इस मौके पर प्रिंसिपल प्रो। एसपी सिंह समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

लाभदायक होती है इंसुलिन

होटल कान्हा श्याम में शाम पांच बजे से प्री कन्फेडरेशन सिम्पोजियम में डायबिटीज की दवाओं से होने वाली फायदे और नुकसान पर चर्चा की गई। अहमदाबाद से डॉ। वंशी बाबू ने कहा कि हर प्रकार की इंसुलिन फायदेमंद होती है। इससे वजन नही बढ़ता। कम उम्र में होने वाली टाइप टू डायबिटीज में इंसुलिन देना उचित नही होता। इस मौके पर बांग्लादेश से आए डॉ। फारुख पठान, तंजानिया के डॉ। सिलवर बहेन्डेकर, नेपाल से आए डॉ। राबिन मस्की, श्रीलंका की डॉ। उदिथा, डॉ। एसके सिंह आदि ने अपनी बात रखी। उनका कहना था कि गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की पहचान और प्रबंधन आवश्यका है। इससे शिशुा प्रभावित होता है। कार्यक्रम का संचालन शोध अधिकारी डॉ। शांति चौधरी ने किया। कार्यक्रम में डॉ। मनीषा द्विवेदी, डॉ। एसपी मिश्रा, डॉ। आलोक मिश्रा, डॉ। रोहित गुप्ता, डॉ। विधु गुप्ता, डॉ। अरविंद गुप्ता, डॉ। मनोज माथुर, डॉ। आभा श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे। संयोजन सचिव डॉ। सरिता बजाज ने आभार व्यक्त किया।