-डॉ शुक्ला महंती के खिलाफ चल रहे निगरानी जांच में HRD को नहीं मिला यूनिवर्सिटी का पक्ष

-निगरानी विभाग ने HRD को कई बार लेटर लिखकर रिपोर्ट मांगी, लेकिन नहीं मिली

--HRD की प्रिंसिपल सेक्रेटरी बोलीं, यूनिवर्सिटी द्वारा हर बार डॉ महंती का पक्ष लिखकर भेज दिया जाता है, जो गलत है

amit.choudhary@inext.co.in

JAMSHEDPUR: 'मिसेज महंती के खिलाफ चल रही जांच को लेकर एचआरडी द्वारा कोल्हान यूनिवर्सिटी (केयू) से रिपोर्ट मांगी जाती है, तो वहां से मिसेज महंती का पक्ष लिखकर भेज दिया जाता है। जरा समझिए जिनके खिलाफ जांच चल रही हो वो भला अपने खिलाफ कुछ लिखकर देंगी क्या। फिर से इंस्ट्रक्ट किया गया है कि यूनिवर्सिटी अपना पक्ष लिखकर भेजें वह भी जल्दी'। यह कहना है स्टेट ह्यूमेन रिसोर्स डिपार्टमेंट (एचआरडी) की प्रिंसिपल सेक्रेटरी आराधना पटनायक का। उन्होंने जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज की एक्स प्रिंसिपल और कोल्हान यूनिवर्सिटी की प्रजेंट प्रोवीसी डॉ शुक्ला महंती के खिलाफ चल रही वित्तीय अनियमितता की जांच में देरी के लिए यूनिवर्सिटी को जिम्मेवार ठहराया।

क्या है मामला?

जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में 1 अप्रैल 2008 से 31 मार्च 2013 तक डिफरेंट मद में एक्सपेंडिचर और यूटिलाइजेशन पर ऑडिट जांच में सवाल उठे थे और इसमें अनियमितता पाई गई थी। जिन मद के एक्सपेंडिचर और यूटिलाइजेशन पर ऑडिट रिपोर्ट में सवाल उठाए गए थे उनमें यूजीसी ग्रांट्स - 8 करोड़ 11 लाख, कॉलेज फंड - 7 करोड़ 29 लाख, सैलरी एंड कंटींजेंसी फंड - 9 करोड़ 23 लाख, डेवलपमेंट फंड - 1 करोड़ 70 लाख, स्कॉलरशिप फंड - 14 लाख, स्पो‌र्ट्स फंड - 5 लाख, वोकेशनल फंड - 1 करोड़ 74 लाख और इंटरमीडिएट फंड - 73 लाख रुपए आदि शामिल हैं। इसकी निगरानी जांच के लिए इसी कॉलेज की एक्स स्टूडेंट लीडर अर्चना सिंह ने लिखा था। गवर्नमेंट के अप्रूवल के बाद इसकी निगरानी जांच की प्रक्रिया शुरू हुई।

इतने रिमाइंडर भी नहीं बन रही बात

इस मामले में किस तरह लंबा खींचा जा रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निगरानी विभाग द्वारा एचआरडी को लेटर नंबर 680/ 3 / 4 /14 और लेटर नंबर 1341/ 30 / 7 /14 द्वारा रिमाइंड कराया गया। एचआरडी द्वारा भी यूनिवर्सिटी को इस साल मार्च, मई और जुलाई में लेटर लिखकर रिपोर्ट सब्मिट करने को कहा जा चुका है। इसके अलावा अभी हाल ही में फिर से एचआरडी द्वारा यूनिवर्सिटी को लेटर लिखकर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।

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ऑडिट रिपोर्ट में उठाए गए हैं सवाल

- डिफरेंट फंड के कई कैश बुक अथॉरिटीज द्वारा सर्टिफाई नहीं पाया गया।

- कैश बुक पर कटिंग और ओवरराइटिंग पाई गई।

- कैश बुक के कई पेजेज ब्लैंक छोड़ दिए गए थे।

- ओपनिंग बैलेंस, टोटलिंग ऑफ पेजेज और क्लोजिंग बैलेंस में भी गड़बड़ी थी।

- इंटर अकाउंट से बड़ी रकम दूसरे मद में खर्च कर दिया गया और वह भी बिना किसी वाजिब कारण के।

- कैश बुक में रिसीव किए गए पैसे और उसके टोटलिंग में अंतर पाया गया।

- कल्चरल प्रोग्राम ऑर्गनाइज करने में भी पैसों के हिसाब से गड़बड़ी पाई गई।

- कॉलेज में कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए यूनिवर्सिटी के इंजीनियर के सुपरविजन की जरूरत नहीं समझी गई।

हमसे जो मांगा गया हम भेजते गए

एचआरडी को रिपोर्ट नहीं भेजने के सवाल पर कोल्हान यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ आरपीपी सिंह ने कहा कि एचआरडी द्वारा जिस तरह की रिपोर्ट मांगी जाती रही वे भेजते गए। उनका कहना था कि डॉ महंती और कॉलेज का पक्ष मांगा गया था जो उन्होंने भेज दिया। उनका कहना था कि एचआरडी से लेटर आया है, जिसमें इस मामले में यूनिवर्सिटी का पक्ष मांगा गया है जिसे दो दिनों के अंदर भेज दिया जाएगा।

एचआरडी को हम रिपोर्ट भेज रहे हैं और इस बार हमने रिपोर्ट में अलग से यूनिवर्सिटी का कॉलम बना दिया है, ताकि किसी तरह की प्रॉब्लम न हो। जो फैक्ट है वह सभी के सामने है, तो इसमें यूनिवर्सिटी का कोई रोल ही नहीं है।

- डॉ आरपीपी सिंह, वीसी केयू

हमें कुछ बिंदुओं पर यूनिवर्सिटी का भी पक्ष जानना था जिसके लिए उन्हें लिखा गया है। यूनिवर्सिटी से रिपोर्ट आते ही हम उसकी जांच कर निगरानी को भेज देंगे।

- डॉ डीएन ओझा, डायरेक्टर हायर एजुकेशन

हमने एचआरडी को डॉ महंती वाले मामले की जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा था, लेकिन अभी रिपोर्ट हमें नहीं मिली है। एचआरडी को इसके लिए कई रिमाइंडर भी भेजे गए हैं।

- मनोज जयसवाल, उप सचिव मंत्रिमंडल निगरानी

चार बार मांगने के बाद भी डॉ शुक्ला महंती के खिलाफ हो रही जांच के मामले में यूनिवर्सिटी ने अपना पक्ष नहीं भेजा। वहां से बार-बार डॉ महंती का पक्ष भेजा जाता है जिसका कोई मतलब नहीं है। फिर से यूनिवर्सिटी को अपना पक्ष भेजने का इंस्ट्रक्शन दिया गया है।

- आराधना पटनायक, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, एचआरडी डिपार्टमेंट, झारखंड