-कॉलोनी वासियों को भी नसीब नहीं है क्लोरीनेशन वाला पानी

-न्यू रेलवे कॉलोनी की टंकी की वर्षो से नहीं हुई है सफाई

PATNA: पानी शुद्ध हो इसके लिए क्लोरीनेशन बहुत ही आवश्यक है। पानी को शुद्ध रखने के लिए लंबे समय से यह प्रक्रिया अपनायी जाती है। बड़े स्टेशनों पर जहां मैकेनाइज क्लोरीनेशन का प्रावधान है वहीं, छोटे स्टेशनों पर यह काम मैनुअली करने का नियम है। यही व्यवस्था रेलवे कॉलोनियों पर भी लागू होती है, लेकिन पटना के किसी भी कॉलोनी में पानी का क्लोरीनेशन नहीं होता है।

एक ही ओवर हेड वाटर टैंक

राजेंद्र नगर टर्मिनल एक ही ओवर हेड वाटर टैंक है। इसी से टर्मिनल के मेन बिल्डिंग सहित रेस्ट हाउस व प्लेटफॉर्म तक को पानी की सप्लाई की जाती है। इसी पानी टंकी से यहां के कालोनी में भी सप्लाई दिया जाता है। पानी टंकी न्यू रेस्ट हाउस के पश्चिम में स्थित है। सूत्र बताते हैं कि जबसे टर्मिनल का इनॉगरेशन हुआ है तभी से यहां मैकेनाइज क्लोरीनेशन की मांग की जा रही है, लेकिन अबतक उसकी व्यवस्था नहीं की जा सकी है। जब जांच की बारी आती है, तो मैनुअली क्लोरीनेशन कर दिया जाता है। कॉलोनी में लगभग दस ब्लॉक हैं और पचास से अधिक परिवार यहां रहते हैं। पिछले दिनों कालोनी के कई लोग को डेंगू और मलेरिया की शिकायत भी थी, बावजूद इसके क्लोरीनेशन को लेकर रेलवे प्रशासन सक्रिय नहीं है।

बाकी की स्थिति भी ठीक नहीं

पटना जंक्शन के क्षेत्र में कई कॉलोनी आती हैं। जैसे जीआरपी कॉलोनी, न्यू रेलवे कॉलोनी, मीठापुर दो मंजिला कॉलोनी, लोको कॉलोनी, आरएमएस कॉलोनी आदि। यहां की कॉलोनियों को भी क्लोराइज्ड पानी नसीब नहीं है, जबकि नियम कहता है कि पानी में क्लोरीनेशन की मात्रा .क् पीपीएम से .भ् पीपीएम के बीच होना चाहिए, तभी यह स्वास्थ्य के लिए ठीक है। यहां भी मैनुअली ही क्लोरीनेशन की प्रक्रिया को समय समय पर अपनाया जाता है। जानकारों की मानें, तो कॉलोनी की टंकी में तो कभी भी मैकेनाइज क्लोरीनेशन की व्यवस्था की ही नहीं गयी थी। कई कालोनी ऐसे भी हैं, जिसके टंकी की सफाई भी नियमित अंतराल पर नहीं होते हैं।

सालों से नहीं हुई है सफाई

ऐसा प्रावधान है कि पानी टंकी की सफाई हर छह महीने में की जाय। यह भी नियम है कि जिस भी डेट में टंकी की सफाई होगी, वह टंकी के दीवार पर अंकित करना होगा, लेकिन न्यू रेलवे कॉलोनी में वर्षों से टंकी की सफाई नहीं हुई है। कॉलोनी की टंकी के पिलर पर सफाई की तारीख ब्.7.ख्0क्क् ही आज तक अंकित है। इसका मतलब यह हुआ कि ग्यारह के बाद से अबतक टंकी की सफाई नहीं हुई, जबकि इसे छह महीने में ही होना था। इसी कॉलोनी के कई लोग यह भी शिकायत करते हैं कि कभी कभी तो नल से नाले जैसी पानी आती है। ऐसे कई जगह हैं जहां पानी की पाइप ड्रेनेज के नीचे है। पाइप बहुत पहले बिछाये गये हैं इस वजह से जर्जर भी हो गए हैं। एक कर्मी ने बताया कि जब एलएम झा यहां के डीआरएम हुआ करते थे, तो उन्होंने कालोनी का इंस्पेक्शन किया था और सफाई की लचर व्यवस्था को देख खुद ही सफाई करने लगे और संबंधित अधिकारियों को डांट भी लगायी थी।

अधिकारी करने लगे आनाकानी

इस मामले में जब रेलवे के अधिकारियों से बात की गयी, तो वे एक दूसरे पर मामला को टालने लगे। इंजीनियरिंग के अधिकारी ने कहा कि मैं छुट्टी पर हूं, तो पीआरओ ने कहा कि मैं इसपर जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हूं। वहीं, जब बात डीआरएम से की गयी तो उन्होंने कहा कि मैं ट्रेन में हूं आप पीआरओ से पूछ लें और एडीआरएम ने कहा कि मैं मामले को जान नहीं रहा हूं इसलिये अभी कुछ नहीं कहूंगा।