- 3 अगस्त को सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया था ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का इनॉग्रेशन

BAREILLY:

परसाखेड़ा में बने ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग टै्रक पर टेस्ट न लिए जाने के पीछे का एक बड़ा रीजन मंडे को सामने आया है। ड्राइविंग टेस्ट के लिए कंट्रोल रूम में लगे सिस्टम अपडेट ही नहीं हैं। मसलन, अप्लीकेंट्स को टेस्ट के लिए कितना टाइम मिलना है, पासिंग मा‌र्क्स क्या होंगे आदि। सॉफ्टवेयर अपडेट हुए बिना ही ट्रैक का इनॉग्रेशन सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथों आनन-फानन में करा दिया गया था। नतीजा यह है कि, ऑटोमैटिक की जगह मैनुअली टेस्ट लेकर आवेदक को पास-फेल करने का सिलसिला पिछले सात महीने से चल रहा है।

सिस्टम अपडेट ही नहीं

5 हजार स्क्वॉयर मीटर में बने ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक में सब कुछ सेंसर टेक्नीक आधारित है। टेस्ट के दौरान कितना स्कोर करने पर कितने मा‌र्क्स मिलेंगे, ट्रैक पर बने 5 स्टेप में से किस स्टेप को पूरा करने पर कितने नम्बर मिलेंगे या फिर किस-किस स्टेप के लिए आवेदक को कितना समय मिलेगा इस हिसाब से सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं है। लिहाजा, ट्रैक पर टेस्ट का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। सूत्रों मिली जानकारी के मुताबिक, इनॉग्रेशन के बाद अधिकारियों ने 10-12 दिन ट्रॉयल लिया था। यह खामियां ट्रॉयल के समय पकड़ में आई थी। लेकिन उन खामियों को अभी तक दूर नहीं किया जा सका है।

कंपनी नहीं आ रही सामने

सिस्टम अपडेट के साथ ही एक और बड़ी समस्या है। टेंडर मांगे जाने के बाद भी सिस्टम ऑपरेट करने के लिए कोई कम्पनी सामने नहीं आ रही है। जिसकी वजह से लाखों रुपए से तैयार हुआ ऑटोमेटिक टेस्टिंग ट्रैक पर टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं। हालांकि, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने गाजियाबाद की एक कंपनी से सम्पर्क साधा था लेकिन बात नहीं बनी। चूंकि, सारी चीजें ऑनलाइन और सेंसर टेक्नीक पर आधारित है, और डिपार्टमेंट के कर्मचारी इसे ऑपरेट करने के लिए ट्रेंड नहीं हैं। ऐसे में सिस्टम ऑपरेट करने के लिए प्राइवेट कंपनी को ही जिम्मेदारी दी जानी है।

सेंसर से पकड़ी जाएगी गड़गड़ी

परसाखेड़ा में 5 हजार स्क्वॉयर मीटर में बने ट्रैक पर 11 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही प्रत्येक ट्रैफिक सिग्नल पर सेंसर लगे हुए हैं, जो कि छोटी सी छोटी गड़बडि़यों को भी पकड़ लेंगे। टेस्ट पास करने के लिए एक तय टाइम भी होगा यानी उतने वक्त में गाड़ी को इन-आउट करना जरूरी होगा। टाइमिंग सेंसर के जरिए सिस्टम में नोट होगी। टेस्ट पास करने के लिए नंबरिंग भी रखी जाएगी। गाड़ी ट्रैक से बाहर आते ही कम्प्यूटर फेल या पास की स्लिप जारी करेगा। टेस्ट पास होने की स्थिति में ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।

सात महीने से बंद पड़ा है

सीएम योगी आदित्यनाथ ने 3 अगस्त 2017 को ट्रैक का इनॉग्रेशन किया था। पूरे प्रदेश में सिर्फ बरेली और कानपुर में ही ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाए गए हैं। आगे बाकी शहरों में भी ट्रैक बनाए जाने हैं। जिसका उद्देश्य रोड एक्सीडेंट्स की घटनाओं को कम करना था। लेकिन इनॉग्रेशन के बाद से अब तक ट्रैक पर एक भी आवेदक का टेस्ट नहीं हो सका है। अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि पिछले सात महीने से ट्रांसपोर्ट नगर में मैनुअली टेस्ट लेकर ही आवेदक को पास-फेल किया जा रहा है।

एक नजर

- 5 हजार स्क्वॉयर मीटर में ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक को बनाया गया है।

- 3 अगस्त 2017 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया था ट्रैक का इनॉग्रेशन।

- 7 महीने से बंद पड़ा है ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग टै्रक।

यह बने हैं सिग्नल

- आगे रास्ता बंद है।

- वन वे में एंट्री न करें।

- वाहनों की एंट्री बैन।

- साइकिल एंट्री बैन।

- हैवी व्हीकल एंट्री बैन।

- नो एंट्री जोन।

- जेब्रा क्रॉसिंग।

- यू टर्न।

सॉफ्टवेयर में दिक्कत हैं। साथ ही सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए प्राइवेट कर्मचारी रखे जाने हैं। जिसके लिए कंपनी का चयन होना बाकी है। मुख्यालय स्तर पर ही सारी कवायद होनी है।

आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन