RANCHI : हर्ट ऑफ द टाउन माने जाने वाले मेन रोड, जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स और मोरहाबादी मैदान में नशेडि़यों ने कब्जा कर रखा है। इतना ही नहीं, डीसी व एसएसपी के आवास से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित मोरहाबादी मैदान के चौक पर नशेडि़यों का दिन भर जमावड़ा लगा रहता है। हालात यहां तक बदतर हो गये हैं कि इलाके की आबोहवा भी जहरीली हो चली है। लोग उन सड़कों से होकर गुजरने में हिचकिचाने लगे हैं और बच्चों पर तो जैसे आफत ही आ पड़ी है। उनका खेलना, कूदना और सरकार की तरफ से लाखों की लागत से बनाये गए चिल्ड्रन पार्क तक जाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि उनको सांस लेने में तकलीफ जो होने लगी है।

चिल्ड्रन पार्क में हालात बेकाबू

बच्चे खेलने के लिए मोरहाबादी के चिल्ड्रेन पार्क नहीं जाना चाहते। उनके अभिभावक भी उन्हें लेकर चिल्ड्रेन पार्क नहीं जा रहे, बल्कि ऑक्सीजन पार्क जाना पसंद कर रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने जब इसकी पड़ताल कर कारण जानना चाहा तो लोगों ने बताया कि चिल्ड्रेन पार्क के चारों तरफ सिगरेट, गुटखा की दुकानें लगी रहती हैं। यहां युवकों द्वारा धुएं के छल्ले उड़ाये जाते हैं, जिसके कारण पार्क में खेलने वाले बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बच्चे खेलकर जब घर वापस आते हैं तो फ्रेश फील करने के बजाय काफी थकावट महसूस करते हैं।

मिल रही है जहरीली हवा

पैसिव स्मोकिंगयह वह खतरनाक शब्द है जिससे जान बचाने वाले डाक्टरों को भी डर होता है। आज की दौर में बच्चों को सबसे ज्यादा इस पैसिव स्मोक से खतरा बताया जा रहा है। भारत सरकार के निर्देश पर सिनेमाघरों से लेकर टीवी, रेडियो में विज्ञापनों के माध्यम से धूम्रपान के दुष्प्रभावों को बताया जाता है और बच्चों को इससे बचाने की बात कही जाती है। लेकिन, चिल्ड्रेन पार्क की हवा ही इस जहरीले धुएं के कारण दूषित होती जा रही है।

डीसी-एसपी आवास के पास भी नशे का कारोबार

मोरहाबादी मैदान के जिस कोने पर सिगरेट, पान, बीड़ी, गुटखा की दुकानें लगी हैं वहां से जिले के डीसी महिमापत रे और एसएसपी कुलदीप द्विवेदी का सरकारी आवास महज 100 मीटर दूर है। इसके बावजूद धड़ल्ले से चलने वाले इस जहर के कारोबार को रोका क्यों नहीं जा रहा, यह एक बड़ा सवाल है।

पु्िलस के संरक्षण में चलता है धंधा

लोगों का आरोप है कि यह धंधा पुलिस के संरक्षण में चलता है और इसके लिए हर दुकानदार संबंधित थाने को बंधी बंधाई रकम की अदायगी करता है। इस आरोप की पुष्टि इस बात से साफ हो जाती है कि इस इलाके में मोरहाबादी टीओपी खुला है, 24 घंटे पैट्रोलिंग होती है उसके बावजूद भी जहर का कारोबार चलता रहता है। यह आखिरकार संभव कैसे है जबकि इसपर कानूनी रोक लगी हुई है।