PATNA : नोटबंदी की तरह हालात पैदा करने की साजिश काफी दिनों से चल रही थी। पुलिस की छापेमारी में ताबड़तोड़ बड़े नोटों की बड़ी खेप बरामद हो रही थी लेकिन किसी को यह अंदाजा नहीं था कि योजना नोट डंपिंग को लेकर है। पुलिस भी पूछताछ में चूक क र गई नहीं तो पूरा गेम पहले ही ओवर हो जाता। एक माह में पटना पुलिस ने एक करोड़ से अधिक के नोटों की बड़ी खेप बरामद की है लेकिन यह कभी खुलासा नहीं किया कि वह कहां और किसके लिए यह खेप ले जा रहे थे। सूत्रों का कहना है कि अगर पुलिस ने पकड़ी जा रही नोटों की गड्डी को लेकर गंभीरता दिखाई होती तो हो सकता था कि बड़ा राज खुल जाता। अब जब राजधानी सहित प्रदेश में नोटों की कमी हुई तो अफसरों का ध्यान भी करोड़ों की बरामदगी पर जा रहा था।

आ गई थी नोटों की बाढ़

वर्ष 2018 के शुरुआत में ही पटना में नोटों की बड़ी खेप इधर से उधर की जाने लगी थी। सूत्रों का कहना है कि पुलिस को लग रहा था कि यह टैक्स की चोरी के लिए किया जा रहा है। वह भी इस मामले को लेकर उतनी गंभीर नहीं दिखी। पुलिस ने नोट को बरामद किया औरा आरोपियों पर कार्रवाई कर दी। पूछताछ को लेकर कोई विशेष सख्ती नहीं दिखाई जिससे असली बात नोटों के तस्करों ने पचा ली। सूत्रों की मानें तो यह खेल नोट के डंपिंग को लेकर चल रहा था और इसमें बड़े-बड़े खिलाड़ी शामिल थे, क्योंकि पुलिस ने जितना भी मामला पकड़ा है उसमें हर गाड़ी लग्जरी मिली है। अचानक से आई नोटों की बाढ़ को लेकर पटनाइट्स भी दंग थे कि बिना वैध कागजात के इतनी बड़ी धनराशि कैसे लेकर चल रहे हैं।

चार माह में चार करोड़ से अधिक की डंपिंग

सूत्रों का कहना है कि पटना में जिस तरह से नोटों की बरामदगी हुई है उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि पटना में चार करोड़ से अधिक की डंपिंग की गई है। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि नोटों की खेप को नेपाल तक पहुंचाया गया है। हालांकि एसएसबी के अफसर इस बात से साफ इंकार कर रहे हैं कि नोट नेपाल में डंप किए गए हैं।

ऐसे में सवाल यह भी कि पटना में कौन नोटों की डंपिंग कराने में लगा था। अगर ऐसी मंशा नहीं थी तो फिर लग्जरी गाडि़यों से नोट को क्यों ले जाया जा रहा था। जानकारों का कहना है कि नोट की क्राइसिस एक दिन की साजिश में नहीं हुई है, इसके लिए काफी दिनों से एक विशेष प्लान पर काम किया गया है और इसके पीछे बड़ा नेटवर्क काम किया है। इस दौरान बड़े नोटों के डंपिंग के खेल को पुलिस भी नहीं समझ पाई।