भीषण बदबू के बीच राधाकृष्णन की छत्रछाया में रहने को मजबूर हैं छात्र

सिर्फ नाम का प्रोफेशनल हॉस्टल, लेते हैं 10 हजार फीस, सुविधा कुछ नहीं

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: आज के समय में प्रोफेशनल शब्द के बड़े मायने हैं। ये शब्द जहां भी जुड़ जाए, अपने आप ही हाईटेक होने का एहसास करवा देता है। एक तरफ देश के पीएम नरेंद्र मोदी प्रोफेशनल्स को बढ़ावा देने की बात करते हैं और दूसरी ओर एयू में भावी प्रोफेशनल्स के साथ कुछ अलग ही बिहेव किया जा रहा है। इनके लिये कुछ वर्ष पूर्व डॉ। एस। राधाकृष्णन हॉस्टल की स्थापना की गई थी। मौजूदा समय में हास्टल की हालत काफी बुरी है।

नाले के होल खुले हुये हैं

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने अपने कैम्पेन की कड़ी में डॉ। एस। राधाकृष्णन हास्टल का मुआयना किया तो पाया कि यहां दिवार पर पान और गुटखा की पीक से जगह-जगह वॉल पेंटिंग की गई है। हॉस्टल के इर्द गिर्द भारी गंदगी पसरी है। सफाई कर्मचारियों का हाल ये है कि हास्टल के आसपास ही कूड़े में आग लगा देते हैं। कई दिवारें ऐसी हैं, जहां से बेतरतीब तरीके से पानी रिस रहा है। जगह-जगह नाला के मेन होल खुले हुये हैं। इनमें गिरकर कई बार छात्र घायल हो चुके हैं।

लगी हैं 22 टंकियां, गायब हैं ढक्कन

छात्रों ने बताया कि बिजली की व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। बाथरूम और टॉयलेट के बल्ब खराब हैं। गंदगी और बदबू के बीच छात्र फ्रेश होने के लिये मजबूर हैं। पीने के पानी के नाम पर एक ही आरओ मशीन है। वह भी शहर उत्तरी के पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने लगवाई थी। हास्टल में रह रहे 368 छात्रों के लिये 22 पानी की टंकियां लगी हैं। इनमें से ज्यादातर के ढक्कन गायब हैं। इसमें आये दिन पक्षी गिरकर मर जाते हैं और छात्र वही पानी पीकर बीमार पड़ जाते हैं।

मेस में कबाड़, जिम में कब्जा

मेस की बात करें तो यहां प्राईवेट में खाना बनाने वाले तो आते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से मेस के कई कमरों में कबाड़ भर दिया गया है। हास्टल के जिमनेजियम में भी अवैध कब्जा है। टेबल टेनिस कोर्ट टूटा पड़ा है। छात्रों ने बताया कि प्रोफेशनल कोर्सेस के इस हास्टल में बीटेक, बीएएलएलबी, एमबीए, बीसीए, फूड टेक, बीडीएस, बीपीएड और रिसर्च के स्टूडेंट रहते हैं। यह हास्टल इविवि के न्यू हास्टल्स में से एक है, जिसकी स्थापना कुछ वर्ष पूर्व ही की गई थी। छात्रों का कहना है कि राधाकृष्णन इविवि के सबसे मंहगे हास्टलों में गिना जाता है। इसमें एक छात्र से सालाना 10 हजार रूपये फीस ली जाती है। हालांकि, न्यू इंट्री पाने वाले छात्र को 11 हजार रूपये फीस चुकानी पड़ती है। इस हास्टल के वार्डेन प्रो। जेए अंसारी एवं सुपरिटेंडेंट डॉ। आरएस यादव हैं।

हास्टल में स्पोर्ट्स फैसिलिटी के नाम पर कुछ नहीं है। जबकि यहां इतना स्पेस है कि स्पोर्ट्स फैसिलिटी आसानी से प्रोवाईड कराई जा सकती है। छात्र यहां मोटी फीस चुकाकर रह रहे हैं। फिर भी सुविधा नहीं मिल रही।

सूर्यक्रत सिंह

हास्टल में खाने और रहने के लिये बहुत सी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। सिर्फ नाम का ही प्रोफेशनल हास्टल है। ऐसा ही रहा तो राधाकृष्णन हास्टल भी दूसरे हास्टल की लाइन में एक दिन खड़ा हो जायेगा।

विवेक

हमारा हास्टल अभी भी बाहर से चमकता दमकता दिखाई पड़ता है। लेकिन यदि इसका कायदे से ख्याल नहीं रखा गया तो बहुत खराब हाल हो जाएगा। फिर क्यों छात्र इतनी मोटी फीस चुकाकर इस हास्टल में रहने की डिमांड करेगा।

शिवम शाह

अभी कोर्ट के कहने पर हास्टल खाली करवाने की बात कही जा रही है। यही हाल रहा तो एक दिन कोर्ट को फैसेलिटी देने के लिये भी कहना पड़ेगा। हास्टल के सौन्दर्यीकरण का कार्य एक दो महिने का नहीं है। बल्कि यह पूरे साल होने वाला काम है।

शशिकांत

करीब आठ साल ही हुये हैं इस हास्टल को शुरू हुए। सीनियर्स बताते हैं कि नये हास्टल के रूप में इसकी शोभा देखते ही बनती थी। लेकिन आज यह बदसूरत होता जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिये।

अमित