-भूकंप के झटके आते ही सड़कों पर दौड़े लोग

-झटकों से पंखे, फर्नीचर हिले, दो बार आए झटके

-वैज्ञानिकों ने शुरू किया भूकंप का आंकलन

>DEHRADUN: मंडे की दोपहर करीब पौने तीन बजे भूकंप के झटकों से देहरादून सहित पूरा उत्तराखंड हिल गया। भवनों में पंखे और फर्नीचर हिलने लगे। देखते ही देखते लोग सड़कों पर निकल आए। भूकंप का केंद्र हिंदूकुश रीजन में अफगानिस्तान बताया जा रहा है। वहां 7.7 की तीव्रता से धरती के नीचे करीब क्90 किलोमीटर नीचे भूकंप उठा। देहरादून में इसकी तीव्रता करीब ब्.9 ही रह गई। जिस कारण यहां पर इसका कम असर देखने को मिला।

ऊंचाई वाले भवनों में सबसे अधिक असर

हालांकि इस भूकंप से कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन ऊंचे भवनों में भूकंप के झटके सबसे अधिक महसूस किए गए। खासतौर से बहुमंजिला इमारतों में सबसे ऊपर के फ्लोर पर रहने वाले लोगों को सबसे अधिक झटके महसूस हुए। वह तुरंत ही नीचे उतर आए। होटल पैसेफिक, राजपुर रोड, घंटाघर, पटेलनगर सहित सिटी में कई जगहों पर लोग भूकंप के समय सड़कों पर नजर आए।

गहराई में केंद्र रहा तो बच गई जान

हिंदूकुश में भूकंप का केंद्र धरती के करीब क्90 किलोमीटर नीचे थे। यदि नेपाल की तरह इस भूकंप का केंद्र धरती के दस से बीस किलोमीटर ही नीचे होता तो बड़ी तबाही से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं इस भूकंप की तीव्रता उत्तराखंड में अधिक होती और तेज झटके महसूस किए जाते।

पुराने भवनों पर सबसे अधिक खतरा

जिस तरह बीते एक साल में करीब चार से पांच बार भूकंप आ चुका है, इससे तो भविष्य में इसके और बढ़ने की आशंका है। वहीं वैज्ञानिक भी घोषणा कर चुके हैं कि भविष्य में और भी तीव्रता वाले भूकंप आने की आशंका है। इसलिए लोगों को ही भूकंप के बीच रहने की आदत डालनी होगी। निर्माण शैली में भारी बदलाव की जरुरत होगी।

नौ मीटर और अधिक ऊंचे बन सकेंगे मकान

पिछले वर्ष तक देहरादून में भवनों की अधिकतम ऊंचाई ख्क् मीटर तक थी। इस वर्ष की शुरुआत में शासन ने नौ मीटर और बढ़ा दिया था। अब तीस मीटर की ऊंचाई तक के भवन बनाए जा सकते हैं। वहीं दूसरी ओर लगातार देहरादून को भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील होने की बात कही जा रही है। वहीं दूसरी ओर सरकार भूकंप रोधी तकनीक के प्रयोग पर ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में भविष्य में सिटीवासियों के लिए ऊंचे भवन बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।

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नेपाल से ख्00 प्रतिशत कम थी एनर्जी

हिंदूकुश में जो एनर्जी रिलीज हुई, वह नेपाल के भूकंप से ख्00 प्रतिशत कम थी। हिंदूकुश में भूकंप की तीव्रता 7.7 थी, जबकि रुड़की, देहरादून में करीब तीव्रता पांच रह गई। इस कारण हिंदूकुश के मुकाबले यहां कम झटके महसूस हुए। मैक्सिको और जापान जैसी तकनीक से भवनों के निर्माण हो तो काफी हद तक नुकसान कम किए जा सकते हैं।

--एमएल शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक आईआईटी रुड़की

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