शनिवार दोपहर के ठीक पहले करीब 11.40-45 बजे के बीच हर कोई अपनी रूटिन में बिजी था। तभी अचानक बहुतों को अपना सिर घूमता महसूस हुआ। कुछ टेबल-चेयर या फिर बेड हिलने से डिस्टर्ब हुए। कुछ को बाइक चलाते हुए चक्कर सा फील हुआ। तभी आवाजें गूंजीं, भागो भूकम्प है। कुछ सेकेण्ड के लिए हर किसी ने काशी को कांपता हुआ महसूस किया। इसके बाद रात तक दहशत के माहौल के बीच चर्चाओं, अफवाहों का दौर चलता रहा। देखिये बनारस के अब तक सबसे तेज भूकम्प ने क्या-क्या गुल खिलाया

- दो बार भूकम्प के तेज झटकों से थरथरा उठीं बनारस की बिल्डिंग्स

- हर तरफ मची भगदड़, सुरक्षित स्थान की ओर भागे लोग

- दहशत में एक बुजुर्ग की गयी जान, भगदड़ में दर्जनों चोटिल

VARANASI : काशी में शनिवार की सुबह आम दिनों की थी। दिन चढ़ने के साथ शहर रफ्तार में आने लगा। बच्चे स्कूल पहुंच गए थे, दुकानों के शटर उठने लगे थे। घर के जेंट्स मेम्बर अपने-अपने काम पर गए तो लेडीज घरों के जरूरी काम निबटाने में मशगूल थीं। घड़ी की सुई दोपहर 12 बजे की ओर भाग रही थी। वक्त 11.42 हुआ था कि अचानक धरती कांपने लगी। बनारस के 90 प्रतिशत लोगों ने पहली बार एक साथ भूकम्प के इन झटकों को महसूस किया।

हड़कम्प के साथ मची भगदड़

अर्से बाद बनारस में ये पहला मौका था जब दोपहर के वक्त भूकम्प का झटका लगा। इससे पहले कई बार बनारस में भूकम्प के झटके महसूस हुए हैं मगर उनमें ज्यादातर देर रात या अल सुबह ही महसूस हुए, जब मैक्सिमम लोग सो रहे थे। वो झटके भी हल्के थे। शनिवार को झटका कई मायने में खास था जिसकी वजह से पूरे बनारस में एक साथ जबरदस्त खौफ की स्थिति पैदा हो गयी। पूर्वाह्न 11.42 बजे सबसे पहले लगातार 30 से 40 सेकेण्ड तक जमीन, मकान, पंखे, टीवी, टेबल-चेयर, बेड और व्हीकल्स को कांपता और हिलता डुलता महसूस किया गया। लोगों ने स्थिति नाजुक समझ खुद को सेफ प्लेस तक पहुंचाने में जरा सी भी देर नहीं की। इससे हर कहीं भगदड़ का माहौल नजर आया।

दूसरी बार ने निकाली जान

झटके शुरू होने के साथ स्कूल में बच्चों को ग्राउंड की ओर ले जाया गया। ऑफिसों से निकलकर लोग खुले में आ गए। दुकानदार दुकान को छोड़कर सड़कों की ओर भागे। घरों में मौजूद महिलाएं बच्चों के साथ गलियों, मैदान या पार्को में पहुंचीं। हर किसी के चेहरे पर खौफ तारी था जबकि बच्चे और नौजवान अपने लाइफ की अब तक सबसे रेयर फीलिंग में मजा लेना नहीं भूले। कुछ मिनटों के बाद जब स्थिति कुछ सामान्य होने लगी तभी घर, दुकान, ऑफिस की ओर बढ़ चले। एक बार फिर करीब सवा एक बजे झटका महसूस हुआ। ये पहली बार जितना तेज नहीं था मगर इसे हर किसी ने फिर से साफ महसूस किया। इस बार लोगों का खौफ काफी हद तक बढ़ गया। कई लोग घंटों दोबारा घर में घुसने की हिम्मत नहीं कर सके। स्कूलों ने पैरेंट्स को मैसेज कर बच्चों को वापस ले जाने का कहा।

अफरातफरी के बीच हार्ट फेल

भूकम्प की वजह से सीधे तौर पर किसी की जान नहीं गयी। हालांकि भूकम्प के दौरान मची अफरातफरी के बीच पांडेयपुर स्थित विवेकानंद कालोनी निवासी रोडवेज से रिटायर्ड त्रिभुवन नाथ पांडेय (80 वर्ष) का हार्ट फेल होने से निधन हो गया। उनका बेटे घर के बगल में ही स्कूल है। भूकंप आने पर सभी टीचर्स स्टूडेंट्स संग बिल्डिंग से बाहर आ गए। जैसे ही लोगों ने उन्हें बताया कि भूकंप आया है, वो बेचैन हो गए। सीने में दर्द उभर गया, थोड़ी देर दर्द से तड़पने के बाद उनकी मौत हो गयी। वरुणापुल स्थित स्कूल में बच्चों को ग्राउंड की ओर ले जाते समय भगदड़ में तीन बच्चे घायल हो गये। कैंटोनमेंट स्थित स्कूल में कुछ बच्चे गश खा कर जमीन पर गिर पड़े। उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया गया। महदहिया स्थित स्कूल में कुछ बच्चे दौड़ते हुए रोड पर आ गए। इसमें दो बच्चे कार से धक्का खाकर हल्का चोट खा बैठे। मण्डुआडीह एरिया में एक बच्चे के गिरने से हाथ फ्रैक्चर होने की खबर भी है।

मातहतों संग बाहर निकले कप्तान

भूकंप का जब पहला झटका आया तब एसएसपी जोगेंद्र कुमार पुलिस आफिस में जनता की फरियाद सुन रहे थे। उन्होंने तत्काल आफिस में काम कर रहे मातहतों को बाहर निकलने को कहा। वायरलेस पर सभी पुलिस अधिकारियों को थाना, दफ्तर छोड़कर इलाके में लोगों की मदद व अफवाहों पर लगाम लगाने का निर्देश दिया। चौक थाना कैम्पस के अंदर बने भवन के बारजा का एक हिस्सा गिर पड़ा। एसएसपी की समीक्षा बैठक के लिए कई थानों के पुलिस अधिकारी इस वक्त मौजूद थे। थानों के हवालात में बंद लोगों को निगरानी में बाहर निकाला गया। बिट्रिश काल की बनी कचहरी की मुख्य बिल्डिंग भूकंप के झटके से हिल गई। अधिवक्ताओं में अफरातफरी मच गई। जिला जज ने सभी न्यायायिक कर्मचारियों को सुरक्षित स्थान पर जाने का मौखिक आदेश दिया। सेंट्रल और बनारस बार के सभागार, अदालतों और चेंबर में मौजूद अधिवक्ता, वादकारी, कर्मचारी भी खुले स्थान पर आ गए।

PMO ने लिया बनारस का जायजा

जिस वक्त भूकम्प आया उस वक्त सेंट्रल मिनिस्टर केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र सर्किट हाउस में मौजूद थे। वह खुद अपने कमरे से निकलकर सेफ प्लेस पर आ गए। भूकंप आने के कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्विट इस संबंध में जारी होने लगा। कलराज मिश्र के सेलफोन पर क्ख्.ब्भ् बजे पीएमओ से फोन आया। वहां से पूछा गया कि पीएम को सूचना मिली है कि बनारस में भूकंप के दौरान अनहोनी हुई है। इस बारे में क्या जानकारी है बताएं। इस पर कलराज मिश्र ने जिला प्रशासन और भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं से बात की। आधे घंटे बाद पीएमओ को जानकारी दी कि भूकंप के चलते बनारस में कई भवनों में दरार आदि की तो सूचना है लेकिन कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है।

पत्तों की तरह हिली बिल्डिंग्स

कंक्रीट की जंगल में तब्दील हो रहे शहर को भूकम्प ने खतरनाक भविष्य का एहसास करा दिया। पहली बार आए भूकम्प से बिल्डिंग्स पत्तों की तरह हिलती रहीं। सबके खराब स्थिति ऊंची इमारतों की रहीं। भले ही किसी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग को कोई बड़ा विजुअल नुकसान नहीं हुआ मगर पुराने मकानों में दरारें पड़ ही गई।

- लंका में एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के एक टावर के कुछ झुकने की खबरे ने सैकड़ों लोगों को लंका तक पहुंचा दिया। यहां घंटों तमाशा लगा रहा।

- पीलीकोठी में बिल्डिंग एक ओर झुककर बगल की बिल्डिंग से सट गयी। इसे देखने के लिए घंटों भीड़ लगी रही।

- रथयात्रा एरिया में एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के हल्का सा झुक जाने की खबर ने हर तरफ सनसनी मचा दी।

- कैंट रेलवे स्टेशन बिल्डिंग के पहले मंजिल पर फ्रंट की ओर दरारें पड़ गयीं।

- शहर में सैकड़ों ऐसे पुराने और नये मकान थे, जिनकी दीवार, छतों की रेलिंग में दरारें साफ नजर आई।

- लहुराबीर, मकबूल आलम रोड, सोनारपुरा, सुंदरपुर, शिवपुर, सारनाथ समेत कई स्थानों पर इमारतों में दरार पड़ी।