- स्टूडेंट्स का आरोप, फैसला देने में जानबूझकर देरी कर रहा लखनऊ यूनिवर्सिटी

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी में निष्कासित और निलबिंत छात्रों के एडमिशन के मामले में फैसला टल गया है। यूनिवर्सिटी की गठित समिति ने दो दिन में फैसला जारी करने का दावा किया था, लेकिन इस पर वह एक बार फिर पिछड़ गए हैं। इससे आरोपी छात्रों को काफी परेशानी हो रही है। वे सभी छात्र पिछले दो हफ्ते से अधिक समय से फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इस मामले में लगभग सौ छात्रों पर फैसला आना है।

लगा दी गई थी रोक

एलयू में इस शैक्षिक सत्र और पिछले दो-तीन साल में निष्कासित और निलंबित हुए छात्रों को पीजी में एडमिशन देने पर रोक लगा दी गई थी। इस पर दो सितम्बर को बुलाई प्रवेश समिति ने निर्णय लेने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी गई, जो निष्कासित और निलबिंत छात्रों के आरोपों की जांच करने के बाद उस पर अपना निर्णय देगी।

नए केस के कारण रुका निर्णय

समिति गठित होने के दो वीक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अभी तक छात्रों पर निर्णय नहीं लिया गया। समिति के अध्यक्ष ने क्म् सितम्बर को निर्णय जारी करने का आश्वासन दिया था लेकिन वह निर्णय नहीं जारी कर पाए है। ऐसे में प्रवेश के लिए छात्र काफी परेशान हो रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन से गठित समिति जानबूझकर देर कर रही है। इससे पूर्व भी समय निर्धारित करने के बावजूद निर्णय जारी नहीं किया था। इस बाबत लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता और समिति के अध्यक्ष प्रो। एनके पांडेय का कहना है कि पूर्व में मिले छात्रों के केस का निर्णय हो चुका है। चार-पांच नए केस आ गए हैं। जिनका निर्णय एक साथ निकालने के कारण देर हो रही है। अब मात्र दो दिन में निर्णय जारी कर दिया जाएगा।