- बिना पहचान के यूनिवर्सिटी में आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या अधिक

- आए दिन हो रही है छेड़छाड़ और मारपीट की घटनाएं

- छात्रों को अभी तक नहीं मिला आईकार्ड, पहचान में हो रही प्रॉब्लम

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी में यूजी और पीजी की क्लासेस के लिए एडमिशन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से पूरी हो चुकी है। इसके बाद एडमिशन लेने वाले छात्रों को अपने आईकार्ड का इंतजार है, जो कि शायद यह इंतजार काफी लंबा होने की उम्मीद है। यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के बाद प्रत्येक छात्र से उसकी फीस में आईकार्ड के लिए भी पैसा जमा करवाया जाता है।

सेमेस्टर बीतने के बाद भी नहीं मिला आईकार्ड

पूर्व में एडमिशन लेने वाले छात्रों की मानें तो उनका पूरा एक सेमेस्टर बीत जाने के बाद भी उन्हें आईकार्ड मिला ही नहीं। छात्रों के अनुसार आईकार्ड के बिना उन्हें काफी परेशानी होती है। कई बार तो वह अपने ही यूनिवर्सिटी के परिसर में छात्र होने के बावजूद सुरक्षा कर्मियों द्वारा आईकार्ड के अभाव में अपमानित किए जाते हैं। वहीं इसकी आड़ में यूनिवर्सिटी में बाहरी स्टूडेंट्स का उत्पात बढ़ता जा रहा है। आए दिन परिसर में छेड़छाड़ और मारपीट के मामले हो रहे है, जिसमें आईकार्ड न होने के कारण स्टूडेंट्स की पहचान करना मुश्किल हो रहा है।

सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में परेशानी

सूत्रों के अनुसार हाल ही में यूनिवर्सिटी में संपन्न हुई एडमिशन समिति की बैठक में प्रॉक्टोरियल बोर्ड की ओर से कहा गया था कि छात्रों को आईकार्ड न दिए जाने के चलते उन्हें परिसर में सुरक्षा व्यवस्था के संचालन में दिक्कतें आती हैं। जिसके बाद समिति की ओर से छात्रों के आईकार्ड जल्द ही बनवाने की बात कही गई। यूनिवर्सिटी में पूर्व में आईकार्ड बनाने का काम डीटीपी सेल करता है। सूत्रों का कहना है कि इस बार एडमिशन समिति की बैठक के बाद छात्रों के आईकार्ड छपवाने के लिए निजी कंपनी को ठेका दिए जाने की बात चल रही है।

सुरक्षा कारणों से संवेदनशील है यूनिवर्सिटी

हाल ही में यूनिवर्सिटी में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के कमांडो यूनिट ने एक विशेष आतंक विरोधी ड्रिल की थी। जिसमें उन्होंने प्रत्येक स्थल पर कोई घटना होने पर कैसे ऐक्सन लिया जाएगा इसको बारीकी से समझा था। राजधानी की कई जगहों के साथ यूनिवर्सिटी परिसर को भी अति संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में यहां के छात्रों के लिए आई क ार्ड इश्यू कराया जाना बेहद जरूरी है। जिससे परिसर और हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों और बाहरी लोगों की जांच नियमत प्राथमिकता के आधार पर की जा सके।

यूनिवर्सिटी के सभी विषयों के द्वितीय व तृतीय सेमेस्टरों के छात्रों के आईकार्ड बन रहे हैं। वह जल्दी ही उन्हें दे दिए जाएंगे। नए एडमिशन लेने वाले छात्रों का भी डाटा जल्द ही डीटीपी सेल को भेज दिया जाएगा। जिससे उनके भी आईकार्ड जल्दी ही जारी कर दिए जाएं।

- प्रो। एनके पांडे,

प्रवक्ता यूनिवर्सिटी