- स्टूडेंट्स को मिल सकती है थोड़ी से राहत

- कार्य परिषद दे सकती है कुछ फीस में छुट

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी की ओर से फीस वृद्धि के निर्णय के बाद हुए हंगामे के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने स्टूडेंट्स को फीस में राहत देने की बात कहीं थी। लेकिन वास्तव में यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को फीस में राहत देने की स्थिति में नहीं है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सेशन ख्0क्भ्-क्म् के लिए जो बजट बनाया था, उसमें उसे फ्8 करोड़ रुपए का घाटा था। इसे पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी ने पहले अपने दूसरे मदों में फीस बढ़ाने की सिफारिश की थी। लेकिन दूसरे मदों में फीस बढ़ाने के बाद जब घाटा पूरा नहीं हो सकता तो कार्य परिषद में रेगुलर कोर्सेस की भी फीस बढ़ाने पर सहमति प्रदान करनी पड़ी। ऐसे में यूनिवर्सिटी के पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है अपने घाटे को पूरा करने का।

शासन बढ़ा ग्रांट तो घट सकती है फीस

यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि प्रोफेसर और कर्मचारियों की सैलरी हर साल शासन के नियम के तहत बढ़ाना पड़ता है। मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी हर साल अपने शिक्षकों पर ब्भ् और कर्मचारियों पर भ्0 करोड़ रुपये केवल सैलरी के तौर पर खर्च करता है। जबकि शासन से सैलरी बांटने के लिए केवल फ्ब् करोड़ रुपये का ग्रांट मिलता है। ऐसे में बाकि बची सैलरी बांटने के लिए यूनिवर्सिटी को अपने पास से इंतजाम करना पड़ता है। यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि अगर शासन केवल सैलरी बांटने के लिए जो ग्रांट देता है उसमें बढ़ोत्तरी कर दें तो यूनिवर्सिटी फीस में थोड़ी राहत दे सकता है।

कार्य परिषद के निर्णय पर सब कुछ निर्भर

एलयू के वीसी प्रो। एसबी निमसे ने बताया कि यूनिवर्सिटी को मॉडल यूनिवर्सिटी बनाने और इसके बेहतर विकास के लिए हमने बजट की आवश्यकता है। अभी हमारे पास जो भी बजट है, उसका एक बड़ा हिस्सा हम केवल सैलरी पर खर्च करते है। हमारे आय के साधन काफी कम है। ऐसे में यूनिवर्सिटी के विकास स्टूडेंट्स को अच्छी शिक्षा देने के लिए बजट की जरूरत है। प्रो। निमसे का कहना है कि फिर भी स्टूडेंट्स को होने वाली प्रॉब्लम को देखते हुए कुछ विचार किया जा रहा है। हम एक प्रस्ताव तैयार कर कार्य परिषद के सामने रखेगें। अगले कार्य परिषद की बैठक में चार से पांच प्रतिशत तक की फीस में कटौती की जा सकती है। लेकिन कटौती सभी मदों में होना संभव नहीं दिख रहा है। ्र