- यूपीटीयू फिर से शुरू करेगा एमटेक मॉड्यूलर एमटेक कोर्स

- पीएचडी ऑर्डिनेंस की समीक्षा करेगी कमेटी

- बंद हो सकते हैं एक दर्जन कॉलेज

LUCKNOW: उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी (यूपीटीयू) में आने वाले दिनों में एफिलिएडेट कॉलेजों की संख्या कम हो सकती है। यूनिवर्सिटी ने ऐसे कॉलेजों जिनके यहां स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम है, उनको मान्यता समाप्त करने के लिए अनुमति प्रदान करेगा। गुरुवार को यूपीटीयू में वाइस चांसलर की अध्यक्षता में एकेडमिक काउंसिल की बैठक में इस पर निर्णय लिया गया। बैठक में जिन कालेजों में एक भी एडमिशन नहीं है और कॉलेज मैनेजमेंट इन कॉलेजों को बंद करना चाह रहा है, ऐसे प्रकरण पर काउंसिल ने अपनी राय दी है कि यूनिवर्सिटी तुरंत क्लोजर रिपोर्ट दे सकता है, बशर्ते कॉलेज मैनेजमेंट के पास शासन की एनओसी हो।

क्लोजर रिपोर्ट दे दी जाए

बैठक में कानपुर के कृष्णा ग‌र्ल्स इंजीनियरिंग कॉलेज मैनेजमेंट की ओर से कॉलेज बंद करने के संदर्भ में दायर याचिका पर हाइकोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के अनुपालन में काउंसिल ने राय दी है कि शासन से एनओसी मिलने के बाद कॉलेज को क्लोजर रिपोर्ट दे दी जाए। ज्ञात हो की पूरे प्रदेश के यूपीटीयू से सम्बद्ध करीब एक दर्जन कॉलेज अपनी मान्यता यूनिवर्सिटी सरेंडर करने की तैयारी कर चुके है। इस कारण इन कॉलेजों में इंजीनियरिंग के लिए स्टूडेंट्स ने मिलना है। इस कारण से कई कॉलेज अपनी मान्यता सरेंडर कर स्कूल और डिग्री कॉलेजों की ओर से अपना रुख कर रहे है।

शुरू होगा मॉड्यूलर प्रोग्राम

आने वाले दिनों में यूपीटीयू की तरफ से पहले में संचालित मॉड्यूलर एमटेक प्रोग्राम को दोबारा से शुरू किया जाएगा। यूपीटीयू की ओर से कोर्स के संचालन के दो साल बाद इस कोर्स को बंद कर दिया गया था। गुरूवार को आयोजित हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में दोबारा से इस कोर्स को शुरू करने की हरी झंडी दे दी है। वहीं पीएचडी व अन्य कोसरें के लिए पूर्व में बने आर्डीनेंस की समीक्षा करने के लिए काउंसिल ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया हैं।

दोबारा से कोर्स शुरू करने का बनाया जाएगा एजेंडा

यूपीटीयू के वीसी प्रो। आरके खांडल की अध्यक्षता में आयोजित एकेडमिक काउंसिल की बैठक के दौरान एकेडमिक मसलों को लेकर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान बंद हो चुके कोर्स को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी कोर्स बंद करने के पीछे कारणों और नए सिरे से शुरू करने के लिए कोर्स डिजाइन करेगी। कमेटी में यूनिवर्सिटी के एडीशनल एग्जाम कंट्रोलर, आईआरटी के डायरेक्टर डॉ। विमल मिश्रा शामिल हैं। पीएचडी से लेकर एमटेक व बीटेक जैसे अन्य कोर्सो के संचालन को लेकर पूर्व में बनाए गए आर्डीनेंस की समीक्षा के लिए भी एक रिव्यू कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी सारे आर्डीनेंस की समीक्षा कर अपनी राय देगी। कमेटी में एग्जाम कंट्रोलर यूपीटीयू प्रो। बीएन मिश्रा, जीएन पांडेय, एसपी त्रिपाठी, आईईटी लखनऊ के डायरेक्टर डॉ। एएस विद्यार्थी व आर्कीटेक्चर के डीन प्रो। जगवीर सिह को शामिल किया गया है।

रिसर्च के लेबोरेट्री व संसाधनों की होगी उपलब्धता

शासन के विकास एजेंडे के तहत रिसर्च को बढावा देने के मसले पर एकेडमिक काउंसिल ने कहा है कि सारे इंजीनियरिंग एवं मैनेजमेंट कॉलेजों में लेबोरेट्री को अपडेट करने के साथ ही संसाधनों की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाएगा। ताकि रिसर्च को बढ़ावा दिया जा सके ।

ताकि स्टूडेंट्स प्रभावित न हो

मेडिकल ग्राउंड पर स्टूडेंट्स को निकवर्ती संस्थानों में एडमिशन देने के लिए पूर्व में वीसी ने प्रो वाइस चांसलर की अध्यक्षता में गठित कमेटी में वर्तमान में प्रतिकुलपति के न होने से स्टूडेंट्स प्रभावित न हो सके। इसलिए पूर्व में गठित समिति में संसोधन किया गया है। अब कमेटी में निदेशक आईईटी डॉ। एएस विद्यार्थी, परीक्षा नियंत्रक व कुलसचिव शामिल किया गया है।

स्टूडेंट्स को मिला स्पेशल कैरी ओवर का मौका

एमटीयू के एमबीए स्टूडेंटस रहे फराज खान को फेल होने के बावजूद मार्कशीट व डिग्री दे दी गई थी। जिसके आधार पर नौकरी करने के दौरान वेरीफिकेशन कराए जाने पर मामला प्रकाश में आया था। चूंकि सारे विषयों में पास होने के बावजूद फराज एग्रीगेट मार्क्स में फेल थे। बैठक के दौरान इस प्रकरण पर विचार करते हुए कमेटी ने पूर्व में जारी डिग्री को कैंसिल करने की संस्तुति के साथ ही स्टूडेंट को एमबीए फ‌र्स्ट ईयर में स्पेशल कैरी ओवर एग्जाम के माध्यम से पास करने की संस्तुति दे दी है। वहीं ख्0क्फ् में एमए मैथ कर चुके व आईईटी के प्रो। वीके सिह के र्निदेशन में पीएचडी कर रहे सैयद आफताब अहमद के मसले पर काउंसिल ने हरी झंडी दे दी है। साथ ही यूनिवर्सिटी को यह भी र्निदेश दिया है कि इस तरह के प्रकरण भविष्य में न दोहराया जाए।