- श्रीनगर, पौड़ी, गोपेश्वर, टिहरी, उत्तरकाशी भी दुर्गम की श्रेणी में

- सुगम-दुर्गम निर्धारण में शासन की गाइड लाइंस की अनदेखी

देहरादून, पौड़ी जिले का श्रीनगर बेशक एक बड़ा शहर हो और शिक्षा का केन्द्र हो, लेकिन यहां आज तक रोडवेज बस नहीं पहुंच पाई है। श्रीनगर में पोस्ट ऑफिस तक नहीं है और यहां दुकानों की संख्या पांच से कम है। ये हम नहीं स्वास्थ्य विभाग कह रहा है। इलाकों के कोटिकरण में श्रीनगर जैसा डेवलप शहर भी दुर्गम की श्रेणी में रखा गया है। विभाग के इस कोटिकरण पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं।

अधिकांश जिला मुख्यालय दुर्गम में चिन्हित

श्रीनगर जैसा ही हाल रुद्रप्रयाग, गोपेश्वर, पौड़ी और उत्तरकाशी का भी है। स्वास्थ्य विभाग ने इस सभी जिला मुख्यालयों को दुर्गम में चिन्हित किया है। इलाकों के कोटिकरण के लिए शासन द्वारा जारी गाइडलाइन का स्वास्थ्य विभाग ने जमकर मजाक उड़ाया है।

गाइडलाइन के मुख्य बिंदु

विभिन्न विभागों को सुगम-दुर्गम निर्धारण करने के लिए शासन की ओर से गाइडलाइन जारी की गई थी। इसके अनुसार जिस कस्बे में रोडवेज बस की सुविधा न हो, पोस्ट ऑफिस न हो और पांच से कम दुकानें हों उसे दुर्गम की श्रेणी में रखा जाएगा। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग ने बड़े नगरों तक को दुर्गम बना दिया है। श्रीनगर जैसे बड़े नगर और डामट जैसे तीन दुकानों वाली जगह को एक श्रेणी में रख दिया गया है।

85 परसेंट इलाका दुर्गम

शासन की गाइडलाइन में कहा कि विभागों को अपने स्तर पर कोटिकरण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दुर्गम और सुगम का रेश्यो 60 और 40 हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कोटिकरण के अनुसार 85 परसेंट क्षेत्र दुर्गम में है और मात्र 15 परसेंट ही सुगम में है।

ये इलाके रखे दुर्गम श्रेणी में

देहरादून का पूरा चकराता ब्लॉक (कालसी को छोड़कर), टिहरी जिले के जिला मुख्यालय और नरेन्द्रनगर को छोड़कर पूरा क्षेत्र, उत्तरकाशी जिले का पूरा क्षेत्र, पौड़ी जिले का कोटद्वार और दुगड्डा को छोड़ पूरा क्षेत्र, रुद्रप्रयाग जिले का पूरा क्षेत्र, चमोली का पूरा क्षेत्र।

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सुगम और दुर्गम की यह लिस्ट फाइनल है। पौड़ी पूरी तरह से दुर्गम क्षेत्र है। श्रीनगर को लेकर अगर कोई विवाद होता है तो इसमें फेरबदल की पूरी गुंजाइश है।

डॉ। अर्चना श्रीवास्तव, डीजी हेल्थ