- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर शहर की सशक्त महिलाओं ने रखे अपने विचार

- दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट के मंच पर महिलाओं के अधिकारों पर गहन चर्चा

LUCKNOW: पुरुष प्रधान समाज में जिम्मेदारियों और संकुचित आवरण रूपी बेडि़यों में जकड़ी आधी आबादी को अब नए सिरे से अपनी आवाज उठानी होगी। अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उन्हें आगे आना होगा। इसके लिए जरूरी है कि उनकी शिक्षा की बुनियाद मजबूत हो साथ ही वित्तीय मजबूती भी मिले। जिससे वे सशक्त बन सकें। गुजरते वक्त के साथ महिलाओं ने हर फील्ड में अपना परचम जरूर फहराया है लेकिन अभी भी कई ऐसी महिलाएं हैं, जो शिक्षित होने के बावजूद पारिवारिक जिम्मेदारियों और वित्तीय अधिकार मजबूत न होने के कारण घुटन भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। अब समय आ गया है, वे खुद आत्मनिर्भर बनकर अपनी जरूरतों और जिम्मेदारियों को बैलेंस करते हुए सशक्तीकरण की नई पटकथा लिखें। ये विचार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से 'महिला सशक्तीकरण क्यों और कितना जरूरी' विषय पर आयोजित परिचर्चा में उन महिलाओं ने रखे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और आत्मविश्वास के बल पर समाज में एक अलग मुकाम हासिल किया।

महिलाओं को पहचाननी होगी अपनी शक्ति

महिलाएं दोहरी भूमिका निभाती हैं। ऐसा नहीं है कि महिलाओं के अंदर शक्ति और क्षमता नहीं है। इस समय हर फील्ड में महिलाएं अपना परचम फहरा रही हैं। महिलाओं के सामने रोजाना कोई न कोई चुनौती सामने आती है। कुछ महिलाएं तो इन चुनौतियां का डटकर सामना करती हैं, जबकि कई घबरा जाती हैं। मेरा मानना है कि महिलाओं को अपने अंदर छिपी शक्ति पहचानते हुए हर चुनौती का डटकर सामना करना चाहिए। उन्हें अपने अधिकार पहचानने होंगे साथ ही आत्मविश्वास की भावना को और मजबूत करना होगा। हम सभी को प्रयास करने होंगे, तभी महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के व्यवहार रूपी बीमारी को जड़ से समाप्त किया जा सकेगा।

- संयुक्ता भाटिया, मेयर

हर महिला को मिले समानता का अधिकार

महिला सशक्तीकरण तभी संभव है, जब उनके निर्णय लेने की क्षमता पर गौर फरमाया जाए। अक्सर देखने में आता है कि परिवार के द्वारा ही महिलाओं द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों को प्रभावित किया जाता है। जिससे कहीं न कहीं महिलाओं के आत्मविश्वास को चोट पहुंचती है। यह बेहद जरूरी है कि महिलाओं को समानता का अधिकार मिले। इसके साथ ही उनकी एजूकेशन पर भी खास ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर महिलाएं शिक्षित नहीं हैं तो उनके सशक्त होने की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। महिला सशक्तिकरण के लिए एक और भी कदम बेहद जरूरी है। यह कदम जुड़ा है विश्वास की भावना से। महिलाओं द्वारा लिए जाने वाले निर्णय और उठाए जाने वाले कदमों पर विश्वास किया जाना जरूरी है।

- ललिता प्रदीप, ज्वाइंट डायरेक्टर, बेसिक शिक्षा निदेशालय

महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी

अगर हमने समाज में सुधार का स्वप्न संजोया है तो यह स्वप्न तभी हकीकत बनेगा, जब महिलाएं शिक्षित होंगी। अगर महिलाएं शिक्षित नहीं हैं तो समाज में बदलाव की परिकल्पना करना बेईमानी है। महिलाओं को शिक्षा के उजियारे में लाने के लिए हर घर से ही शुरुआत करनी होगी। वहीं महिलाओं को भी अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा करना होगा। जिससे वह हर चुनौती का आसानी से सामना कर सकेंगी। महिलाओं को आगे लाने के लिए हमारी ओर से पीपुल पार्टिसिपेशन कमेटी बनाई जाती है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य रहती है। हमारा इस वर्ष भी यही प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को हम कमेटी से जोड़ें।

- ईवा शर्मा, आईएफएस

वित्तीय स्वतंत्रता मिलनी चाहिए

महिलाओं के सशक्तीकरण की राह में वित्तीय स्वतंत्रता बेहद जरूरी है। अगर महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता मिल जाए तो दावे से कहा जा सकता है कि उन्हें सशक्त होने से कोई नहीं रोक सकता। अगर महिला को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त है तो उसके अंदर कोई भी निर्णय लेने की हिम्मत भी आती है। वह बेझिझक कोई भी निर्णय आसानी से ले सकती हैं। वर्तमान में एक बात यह भी जरूरी है कि महिलाएं शिक्षित जरूर हों। अगर महिला शिक्षित होगी तो उसके सामने रोजगार के अवसर भी आएंगे। इसके साथ ही उसके अंदर आत्मविश्वास की भी भावना का जन्म होगा और वह हर चुनौती का आसानी से सामना कर सकेगी।

- डॉ। तूलिका चंद्रा, एचओडी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग, केजीएमयू

पति की कमाई पर महिला का 50 प्रतिशत हक, बने कानून

यह कहना बेहद आसान है कि महिलाओं को शिक्षित होना चाहिए लेकिन आलम यह है कि देश में सिर्फ दो प्रतिशत महिलाएं ही जॉब करती हैं। पढ़ी लिखी होने के बावजूद वह जॉब से दूर रहती हैं। वजह है स्वतंत्रता का अधिकार न मिलना। कई बार देखने में आता है कि शादी के बाद महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते जॉब छोड़ देती हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है। अगर पति कमा रहा है तो उसकी कमाई पर बीवी का 50 प्रतिशत हक है। इस बाबत रूल बनना चाहिए, तभी महिलाओं को स्वतंत्रता का अधिकार मिलेगा। महिलाओं को कानूनी तौर पर अवसर मिलने चाहिए। अगर ऐसा होता है, तभी महिलाएं सशक्त बनेंगी।

- आस्मा हुसैन, डायरेक्टर, एआईएफटी

संबंधों में न्याय की जरूरत

महिलाओं की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वे आसानी से मान लेती हैं कि उन्हें जागरुक किए जाने की जरूरत है। महिलाओं को इस सोच से बाहर आना होगा। वर्तमान में संबंधों में न्याय की जरूरत है। जब तक ऐसा नहीं होगा, किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं आएगा। हम कौन सा काम करें या नहीं, हमें खुद ही तय करना होगा। पति की सैलरी में 50 प्रतिशत का हक मिलने की बात करें तो इस कदम से आपसी संबंधों में प्रेम के बजाए डर की भावना का जन्म होगा और संबंधों में खटास आ जाएगी। महिलाएं शिक्षित तो हो रही हैं लेकिन अभी भी उनके अंदर निर्णय लेने की क्षमता नहीं आई है। हम सभी को इसी दिशा में प्रयास करने होंगे, जिससे महिलाएं कोई भी निर्णय आत्मविश्वास के साथ ले सकें।

- ऊषा विश्वकर्मा, संस्थापक, रेड बिग्रेड संस्था