- हर क्लास में बढ़ रही भीड़ से टीचर्स और स्टूडेंट्स के बीच बढ़ गई है दूरी

- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की तरफ से चल रहे 'खतरे में बच्चे' में पेरेंट्स ने रखी अपनी बातें

बोर्ड मानकों की उड़ा रहे धज्जियां
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की तरफ से चलाए जा रहे कैंपेन 'खतरे में बच्चे' पब्लिश होने के बाद स्कूल व पैरेंट्स के बीच भी मोरल साइंस जैसे गंभीर विषय पर चर्चाएं होने लगी है। पेरेंट्स का मानना है कि स्कूलों में पहले जहां बच्चों की संख्या को लेकर मानक तय था, वहीं शिक्षा के कॉमर्शियलाइजेशन होने से हर क्लास में बोर्ड के मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। बच्चों की तादाद ज्यादा होने से टीचर्स हर बच्चों से इंट्रैक्ट नहीं हो पाती है। वहीं बच्चों के भीतर नैतिकता का पाठ भी अब नहीं पठाया जाता। जब बच्चे कम थे, तो स्कूल की तरफ से बच्चों को मोरल साइंस जैसे सब्जेक्ट के जरिए जानकारियां दी जाती थी, लेकिन अब जब बच्चों की संख्या ज्यादा तो मोरल साइंस जैसे सब्जेक्ट भी खत्म हो गए हैं।

स्कूल वाले करते हैं मनमानी
सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के सैकड़ों स्कूल हैं, लेकिन इन स्कूल वालों की मनमानी रवैये के कारण पेरेंट्स के पास शिकायत करने के लिए कोई विभाग ही नहीं है। जबकि हर जिले में क्षेत्रीय कार्यालय होना चाहिए। जहां पेरेंट्स स्कूल के मनमाने रवैये की शिकायत कर सके। पेरेंट्स की माने तो कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों के साथ स्कूल के मैनेजमेंट व टीचर्स बेरहमी से पेश आते हैं, लेकिन इस मामले की शिकायत के लिए पेरेंट्स से मैनेजमेंट के सदस्य मिलना तक मुनासिब नहीं समझते।

हर बच्चे से होना चाहिए इंट्रैक्शन
मिशनरी स्कूलों को छोड़ दें तो सीबीएसई स्कूलों में पीटीएम के दौरान टीचर्स व पेरेंट्स के बीच सही ढंग से संवाद नहीं हो पाता। बच्चों की मनोदशा न तो टीचर्स ही समझ पाते हैं और ना ही पैरेंट्स। जबकि यह बच्चे के नैतिक विकास में अहम रोल अदा करता है। पेरेंट्स की माने तो अक्सर पीटीएम के दौरान टीचर्स बच्चों की कंप्लेंट लेकर बैठ जाती है। उधर कुछ पेरेंट्स ऐसे हैं जो पीटीएम के दौरान अपने बच्चे की शिकायत करने में लगे रहे हैं, लेकिन पेरेंट्स व टीचर्स दोनों इस बात पर बिल्कुल भी फोकस नहीं करते कि बच्चे के भीतर नैतिक का पाठ पढ़ाने के लिए क्या किया जाना चाहिए।

जब हम लोग स्कूलों में पढ़ते थे, तो मोरल साइंस पर फोकस किया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। जबकि आज की डेट में इसकी बेहद आवश्यकता है।
सुरभि मिश्रा, पेरेंट

जिस तरह की घटनाएं स्कूलों में हो रही है। यह बेहद हैरान करने वाली हैं। निश्चित तौर पर पेरेंट्स व टीचर्स दोनों को ही बच्चे की अच्छी शिक्षा दिलाने में अहम भूमिका निभानी होगी। अगर बच्चे के भीतर मोरल्टिी समाप्त हो जाएगी तो फिर देश के भविष्य चौपट हो जाएगा।
एसएस साहनी, पेरेंट

हमारी पूरी कोशिश होती है कि छात्राओं को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले। इसके लिए जब भी पेरेंट्स टीचर मीटिंग होती है तो बच्चों की खामियों को दूर करने के लिए हमारे टीचर्स, पेरेंट्स के साथ डिस्कस कर प्रॉब्लम सॉर्ट आउट करते हैं। किसी को शिकायत का मौका नहीं देते हैं।
रीमा श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, स्प्रिंगर लोरेटो ग‌र्ल्स स्कूल

बच्चे को सिलेबस के अनुसार जहां पढ़ाई कराई जाती है। उसे इस बात की भी जानकारी दी जाती है कि मोरल साइंस के जरिए कैसे अपने पर्सनाल्टी में चेजिंग ला सकते हैं।
सुरेश यादव, डायरेक्टर, ओंकार शिक्षा निकेतन स्कूल