मामूली विवाद को गार्जियंस बना रहे क्रिटिकल

लड़की मां नहीं बन सकती, लड़के का किसी दूसरी लड़की से नाजायज संबंध है, दहेज के लिए मारपीट करते है, लड़का कुछ करता नहीं है, लड़की को किचन का काम नहीं आता है ऐसे सैकड़ों रीजन है, जिसको लेकर अक्सर पति-पत्नी के बीच कहासुनी होने के साथ विवाद शुरू हो जाता है। फिर मामला काउंसलिंग सेंटर तक जाने के बाद तलाक तक पहुंच जाता है। मगर अब समय बदलने के साथ रिश्ते टूटने का कारण भी बदल रहा है। अब पति-पत्नी के रिश्ते टूटने की स्टार्टिंग तो उनके आपसी टकरार से होती है, मगर मामला फैमिली मेंबर्स सुलझाने के बजाए बढ़ा देते हंै। फैमिली मेंबर्स पति-पत्नी के झगड़े को खत्म करने के बजाए उन्हें काउंसलिंग सेंटर तक पहुंचा देते हैं। जहां वे पति-पत्नी को मिलाने के बजाए खुद एक दूसरे से टकराने लगते हैं। फिर इस मामले को ईगो पर लेते हुए दोनों को अलगाव तक ले जाते हंै, क्योंकि एक समय बाद पति-पत्नी तो समझौता के लिए तैयार हो जाते हैं, मगर उनके फैमिली मेंबर्स इसे इज्जत की बात मान कर झुकने को तैयार नहीं होते। नतीजा फैमिली के प्रेशर में पति-पत्नी भी चाहते हुए एक नहीं हो पाते।

Case 1

दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले रमेश की शादी सिटी की स्वीटी (दोनों नाम काल्पनिक) से हुई थी। शादी के बाद दोनों दिल्ली में रहने लगे। रमेश और स्वीटी दोनों संपन्न और रसूखदार फैमिली से जुड़े थे। शादी के 6 माह बाद तक सब ठीक चल रहा था। एक दिन अचानक किसी बात को लेकर रमेश और स्वीटी में कहासुनी हो गई। मामला मारपीट तक जा पहुंचा। नाराज स्वीटी पति का घर छोड़ मायके आ गई और पूरी बात अपने फैमिली मेंबर्स को बताई। बेटी का दर्द पूरी फैमिली को नागवार गुजरा। मामला बढ़ते-बढ़ते थाने पहुंच गया। समय बीतने के साथ रमेश और स्वीटी को अपनी गलती का अहसास होने लगा। वे विवाद भूल कर फिर एक दूजे का होने का प्रयास करने लगे, मगर तब तक दोनों फैमिली में काफी विवाद बढ़ चुका था। दोनों फैमिली किसी भी कंडीशन में समझौता करने को तैयार नहीं है। नतीजा फैमिली के प्रेशर में रमेश और स्वीटी चाहते हुए भी एक दूजे के साथ नहीं रह पा रहे हंै।

Case 2

महेश की एक साल पहले रूपा से शादी हुई थी। शादी के 3 माह बाद ही मामूली बात को लेकर दोनों के बीच कहासुनी होने लगी। मामला बढ़ते-बढ़ते अलगाव तक पहुंचा। दोनों फैमिली के बीच पंचायत बैठने लगी। महेश और रूपा की प्रॉब्लम पूरी फैमिली को मालूम हो गई। समय बीतने के साथ महेश और रूपा का विवाद सिर्फ उनके बीच नहीं बल्कि दोनों परिवार के लोगों के बीच अलग-अलग होने लगा। कभी महेश के भाई और रूपा के जीजा के बीच विवाद हो जाए तो कभी महेश के पिता और रूपा के भाई के बीच। धीरे-धीरे दोनों फैमिली के बीच दूरियां बढऩे लगी। अब महेश और रूपा अपने फ्यूचर को देख कर समझौता करने को रेडी है। मगर दोनों फैमिली मेंबर्स अब समझौता करना नहीं चाहते। क्योंकि वे महेश और रूपा की प्रॉब्लम को भूल कर इसे ईगो बना रखा है।

पति-पत्नी के बीच टूट रहे रिश्तों के कई कारण है। मगर सबसे बड़ा कारण पति-पत्नी के फैमिली मेंबर्स है। ऐसे अधिकांश मामले होते हैं, जिसमें पति-पत्नी दोबारा साथ रहने को तैयार रहते है, मगर फैमिली मेंबर्स के प्रेशर में वे साथ नहीं रह पाते। ऐसे अधिकांश मामले होते है, जिसमें फैमिली मेंबर्स को समझाने के बाद पति-पत्नी खुद ही मान जाते है।

डॉ। एस श्रीवास्तव, काउंसलर

report by : kumar.abhishek@inext.co.in