असल में एफिल टॉवर स्मारक के आसपास पाकेटमार गिरोहों की संख्या तेजी से बढ़ती  जा  रही है. इससे स्मारक के कर्मचारियों को पर्यटकों को सुरक्षा देने में कठिनाई हो रही थी. इसी के विरोध कर्मचारियों ने काम का बहिष्कार किया. बाद में उच्च अधिकारियों के दखल के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म कर दी.

पर्यटकों से हमेशा भरे रहने वाले एफिल टॉवर का इस तरह बंद होना वर्ष 2013 में लाउरे संग्रहालय की हड़ताल की याद भी दिलाता है. तब भी कर्मचारियों ने अक्सर हिंसक हो जाने वाले पॉकेटमारों के विरोध में हड़ताल कर दी थी.

 

126 वर्ष पुराने टॉवर के कर्मचारियों ने एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने ये कदम पॉकेटमारों की बढ़ती संख्या के साथ उनकी धमकियों व हमलों के विरोध में उठाया है. हड़ताल कर रहे एक कर्मचारी ने कहा कि ये पॉकेटमार चार-पांच के गिरोह में रहते हैं, कई बार तो संख्या तीस तक भी पहुंच जाती है. कई बार वो आपस में ही लड़ते हैं.

एक अन्य कर्मचारी ने कहा कि पीछा करने या रोके जाने पर ये पॉकेटमार धमकियां देते हैं. बयान में कर्मचारियों ने कहा कि वह चाहते हैं कि प्रबंधन सुनिश्चित करे कि इसे रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे.

हालांकि इसके कुछ घंटे बाद प्रबंधन द्वारा भरोसा दिए जाने के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म कर दी और काम पर लौट आए. हर साल करीब 70 लाख लोग एफिल टॉवर को देखने आते हैं.

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