RANCHI : लोकसभा के तीसरे चरण की चार सीटों में से दो हाई प्रोफाइल दुमका और राजमहल सीट पर सबकी निगाहें टिकी हैं। दोनों सीट पर डू और डाई की स्थिति है। आकलन के मुताबिक, दुमका त्रिकोणीय संघर्ष में फंसा है। जहां से दो एक्स सीएम शिबू सोरेन और बाबूलाल मरांडी के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है। दुमका का चुनाव जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी की राजनीति के साथ-साथ झारखंड की राजनीति की दिशा भी तय करेगी। यदि बाबूलाल मरांडी दुमका सीट से विजयी होते हैं, तो आनेवाले विधानसभा चुनाव में वे कद्दावर नेता के रूप में उभरेंगे। वहीं, शिबू सोरेन का भी उनका राजनीतिक करियर दांव पर लग चुका है। चुनाव से पूर्व झामुमो में उभरे मतभेद और टिकट नहीं मिलने के स्थिति में कई विधायकों ने झामुमो से इस्तीफा देकर दूसरे दलों का दामन थामा है। अपना वजूद खड़ा करने के लिए उन्हें दुमका चुनाव में जीत हासिल करना ही होगा।

बीजेपी व अन्य दल भी कर रहे सेंधमारी

एक ओर जहां दुमका में जेवीएम और झामुमो के बीच कड़ा संघर्ष होने के आसार नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नमो की लहर है और भाजपा कैंडीडेट सुनील सोरेन भी इस चुनाव में अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं। गोड्डा से निशिकांत दूबे और फुरकान अंसारी में टक्कर है, जहां फुरकान अंसारी को मुस्लिम वोट समेत अनेक वोटों के मिलने के आसार हैं। निशिकांत दूबे भी अपना दम-खम बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा चुके हैं।

कैंडीडेट के पक्ष में लगाया जोर

झारखंड सरकार में सहयोगी दल राजद और कांग्रेस के कई सदस्य भी झामुमो प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार में शामिल हुए। कई मंत्रियों और नेताओं ने वोट देने की अपील की है। किसी ने खुद को दुमका की बेटी बताया है, तो कई प्रत्याशियों ने खुद को दुमका ही नहीं, पूरे झारखंडी होने का दावा किया।

वोट बैंकों पर रहेगी नजर

दुमका चुनाव में सभी प्रत्याशियों की नजर अपने-अपने वोट बैंकों पर है। वे किसी भी हाल में वोट बैंक को दूसरे की पाली में जाते हुए नहीं देख सकते हैं। इसके लिए स्थानीय स्तर पर कैंपेनिंग भी की गई। कई लोगों को भविष्य का सपना दिखाया गया और अपने पक्ष में वोट देने की अपील की गई।