आई-एनालेसिस

-बीजेपी आफत में, कांग्रेस ने रखा दिल पर पत्थर

-गदरपुर के टिकट का भी है परिवारवाद कनेक्शन

-अनुपमा के सियासी भविष्य का भी रहेगा ख्याल

DEHRADUN: विधानसभा के इस बार के चुनाव में परिवारवाद का पचड़ा दोनों प्रमुख दलों को बेचैन किए हुए हैं। परिवारवाद पर कांग्रेस को घेरने वाली इस मामले में खुद बुरी तरह फंसी हुई दिख रही है। उनके प्रमुख नेताओं को सफाई में कुछ ठोस कहते हुए नहीं बन रहा है। वहीं, कांगे्रस ने परिवारवाद से दिखाने के लिए किनारा तो किया है, लेकिन ऐसा फैसला करते हुए दिग्गजों को दिल पर पत्थर रखना पड़ा है।

बीजेपी की हर तरफ खिंचाई

बीजेपी ने कई सीटों पर परिवारवाद के उदाहरण पेश किए हैं। यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य हों या फिर मुन्ना सिंह चौहान और उनकी पत्‍‌नी मधु चौहान को ले लीजिए, पार्टी की हर तरफ खिंचाई हो रही है। पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु को मिले टिकट पर भी कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। चुनाव प्रभारी जेपी नड्डा से सोमवार को जब ये सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि प्रत्याशियों को उनके गुण दोष के आधार पर टिकट दिया गया है।

गदरपुर के गदर के पीछे परिवारवाद

कांग्रेस ने जिन 7 सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं, उनमें गदरपुर सीट भी शामिल है। यहां पर प्रदेश सह प्रभारी संजय कपूर की सास रीना भी टिकट की दावेदार हैं। इसके अलावा कई और दावेदार भी जोर लगा रहे हैं। रीना का टिकट फाइनल करने पर परिवारवाद के ठप्पे का डर कांग्रेस को सता रहा है।

अनुपमा ही संभालेगी हरिद्वार की डोर

परिवारवाद की तोहमत से बचने के लिए ऐन टाइम पर सीएम हरीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण सीट से खुद लड़ने का फैसला जरूर किया है, लेकिन माना जा रहा है कि चुनाव पूरा अनुपमा ही संभालेगी। माना ये भी है कि यदि हरीश रावत दोनों सीटों से जीतते हैं, तो वह हरिद्वार ग्रामीण को ही छोडे़ंगे, ताकि अनुपमा का सेटलमेंट हो सके।