कांग्रेस में अध्यक्ष को खुद झेलनी पड़ रही है बगावत

-7 सीटों पर जल्द ऐलान का दबाव, बगावत का खतरा

DEHRADUN: उत्तराखंड की सियासत के दो प्रमुख केंद्र कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद दोनों जगह बगावत के बिगुल बज रहे हैं। दोनों दलों के बडे़ नेता आपदा प्रबंधन की कोशिश में जुटे जरूर हैं, लेकिन हालात बता रहे हैं कि बगावत थामना बहुत आसान नहीं रहने वाला। कांग्रेस के साथ इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि प्रदेश अध्यक्ष की सीट बगावत की आग में सबसे ज्यादा जल रही है।

हरदा की चाल, किशोर बेहाल!

टिकट वितरण में माना जा रहा है कि हरीश रावत की जमकर चली है। हरदा के खिलाफ कई मौके पर मोर्चा खोलने वाले किशोर को सहसपुर की सीट थमाने के पीछे हरदा का हाथ भी माना जा रहा है। क्योंकि किशोर के लिए अब सहसपुर सीट को बहुत आसान नहीं माना जा रहा है। यहां से पिछले चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रहे आर्येद्र शर्मा के समर्थकों ने जिस तरह से कांग्रेस भवन में ट्रेलर दिखाया, वह अपने आप में आने वाले दिनों की कहानी कह रहा है। आर्येद्र शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इसके अलावा, पिछले चुनाव में बागी लड़ने वाले गुलजार अहमद की भी पूरी तैयारी है।

किशोर को भी फंस जाने का अहसास

पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय के इस बयान पर गौर फरमाइये। किशोर कह रहे हैं कि वह चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि लड़वाना चाहते थे, मगर हाईकमान का आदेश शिरोधार्य है। उन्होंने ये भी कहा है कि हो सकता है कि व्यक्तिगत तौर पर सहसपुर सीट से लड़ने से उन्हें नुकसान हो, लेकिन पार्टी हित में वह ये नुकसान उठाने के लिए तैयार हैं।

कई सीटों पर बगावत के बादल

कैंट सीट पर सूर्यकांत धस्माना के टिकट का विरोध करते हुए कई दावेदार लामबंद हो गए हैं। इसी तरह, रुद्रप्रयाग जिले में जिस तरह से लक्ष्मी राणा को टिकट दिया गया है, उसका भी विरोध हो रहा है। पुरोला में राजेश जुवांठा का टिकट कटने से विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं।