- शक्ति भवन-मध्यांचल मुख्यालय में प्रदर्शन कर दर्ज कराया विरोध

- निजीकरण संबंधी फैसले को वापस लिए जाने की मांग उठाई

LUCKNOW

लखनऊ समेत पांच जिलों की बिजली को निजी हाथों में दिए जाने को लेकर एक बार फिर से महकमे के कर्मचारियों का आक्रोश भड़का। गुस्साए कर्मचारियों ने शक्ति भवन और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने मांग रखी है कि सरकार निजीकरण संबंधी फैसले को वापस ले। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग पर सुनवाई न हुई तो 27 मार्च से व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा।

काली पट्टी बांधकर दर्ज कराएंगे विरोध

उप्र पावर आफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय पर सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक जोरदार प्रदर्शन व धरना दिया गया। एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष ने सरकार के कैबिनेट निर्णय को बिना नियामक आयोग अनुमति के लागू किया जाना असंवैधानिक बताया। एसोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम, अति। महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव अजय कुमार, मध्यांचल अध्यक्ष शक्ति सिंह, सिविल इकाई अध्यक्ष बीना दयाल ने भी घोषणा की है कि जब तक फैसला वापस नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा। 20 मार्च से पूरे प्रदेश के दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जतायेंगे और 27 मार्च को व्यापक संघर्ष के लिये मैदान में उतरेंगे। प्रदर्शन करने वालों में राकेश पुष्कर, बीके आर्या, एसपी सिंह, मनोज सोनकर आदि शामिल रहे।

27 को प्रांतव्यापी कार्य बहिष्कार

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के आह्वान पर प्रदेशभर से आए बिजली कर्मचारी संगठनों ने शक्ति भवन पर सभा करते हुए निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद की। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि एक ओर तो उप्र सरकार एक साल की अवधि पूरी होने पर उपलब्धियों का जश्न मना रही है, जिसमें बिजली के क्षेत्र में सुधार की उपलब्धियां बहुत महत्वूपर्ण हैं। जिन पांच जिलों में बिजली का निजीकरण किया जा रहा है। वहां रेवन्यू की स्थिति बेहतर है। विरोध सभा में समिति के प्रमुख पदाधिकारी शैलेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, गिरीश पांडेय, सद्रूद्दीन राना, सुहैल आबिद, विपिन प्रकाश वर्मा, राजेंद्र घिल्डियाल, परशुराम आदि मौजूद रहे।