- पुअर मेनटेनेंस के कारण शहरवासियों को पॉवर कट से नहीं मिल रही है राहत

- देर से मेनटेनेंस वर्क शुरू करने का खामियाजा भुगत रहे लोग, डेली जा रही बिजली

- स्टेट में बिजली उत्पादन महंगा, निजी कंपनियों से बिजली खरीदने की को मजबूर

PATNA: लगातार मेनटेनेंस के बावजूद राजधानी पटना में पॉवर कट से लोगों को राहत नहीं मिल रही है। दिन और रात दोनों टाइम शहर के विभिन्न इलाकों में बिजली गुल होने से लोग परेशान हैं। एक ओर तो ट्रेंड स्टाफ की कमी और दूसरी ओर बिजली की मांग में लगातार बढ़ोतरी, ऐसे में कैसे होगी अनइंटरप्टेड पॉवर सप्लाई। इसी बात को जानने-समझने में समय बीत गया, लेकिन आज भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। आलम यह है कि विभिन्न मोहल्लों में ओवरलोड से बचने के लिए ट्रांसफॉर्मर की क्षमता बढ़ायी गई, लेकिन वहां भी बिजली कट रही है। कारण मेनटेनेंस के अंतर्गत कई काम पूरा करना था, लेकिन तय लक्ष्य से बहुत पीछे ही रह गई कंपनियां।

फ्लॉप रहा मेनटेनेंस प्रोजेक्ट

एपीडीआरपी योजना यानी रिस्ट्रक्चर्ड एक्सेलरेटेड पॉवर डेवलपमेंट एंड रिफार्म प्रोग्राम के अंतर्गत दो साल पहले ही यह योजना शुरू की गई थी, लेकिन मेनटेनेंस वर्क की कछुआ चाल से हो रही प्रोग्रेस के कारण कहीं भी काम सही से नहीं हो पाया है। जानकारी हो कि यह केन्द्र सरकार की ओर से इसके लिए राज्य को सर्पोट किया जाता है, लेकिन राज्य इस काम को समयबद्ध तरीके से पूरा करने में विफल रहा है।

कार्रवाई तो हुई, पर हुआ क्या

जानकारी हो कि यह योजना मात्र 18 माह में पूरा किया जाना था, जो मार्च 2015 में पूरा होता। मेनटेनेंस वर्क पूरा नहीं होने के कारण 16 अगस्त, 2015 को साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के एमडी आर लक्षमणन ने काम की समीक्षा की और काम में लगी दो एजेंसियों की बैंक गारंटी जब्त कर ली गई। एजेंसियों को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। कंपनी का कहना है कि काम की निरंतर समीक्षा की जा रही है। इसे वीवीजी एजेंसी और पोली कैब को दिया गया था, पर अभी भी काम की सुस्त रफ्तार है।

काम जो नहीं हो सका

एपीडीआरपी योजना के तहत 29 पॉवर सब स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जाना था, बाकी 18 पॉवर सबस्टेशनों के 59 पॉवर ट्रांसफॉर्मर को पांच केवीएस से 10 केवीएस में बदलने, 500 केवीएस का 83 जगहों पर नया डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर लगाने, 315 केवीएस का 435 जगहों पर नया डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर लगाने की योजना थी। इसके अलावा 200 केवीए का 537 नया डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर लगाने की योजना थी।

पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन का लोचा

डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम की गड़बड़ी के कारण पॉवर कट की प्रॉब्लम से राहत नहीं मिल पा रहा है। इसे दुरुस्त किए बिना हर घर तक बिजली दिए जाने की बात बेमानी है। मेनटेनेंस वर्क में करीब 50 जगहों पर नया डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम बाकी है। इसके अलावा फीडरों की स्थिति में भी सुधार करना होगा।

The other side

निजी कंपनियों से मिलेगी सस्ती बिजली

बिहार में बिजली का उत्पादन महंगा है, जबकि प्राइवेट बिजली कंपनियों से बिजली की कीमत दो गुना से भी कम है। अब इस बात को ध्यान में रखते हुए बिहार स्टेट पॉवर होल्डिंग कंपनी ने बाजार से सस्ती बिजली खरीदने का निर्णय किया है। इसके लिए कंपनी ने टेंडर भी निकाल दिया है। जानकारी हो कि अभी स्टेट में अधिकतम 2700 मेगावाट बिजली की उपलब्धता है। सूत्रों ने बताया कि करीब 700 मेगावाट बिजली की खरीद की जा सकती है। फिलहाल बिहार को बाढ़ से 505 मेगावाट बिजली 6.10 रूपये प्रति यूनिट से मिल रही है। दादरी से 5.20 रुपए प्रति यूनिट मिल रही है, जबकि निजी कंपनियों से बिजली पौने तीन रुपए के करीब होगी।

Highlights

-पटना में बिजली की डिमांड (सामान्य) भ्00 मेगावाट

-पटना में पिक ऑवर में डिमांड- भ्भ्0 मेगावाट

-ट्रांसफॉर्मर्स की संख्या -करीब फ्00