-करोड़ों की कमाई कर खुद भी खाया अफसरों को भी खिलाया, हर बस में पैसेंजर्स से दोगुना मालभाड़े में की कमाई

-फजलगंज से रायपुरवा तक में खोले ऑफिस, माल बुकिंग से लेकर झकरकटी बस अड्डे से पैसेंजर चोरी के भी आरोप

- कुछ ही सालों में झकरकटी के पास अवैध बस अड्डा शुरू कर यूपीएसआरटीसी को दी चुनौती

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KANPUR: शताब्दी ट्रवैल्स के मालिक ट्रांसपोर्टर लालू गंगवानी ने कॉमर्शियल टैक्स विभाग और आरटीओ के भ्रष्ट अफसरों संग मिल कर जो 'साम्राज्य' खड़ा किया, उसमें माल ढुलाई से होने वाली कमाई को समझें तो कई बड़ी बड़ी लॉजिस्टिक्स सपोर्ट कंपनियों के होश उड़ जाएंगे। काली कमाई के इस साम्राज्य को लालू गंगवानी ने शताब्दी एक्सप्रेस से भी तेज रफ्तार से खड़ा किया। कुछ ही सालों में यह शहर में यूपीएसआरटीसी के बस सर्विस नेटवर्क को कमाई के मामले में चुनौती देने लगा। दो साल पहले झकरकटी के पास जीटीरोड पर अवैध बस अड्डा शुरू कर मानो उसने यूपीएसआरटीसी को सीधी टक्कर दे दी। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में पता चला कि कैसे बस में यात्रियों से दो गुनी कमाई, लालू गंगवानी की शताब्दी ट्रैवल्स ने कार्मशियल टैक्स चोरी के माल की ढुलाई से की।

स्पेशली डिजाइन हाेती थी बस

नाम न पब्लिश करने की शर्त पर आरटीओ के एक बड़े दलाल ने बताया कि शताब्दी ट्रैवल्स की स्लीपर बसें पहले तो आरटीओ के मानकों पर खरी नहीं उतरती थी। ज्यादा से ज्यादा माल ढुलाई के चलते यह ओवरलोडेड थीं। बस को इस तरह से डिजाइन ही किया जाता था कि उसमें ज्यादा से ज्यादा माल लादा जा सके। बस की छत को भी इसी लिए ऊंचा किया जाता था। इसके अलावा बस के पीछे व सीटों के नीचे साइड में भी माल ढुलाई के लिए बड़ी जगह बनाई जाती थी। जोकि बाहर से पता भी नहीं चलती थी।

ऊपर तक पहुंचती थी कमाई

सेल्स टैक्स और आरटीओ से जुड़े कई दलालों से दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने बात की तो उन्होंने बताया कि शताब्दी ट्रैवल्स के टैक्स चोरी के माल की ढुलाई से होने वाली काली कमाई में आरटीओ और कॉर्मशियल टैक्स विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की बराबर की हिस्सेदारी थी। यह कमाई दोनों ही विभागों के प्रवर्तन दस्तों के जरिए ही ऊपर तक पहुंचाई जाती थी। आईटी विभाग की रेड के दौरान शताब्दी ट्रैवल्स के ठिकानों से मिले कई दस्तावेज भी इसकी पुष्टि करते हैं कि काली कमाई की ट्रेल कहां तक थी। इसी के बाद ही दोनों विभागों के अधिकारियों पर शिकंजा कसा गया। जोकि अभी आगे भी जारी रहेगा।

यूपीएसआरटीसी को भी दी चुनौती

शताब्दी ट्रैवल्स ने दो साल पहले ही फजलगंज से निकल कर अफीमकोठी में भी अपना ऑफिस खोला जहां से टिकट व माल ढुलाई भी होती थी। अभी भी रात को कई बसें जीटीरोड को ही बस अड्डा बना कर रवाना की जाती हैं। जिस पर पुलिस आंख मूंदे रहती है। झकरकटी के बेहद पास होने की वजह से पैसेंजर्स की उपलब्धता 24 घंटे के लिए होती है। इसका फायदा शताब्दी ट्रैवल्स ने भी उठाया और कई एजेंट भी बस अड्डे पर सक्रिय कर दिए जिन्हें कमीशन दिया जाता था।

ऐसे समझें एक बस के एक राउंड की इकॉनमी

दिल्ली से कानपुर नॉन ऐसी सिटिंग प्लस स्लीपर कोच

- संख्या-किराया

कुल बर्थ-30-630- 18900

सिटिंग- 13-525- 6825

कुल किराया- 25,725

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माल ढुलाई से इंकम-

एक किलो माल का भाड़ा- 10 रुपए

नान एसी स्लीपर कोच की ढुलाई की क्षमता- 5 टन तक

कमाई हुई- 45,350

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47- एसी और नान एसी बसें शताब्दी ट्रैवल्स के पास

70- शहरों के लिए रोज चलती ये बसें

7- राज्यों में जाती शताब्दी की बसें, गुजरात, महाराष्ट्र के लिएी सर्विस

10- मुख्य हाईवे रुटों पर बसोंी सर्विस

4- तरह की बसें मल्टी एक्सल वाल्वो से लेकर सिर्फ स्लीपर बसें

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कमिश्नर का वर्जन