211वीं बैठक के बाद

केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने चेन्नई में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) की 211वीं बैठक के बाद कहा कि ब्याज दर में की गई यह वृद्धि "अंतरिम" है। आगे इसमें संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में मंदी के हालात हैं। भारत में भी ब्याज दरें गिर रही हैं और भारतीय रिजर्व बैंक तथा दूसरी सरकारी एजेंसियां बाजार की स्थितियों पर लगातार नजर रखे हुए हैं। पिछली बार हमने 8.75 फीसद की दर से ब्याज दिया था। परंतु इस बार हालात को देखते हुए हमने कर्मचारियों को 8.8 फीसद ब्याज देने का निर्णय लिया है। हम कामगारों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम पीछे की बजाय आगे की ओर देखना चाहते हैं। यही वजह है कि लंबी चर्चा के बाद अंततः हमने इतनी वृद्धि का निर्णय लिया।

285 करोड़ का सरप्लस

यदि हम 8.90 फीसद ब्याज देते तो ईपीएफओ के पास केवल 285 करोड़ का सरप्लस रहता। जबकि 8.8 फीसद ब्याज दर से हमारे पास 683 करोड़ का सरप्लस होगा। यह ब्याज दर अंतिम नहीं है। सीबीटी इस पर अभी और बैठक करके विचार करेगा और देखेगा कि क्या और बढ़ोतरी संभव है। "जहां तक मेरी खुद की राय है, मैं इसे और बढ़ोतरी चाहता हूं। बैठक में भाग लेने वाले ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव डीएल सचदेव ने कहा श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के दबाव के आगे घुटने टेक दिए हैं क्योंकि 91 करोड़ के सरप्लस के हिसाब से ईपीएफओ की फाइनेंस कमेटी ने 8.95 ब्याज दर की सिफारिश की थी। जबकि ईपीएफओ के आकलन के मुताबिक 9 फीसद ब्याज दर देने पर 102 करोड़ का घाटा होता।

1 अप्रैल 2016 से प्रभावी

डाकघर में पैसा जमा करने वालों को अब कम ब्याज मिलेगा। सरकार ने किसान विकास पत्र तथा एक वर्षीय, दो वर्षीय और तीन वर्षीय सावधि जमाओं और पांच वर्षीय आवर्ती जमाओं पर ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत कटौती का फैसला किया है। नई ब्याज दरें एक अप्रैल 2016 से प्रभावी होंगी। हालांकि केंद्र ने सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और पीपीपी सहित दीर्घकालिक योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दर में कोई कटौती नहीं की है। सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय करते हुए लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर में हर तिमाही समीक्षा करने का फैसला किया है। सरकार के इस कदम से ब्याज दरें नीचे आने का रास्ता साफ होगा जिससे अर्थव्यवस्था में ऋण और निवेश प्रवाह बढ़ेगा। वित्त मंत्रालय का कहना है कि सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और मासिक आय योजना पर ब्याज दर बरकरार रखेंगी। इन पर फिलहाल सरकारी प्रतिभूतियों की दर से एक 0.25 प्रतिशत से 1 प्रतिशत तक अधिक ब्याज मिलता है।

इनमें कोई बदलाव नहीं

इसी तरह पांच वर्ष की अवधि वाले राष्ट्रीय बचत पत्र और पीपीएफ पर भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। फिलहाल पीपीएफ पर 8.7 प्रतिशत, सुकन्या समृद्धि योजना पर 9.2 प्रतिशत और एमआइएस पर 8.4 प्रतिशत ब्याज मिलता है। मंत्रालय का कहना है कि केवीपी, एक वर्षीय, दो वर्षीय और तीन वर्षीय सावधि जमाओं और पांच वर्षीय आवर्ती जमाओं पर फिलहाल मिलने वाली 0.25 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज की सुविधा एक अप्रैल 2016 के बाद उपलब्ध नहीं होगी। इस तरह इन बचत योजनाओं पर बैंकिंग क्षेत्र की तरह ही ब्याज मिलेगी। सरकार ने पीपीएफ खाते को गंभीर बीमारी या बच्चों की उच्च शिक्षा जैसे मामलों में पीपीएफ खातों के समय से पहले बंद करने की अनुमति भी दे दी। हालांकि ऐसा करने पर एक प्रतिशत ब्याज कम मिलेगा। हर तिमाही के लिए ब्याज दरें उससे पूर्व के महीने की 15 तारीख को ही तय हो जाएंगी।

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