- 15 दिन के लिए हड़ताल हुई स्थागित, काम पर लौटे कर्मचारी

- जीओसी व सीईओ के आश्वासन के बाद माने कर्मचारी

- कांवड़ यात्रा को देखते हुए कर्मचारी काम पर लौटे

- कैंट क्षेत्र में शुरू हुई सफाई, लोगों को मिली राहत

Meerut: आखिरकार 12 दिन की हड़ताल के बाद कैंट बोर्ड के कर्मचारी काम पर लौट ही आए। जीओसी व सीईओ के आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने 15 दिन के लिए हड़ताल स्थगित कर दी। कांवड़ के बाद यदि कर्मचारियों की मांगे पूरी नहीं हुई तो वह दोबारा से हड़ताल पर जाएंगे। शुक्रवार को जीओसी और सीईओ से वार्ता के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल स्थागित करने घोषणा की।

जूस पिलाकर हड़ताल स्थागित कराई

जीओसी मेजर जनरल के। मनमीत सिंह ने क्रमिक अनशन पर बैठे कर्मचारियों को जूस पिलाकर हड़ताल स्थगित कराई। सफाई व्यवस्था शुरू होने के साथ ही कैंट बोर्ड के स्कूल खुल और कैंट अस्पताल की ओपीडी भी खुल जाएगी।

11 जुलाई से थे हड़ताल पर

कैंट कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को झूठा बताते हुए उसे वापस लिए जाने की मांग को लेकर 11 जुलाई से छावनी परिषद यूनियन और सफाई यूनियन के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे।

यह हुआ तय

शुक्रवार को कैंट कर्मचारियों और सीईओ राजीव श्रीवास्तव व जीओसी मेजर जनरल मनमीत के सिंह के साथ वार्ता हुई। अधिकारियों ने कर्मचारियों से कांवड़ यात्रा को लेकर अपनी हड़ताल स्थगित करने की अपील की। जीओसी मेजर जनरल मनमीत के सिंह ने कर्मचारियों से वार्ता के दौरान कहा कि लाखों शिवभक्त छावनी से होकर कांवड़ लेने जाते हैं। उनकी व्यवस्था और छावनी की जनता की मांग को देखते हुए कर्मचारियों को स्थगित कर देना चाहिए। जीओसी ने कहा कि न्याय पर सभी को भरोसा होना चाहिए। वह पूरी तरह से कर्मचारियों के साथ हैं। लेकिन इस समय कांवड़ को देखते हुए हड़ताल तुरंत स्थगित करनी चाहिए। सीईओ ने भी कहा कि कानून अपना काम करता रहे लेकिन कर्मचारी जनहित को देखते हुए निर्णय लें। कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने भी अधिकारियों से मिले आश्वासन के बाद पंद्रह दिन के लिए हड़ताल स्थगित कर दी।

420 मीट्रिक टन कूड़े का ढेर

कर्मचारियों की लगातर 12 दिन की हड़ताल से पूरी छावनी कूड़े के ढेर में तब्दील हो गई है। छावनी में प्रतिदिन 35 मीट्रिक टन कूड़ा उठाया जाता है। इस हिसाब से 420 मीट्रिक टन कूड़ा एकत्रित हो गया है।

तीन दिन में स्वच्छ हो जाएगी छावनी

यूनियन के नेता विक्रांत ने कहा कि कांवड़ के लिए वह जी जान लगा देंगे। तीन दिन में नरक बनी छावनी को चमका देंगे, हर कर्मचारी कैंट की छवि व सफाई के लिए पूरा योगदान करेगा। पंद्रह दिन तक वह पूरा सहयोग करेंगे, लेकिन उनके कर्मचारियों पर दर्ज मुकदमा वापस नहीं हुआ तो वह फिर हड़ताल पर जाएंगे।

कर्मचारियों को यह मिला आश्वासन

- पुलिस की जांच तक आरोपी कर्मचारियों की गिरफ्तारी नहीं होगी।

- कर्मचारियों को काम के दौरान पूरी सुरक्षा रहेगी।

- बिल्डर आनंद प्रकाश पर भी 302 का मुकदमा दर्ज हो।

यह था पूरा मामला

नौ जुलाई को हाईकोर्ट के आदेश के बाद कैंट बोर्ड ने अनाधिकृत तरीके से बने बंगला नंबर 210 बी के आरआर मॉल के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की थी। इस दौरान चार लोग मलबे में दबकर मर गए। मामले में व्यापारियों के दबाव में कैंट बोर्ड से सीईओ राजीव श्रीवास्तव, सीईई अनुज सिंह, सहायक अभियंता पीयूष गौतम, योगेश यादव, अवधेश यादव, अरविंद गुप्ता और अन्य के खिलाफ 302 का मुकदमा दर्ज कराया गया। इसमें अनुज सिंह की गिरफ्तारी हो चुकी है।

मैं कर्मचारियों की भावना का सम्मान करता हूं, उन्होंने हड़ताल स्थगित की है। 210 बी एक हादसा था। न्यायिक प्रक्रिया चल रही है। उसमें जरूर समाधान निकलेगा। किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।

मेजर जनरल मनमीत के सिंह, अध्यक्ष, कैंट बोर्ड

कांवड़ यात्रा को देखते हुए कैंट कर्मचारियों की जिम्मेदारी अधिक है। कैंट की जो साफ सुथरी छवि है, उसमें कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित करके मान रखा है। दो से तीन दिन में पूरी छावनी में पहले जैसी स्थिति बहाल हो जाएगी।

राजीव श्रीवास्तव, सीईओ, कैंट बोर्ड

छावनी की जनता के हित में बोर्ड अध्यक्ष ने हड़ताल खत्म कराकर उल्लेखनीय काम किया है, उम्मीद है कि कर्मचारी पूरी लगन ने जनहित के कामों को गति देंगे।

बीना बाधवा, उपाध्यक्ष, कैंट बोड

हड़ताल खत्म हो गई यह बहुत बड़ी खुशखबरी है। इन 12 दिनों में बहुत ही परेशानी हुई। सफाई न होने के कारण नरक बन गया था क्षेत्र।

काजू, लालकुर्ती

कर्मचारियों ने हड़ताल बेवजह कर रखी थी। कानून अपना काम कर रहा है। यदि कोई निर्दोष होगा तो वह अपने आप ही झूठ जाएगा। काम ठप नहीं करना चाहिए था।

नरेश, लालकुर्ती

कर्मचारियों के हड़ताल की सजा यहां की जनता को भुगतनी पड़ रही है। हर तरफ कूड़े का ढेर लग गया है। हमने घर के बाहर की सफाई खुद की। बाद में पैसे देकर कूड़ा उठवाया।

प्रीती, तोपखाना

हड़ताल खत्म हो गई है। कम से कम अब सफाई तो हो जाएगी। कैंट बोर्ड को इसका विकल्प सोचना चाहिए था। इन 12 दिनों में बहुत परेशानी हुई। घर से निकलना दूभर हो गया था।

विनीता, रजबन बाजार