काम में रुचि नहीं

बुधवार देर रात 40 किशोरों की फरारी के बाद सीओ सिविल लाइन विकास चंद त्रिपाठी की ओर से एसएसपी को भेजी गई रिपोर्ट में प्रोबेशन अधिकारी यतेंद्र कुमार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। सीओ ने माना है कि यतेंद्र कुमार रुचि लेकर काम नहीं कर रहे है। यही कारण है कि 18 को शाम छह बजे तीन किशोरों की फरारी के बाद बाथरूम और रसोई की ओर टूटी दीवारों को सही नहीं किया गया। उसी का नतीजा रहा कि किशोरों ने स्नानघर की दीवार तोड़ी और चालीस किशोर फरार हो गए। हालांकि पुलिस ने 27 किशोरों को बरामद कर लिया। अभी 13 किशोर फरार है।

बालिग पर भी उठाए सवाल

रिपोर्ट में कहा गया है कि 100 किशोरों की क्षमता वाले संप्रेक्षण गृह में 182 किशोर मौजूद हैं। उक्त किशोरों की उम्र तस्दीक कर बालिगों के स्थानांतरण के लिए 6 नवंबर को प्रधान मजिस्ट्रेट और बाल न्याय बोर्ड को पत्र भेजा गया था, जिसमें 36 किशोरों के बालिग होने का अंदेशा जताया गया था। इसके बाद भी किशोरों की शिफ्टिंग हेतु कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई, हालांकि वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 40 से 50 पहुंच गई है।

 

कुकर्म के मामले में भी डाला पर्दा  

लिसाड़ीगेट के इस्लामाबाद निवासी किशोर के साथ संप्रेक्षण गृह में कुकर्म का मामला सामने आने के बाद भी उसे दबा दिया गया, जबकि लगातार पुलिस आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तहरीर मांगती रही। इससे साफ है कि वहां स्टाफ किशोरों को संरक्षण देकर उनकी कमियों को छिपा रहा है। इतना ही नहीं बड़े छोटे किशोरों का लगातार उत्पीडऩ कर रहे है।

मोटी रकम वसूल रहे

सीओ ने जांच में पाया कि किशोर भागते नहीं बल्कि वहां तैनात कर्मचारी उन्हें भगा रहे है। इसकी ऐवज में कर्मचारी किशोरों के परिजनों से मोटी रकम वसूल रहे है। प्रत्येक माह किशोरों के परिजनों से वसूली गई रकम में से कुछ हिस्सा बड़े अफसरों तक जाता है।

"सीओ सिविल लाइन की रिपोर्ट में संप्रेक्षण गृह में पूरी लापरवाही उजागर हुई है। मेरे सामने पेश की गई एसएसपी के नाम की रिपोर्ट को वहां भेजा जा रहा है."

ओमप्रकाश, एसपी सिटी