- गुलधर से लेकर मेरठ छावनी स्टेशन तक सीआरएस ने कमियां देखकर अधिकारियों को लताड़ा

- मेरठ छावनी स्टेशन पर मिली कई खामियां, फिर भी सीआरएस दे गए 10 में 7 नंबर

Meerut : ईएमयू चलाने से पहले नॉर्दन रेलवे के सेफ्टी कमिश्नर के टेस्ट में कुछ स्टेशन पास हुए तो कुछ फेल हो गए। कई खामियां मिली। जिसके कारण अधिकारियों को काफी लताड़ भी पड़ी। जहां कर्मचारियों को प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं गई थी। वहीं जगहों पर हुए नए काम भी ठीक से नहीं किए गए। जिसके कारण कमिश्नर की नाराजगी बढ़ती ही चली गई। कमिश्नर ने नजरिए ने साफ कर दिया कि अगले एक महीने में ट्रेन के चलने की कोई संभावना नहीं है। जब तक पूरी खामियों को खत्म नहीं किया जाएगा तब तक ट्रेन का चलना संभव नहीं है। फिर भी उन्होंने ट्रेन के जल्द से जल्द चलने का पूरा आश्वासन दिया है।

गुलधर से मेरठ छावनी तक

गुरुवार को नॉर्दन रेलवे के सेफ्टी कमिश्नर शैलेश कुमार पाठक ने गुलधर रेलवे स्टेशन से लेकर मेरठ छावनी तक इलेक्ट्रिक लाइन के अलावा स्टेशनों पर किए इंतजामों ने निरीक्षण किया। इस मौके पर उन्होंने सभी स्टेशनों पर अर्थिग से लेकर कर्मचारियों की ट्रेनिंग का टेस्ट लिया। उन्होंने कई अधिकारियों से फायर एस्टिनग्यूशर का डेमो कराकर भी देखा। वहीं उन्होंने कई अधिकारियों से टेक्निकल सवाल भी किए। जिसमें से सभी के पसीने भी छूट गए।

मेरठ छावनी में कई खामियां

सेफ्टी कमिश्नर मेरठ छावनी शाम 6 बजे पहुंचे। सबसे पहले वह अर्थिग बोंड की ओर गए, जिसे देखकर उनका मूड खराब हो गया। उन्होंने देखने ही नॉन स्टैंडर्ड कह दिया। उन्होंने कहा कि अर्थिग रोड को डेढ़ फीट अंदर तक ले जाना था। साथ नमक और चारकोल का मिक्स्चर भी नहीं डाला गया था। अधिकारियों को इसे दुरुस्त करने को कहा। उसके बाद वो पैनल की ओर गए। वहां उन्होंने पैनल से बैठने वाले अधिकारियों से पूछा जिसमें वो काफी बार अटके। उन्होंने कहा आपने ट्रेनिंग में क्या सीखा है? अगर ट्रेन आते वक्त कोई गड़बड़ी हुई तो ऐसे में क्या होगा। उसके बाद उन्होंने पैनल के अंदर के फ‌र्स्ट एड को भी चेक किया।

लंबाई मानक पर नहीं

उसके बाद उन्होंने टै्रक से प्लेटफॉर्म की दूरी की नपाई कराई तो वो भी मानक के अनुरूप नहीं मिली। जब उनसे मानकों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ये टेक्नीकल विषय है, लेकिन इलेक्ट्रिक ट्रेन के लिए सभी कुछ परफेक्ट होना काफी जरूरी है। उसके बाद उन्होंने लाइन और ट्रैक की लंबाई की भी नाप लिया। इस नपाई बारे में उन्होंने बताया कि लाइन और ट्रेन में करीब डेढ़ मीटर की दूरी होती है। जो कम होती रहती है।

10 में से 7 नंबर दिए

जब कमिश्नर से ट्रेन शुरू होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अब हम सभी कमियों का एसेसमेंट कर उसे दूर करेंगे। उसके बाद देखा जाएगा कि हम ट्रेन चला सकते हैं या नहीं। उन्होंने लाइन और काम के बारे में कहा कि काम काफी शानदार हुआ है। यहां के लोगों को जल्द से जल्द ट्रेन मिल जाएगी। ट्रेन तभी चलाई जाएगी जब सभी मानक पूरे होंगे। अधूरे या कमियों वाले ट्रैक पर ट्रेन चलाने का कोई फायदा नहीं होगा।

हुआ ट्रायल रन

उसके बाद स्पेशल ट्रेन के आगे इलेक्ट्रिक इंजन लगा दिया गया। जहां से वो रवाना हो गई। आपको बता दें कि गाजियाबाद से मेरठ कैंट तक 52 किलोमीटर की लाइन डाली गई है। अधिकारियों की मानें तो डीजल इंजन के मुकाबले इलेक्ट्रिक ट्रेन में खर्चा दो तिहाई कम हो जाएगा। मेरठ से गाजियाबाद जाने में करीब एक घंटा चालीस मिनट लगते हैं। वहीं डीजल इंजन में ट्रेन का पिकअप काफी धीरे और इलेक्ट्रिक इंजन में पिकअप काफी जल्दी आ जाता है।

बॉक्स एक

30 एमवीए का सब स्टेशन से मिलेगी

शैलेश कुमार पाठक ने बताया कि ट्रेन को बिजली सप्लाई करने के लिए मोदी नगर में 30 एमवीए का बिजली सब स्टेशन बनाया गया है। जिससे ट्रेनों की लाइनों को सप्लाई की जाएगी। इसके अलावा चार स्टेशनों पर स्वीच प्वाइंट्स बनाए गए हैं, जिसमें गुलधर, मोदीनगर, परतापुर और मेरठ सिटी स्टेशन शामिल हैं।

बॉक्स दो

50 हजार को होगा फायदा

मेरठ रेलवे के आंकड़ों की मानें तो मेरठ से गाजियाबाद जाने वालों यात्रियों की संख्या करीब 50 हजार है। ईएमयू चल जाने के बाद इन पैंसेजर्स को काफी फायदा होने की उम्मीद है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक लाइन होने के बाद कई हॉल्ट पर बिजली की सप्लाई सुचारू रूप से शुरू हो जाएगी।

बॉक्स तीन

करीब 60 करोड़ आई है लागत

मेरठ से गाजियाबाद रूट के इलेक्ट्रीफिकेशन का काम वर्ष 2012 में शुरू हुआ था। यहां लाइन तो एक साल के अंदर ही डाल दी गई थी, लेकिन स्टेशनों पर लाइन जोड़ने के काम में काफी समय लग गया। इस पूरे प्रोजेक्ट में करीब 60 करोड़ रुपए का बजट खर्च हुआ है। पहले इस लाइन को मेरठ सिटी स्टेशन तक डाला जाना था। बाद में इसे मेरठ कैंट स्टेशन तक बढ़ा दिया गया।