साइकिल को लेकर क्रेजी था

बचपन की यह हरकत बड़े होने तक कायम रही। साइकिल चलाने को लेकर मैं जबरदस्त क्रेजी था। यूं कहें कि मंगनी की साइकिल पर मैंने खूब मौज किया है। जी हां, यह कहना है भोजपुरी एक्टर और सिंगर मनोज तिवारी का। साइकिल से उनकी तमाम खुशनुमा यादें जुड़ी हुई हैं। इसे उन्होंने आई नेक्स्ट से शेयर किया। आज भी वह साइकिलिंग को एंजॉय कर रहे हैं। वह मानते हैं कि साइकिलिंग ने उनके कॅरियर में इंपॉर्टेंट रोल निभाया है।

BHU से चला जाता था भभुआ

मनोज तिवारी बताते हैं कि हायर एजुकेशन के लिए बीएचयू में एडमिशन लिया तो यहां भी फ्रेंड्स की साइकिल से ही काम चलता रहा। आज भी उन दिनों की याद ताजा है। मेरे फ्रेंड सुकांत बनर्जी डीएलडब्ल्यू में रहता था। उसकी साइकिल जरूरत से कुछ ज्यादा ही छोटी थी। इस पर सुकांत के साथ मैं और एक दोस्त संदीप दास सवार होकर उसके घर डीएलडब्ल्यू पहुंचते थे। हमेशा साइकिल मैं ही चलाता था। छुïिट्टयों में हॉस्टल से किसी फ्रेंड की साइकिल लेकर बनारस से 75 किलोमीटर दूर भभुआ अपने गांव चला जाता था। साइकिल उन्हें फिट और हेल्दी रखने में काफी हेल्प करती थी। साइकिल ने हमारी फिटनेस को बनाए रखा। इसकी वजह से हमारी एक्टिंग और सिंगिंग में और अधिक निखार आ गया।

तो अपने बीच का समझते लोग

मनोज बताते हैं कि आज भी मैंने साइकिल चलाना नहीं छोड़ा है। कारें होने के बाद भी मैंने सुंदरपुर स्थित घर में तीन साइकिलें रखी हैं। जब भी बनारस आते हैं तो साइकिल से घर से बीएचयू जाते हैं। रोड पर चलते समय तमाम लोगों से मुलाकात होती है। कह सकते हैं कि साइकिल मुझे अपने लोगों से जोड़े रखने में काफी हेल्प करती है। स्टारडम से दूर मुझे साइकिल पर सवार देखकर हर कोई अपने बीच का समझता है।  

हर कोई करे साइकिल से प्यार

मनोज का कहना है कि जिस कदर साइकिल चलाने को लेकर मैं क्रेजी था उसी तरह से हर किसी को होना चाहिए। साइकिल चलाने के ढेरों फायदे हैं। इससे इंसान की हेल्थ के साथ नेचर की सेहत भी दुरुस्त रहती है। इससे फ्यूल सेव रहता है। पॉल्यूशन नहीं होता है। अच्छा वर्कआउट होता है। टै्रफिक जाम से निजात मिलती है। और न जाने क्या-क्या वो कहते हैं कि गवर्नमेंट भी इस दिशा में पहल करे। कुछ विशेष दिन तय किए जाएं जिस दिन हर कोई साइकिल चलाए।