कहीं पर हैं तालाब तो कोई कर रहा वर्षा जल संचयन

फीरोजाबाद : प्रकृति एवं गांवों का पुराना नाता रहा है। गांवों में कभी कुएं के इर्द-गिर्द नजर आने वाली बत्तखें गांवों की जल समृद्धि की गवाही देती थी। अक्सर कुओं के निकट रहने वाली बत्तखें अब गांवों से भी गुम होती जा रही है। कई गांवों में अब कुएं ही जमींदोज हो गए तो इन गांवों के बीच में रहने वाली यह बत्तखें भी गुम हो गई, लेकिन शहर के ओम ग्लास में आज भी इन बत्तखों की किलकारी सुनाई देती है। उद्योग के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश रत्न पाने वाले बालकृष्ण गुप्ता का प्रकृति से जुड़ाव खासा पुराना है। यही वजह है जब यहां पर उन्होने कारखाना खोला तो तालाब बनाने का काम पहले किया।

90 बरस से अधिक उम्र में भी अल सुबह नियमित रूप से टहलने जाने वाले बालकृष्ण गुप्त अपने कारखानों से निकलने वाले पानी की एक भी बूंद को व्यर्थ नहीं जाने देते। पानी को तालाब में एकत्रित किया जाता है तथा इसके बाद में इस पानी से बगीचे एवं लॉन की ¨सचाई के लिए लंबे-लंबे पाइप बिछाए हुए हैं। प्रकृति से उनका प्रेम ही है गांवों से दूर होने वाली बत्तखों की किलकारी आज भी ओम ग्लास में गूंजती है। यहा पर करीब तीन दर्जन बत्तखें हैं। जो यहां बने हुए दो तालाबों के इर्द-गिर्द रहती हैं। यही वजह है 90 बरस की उम्र में भी वह नियमित रूप से सर्दी एवं बरसात की परवाह न करते हुए सुबह सवेरे टहलने जाते हैं। वह खुद कहते हैं प्रकृति से नाता जोड़े रखने से ही बेहतर स्वास्थ्य एवं विकास की प्राप्त हो सकती है। वह अन्य लोगों को भी जल के संरक्षण की सीख देते हुए कहते हैं प्रकृति से ही जीवन है।

जल संरक्षण किया तो नहीं गिरा भू-जल स्तर :

उद्यमी राजकुमार मित्तल ने तीन वर्ष पूर्व अपने यहां पर रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम का शुभारंभ उस वक्त किया, जब शहर में पानी की किल्लत थी। हर तरफ जल संरक्षण की मांग उठ रही थी। ऐसे में उन्होने अपना कदम बढ़ाते हुए अपने कारखानों में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम लगवाया। करीब एक लाख रुपये की लागत से यह सिस्टम कारखाने में खड़ा हुआ तो उसके बाद से कारखाने का भूमिगत जल स्तर गिरना बंद हो गया। उनके सभी कारखानों में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम लगा हुआ है। राजकुमार मित्तल अन्य लोगों को भी जल संरक्षण की सीख दे रहे हैं।