- पूरे प्रदेश में के हॉस्पिटल्स में करीब 1 लाख 23 हजार हैं मशीनें
- प्रदेश की सभी मशीनों का ब्यौरा होगा आनलाइन
- मेंटीनेंस के लिए अब की जाएगी केंद्रीयकृत व्यवस्था
LUCKNOW :
रायबरेली के जिला अस्पताल में पांच एक्सरे मशीनें लगी हैं। लेकिन इनमें से काम सिर्फ एक ही करती है। बाकी सभी मशीने कंडम पड़ी हैं या फिर मेंटीनेंस न हो पाने के कारण उपयोग में नहीं हैं। जिसके चलते मरीजों को काफी दिक्कत उठानी पड़ती है या फिर मरीज बाहर से एक्सरे कराने को मजबूर होते हैं। कुछ ऐसा ही हाल प्रदेश के जिला अस्पतालों में एक्सरे सहित अन्य मशीनों का है। कई अस्पतालों में नई नई मशीनों के मेंटीनेंस के अभाव व यूज न होने के कारण भी कंडम होने की जानकारी सामने आई है। इनमें जांच से लेकर ऑपरेशन थिएटर में प्रयोग होने वाली मशीने हैं।
एनुअल मेंटीनेंस की तैयारी
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में कुल एक लाख 23 हजार मशीने लगी हैं। लेकिन बड़ी बात है कि इनमें से 43,302 मशीने खुद बीमार हैं। इन्हें तुरंत मेंटीनेंस की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराए गए बायोमेडिकल एक्विपमेंट मैपिंग में यह जानकारी सामने आई है। इसके बाद अब स्वास्थ्य विभाग इनके एनुअल मेंटीनेंस कराने के लिए एक केंद्रीयकृत व्यवस्था करने के प्रयास कर रहा है। ताकि मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सके।
छह माह में तैयार की रिपोर्ट
119 जिला अस्पताल, 55 महिला जिला अस्पताल और 821 सीएचसी व 3621 पीएचसी हैं। इनमें एक 1.23 लाख विभिन्न प्रकार के सर्जिकल व डायग्नोस्टिक एक्विपमेंट लगे हैं। लेकिन ज्यादातर जिलों में मशीनें खराब पड़ी हैं। कभी जांच नहीं हो पाती तो कभी मशीन खराब होने के कारण गंभीर मरीजों के ऑपरेशन टालने पड़ते हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए पिछली ने सभी एक्विपमेंट की मैपिंग कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक अन्य एजेंसी के माध्यम से प्रदेश भर के अस्पतालों के एक्विपमेंट की मैपिंग कराई। जिसमें यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। सभी 75 जिलों में यह सर्वे करने में 6 माह से अधिक का समय लगा है। इसमें सभी प्रकार की मशीनों का हर प्रकार का डाटा जुटाया गया है।
अब समय से हो सकेगा मेंटीनेंस
स्वास्थ्य विभाग की सीएमएसडी के अपर निदेशक डॉ। सोमेश श्रीवास्तव ने बताया कि इससे हर प्रकार की मशीनों की जानकारी ऑनलाइन होगी। पहले ही पता चल जाएगा कि कौन सी मशीन की लाइफ खत्म हो रही है, कब मशीन का एनुअल मेंटीनेंश करना है और मशीनों का प्रयोग हो रहा है या नहीं। इस डाटा को एनालाइज करने के बाद ऑनलाइन किया जाएगा। साथ ही एक ही कंपनी को अब टेंडर निकाल कर प्रदेश भर के चिकित्सालयों की मशीनों को ठीक करने का ठेका दिया जाएगा। इसके बाद हर एक मशीन कार्यरत रहे यह उस कंपनी की जिम्मेदारी होगी।
एक दिन में ठीक होगी मशीन
डॉ। सोमेश श्रीवास्तव ने बताया कि नई व्यवस्था में प्रयास किए जा रहे हैं कि कोई मशीन खराब होने के 24 घंटे में ठीक हो जाए। या सामान बाहर से आना है तो उसके लिए अधिकतम एक हफ्ते का समय दिया जाएगा। सारा सिस्टम ऑनलाइन होने से शिकायत से लेकर मशीन ठीक होने की स्थिति की निगरानी होगी। इसका मरीजों को बहुत फायदा मिलेगा और कोई अस्पताल यह नहीं कह सकेगा कि मशीन खराब होने के कारण जांच नहीं की जा सकी है।
प्रदेश में
जिला पुरुष/संयुक्त चिकित्सालय-119
जिला महिला चिकित्सालय-55
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र-821
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-3621
शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र-10
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-592
ब्लड बैंक-75
फैक्ट फाइल
12,3000 मशीनें हैं पूरे प्रदेश में
43302 मशीन को मेटीनेंस की आवश्यक्ता
15 सीटी स्कैन
01 एमआरआई
20 एबीजी मशीनें
914 एक्सरे मशीने
सीएजी ने खोली थी पोल
हाल ही में विधान सभा में पेश की गई भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की आडिट रिपोर्ट में केजीएमयू सहित प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में मशीनों के खराब होने और मशीनों की भारी कमी की जानकारी दी थी। जिसमें दिखाया गया था कि खराब मशीनों और मशीनों की कमी का बुरा असर मरीजों व पढ़ाई पर पड़ रहा है। इसमें बताया गया था कि मेडिकल कॉलेजों में 41.77 परसेंट उपकरणों की भारी कमी है।
उपकरणों के बेहतर मेंटीनेंस के लिए सर्वे कराया गया है। रिपोर्ट के आधार पर आगे इनके मेंटीनेंस के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएगी।
- डॉ। पद्माकर सिंह, डीजी हेल्थ