PATNA CITY: प्रकृति की मार झेल रहे बाढ़ पीडि़तों पर एक ओर सरकार और उनके नुमाइंदे लगातार नमक छिड़क रहे हैं। तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों के नेता भी राजनीतिक रोटी सेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं। वे दौरा कर रहे हैं। आश्वासन दे रहे हैं लेकिन नतीजा सिफर है। यही कारण है कि नौनिहाल दूध के लिए बिलख रहे हैं तो बुजुर्ग दवा नहीं मिलने से तड़प रहे हैं। कहीं चावल जमीन पर खुले में रखा गया है तो दाल भी पानी वाली। नाश्ते का पता नहीं। ऐसे में मवेशियों की कौन पूछे? यह हाल किसी एक राहत शिविर की नहीं है। कमोबेश हर जगह एक ही हाल। पेश है ग्राउंड रिपोर्ट

गुरुवार को आई नेक्स्ट की टीम पटना सिटी स्थित कटरा बाजार समिति पहुंची। यहां राघोपुर अनुमंडल के कई गांवों के लोग मवेशियों के साथ बसेरा लिए हुए हैं। कहने को तो प्रशासन हर जरूरी सामान उपलब्ध करा रहा है लेकिन न तो चावल पर्याप्त मिल रहा है न दवाई। हालत यह है कि लोग पेट की आग शांत करने के लिए सत्तू, भुजा और चूड़ा खा रहे हैं।

खाने से पहले लेनी पड़ती है पर्ची

शिविर में घुसते ही एक टेंट दिखता है जिसे वैशाली प्रशासन ने बनाया है। तो दाहिने ओर ईट से बनाए गए चार चूल्हे जल रहे हैं। यहां खाना लेने से पहले पर्ची दी जाती है। ताकि यह पता चल सके कि कितने लोगों ने खाना खाया है। खाना देने का समय भी फिक्स है सुबह क्क् से दोपहर तीन बजे तक। इस बीच एक युवा मिलता है। उसका नाम श्याम है। उसके चेहरे बता रहे थे कि वह भूखा है। पूछने पर कहा कि सिर्फ पांच लोगों का खाना मिला है। जबकि परिवार बड़ा है। चावल तो ठीक ठाक है, मगर दाल और सब्जी बहुत कम दे रहे हैं।

पशु नहीं खा रहे भूसा

आई नेक्स्ट की टीम को देख बाढ़ पीडि़तों का हुजूम जुट जाता है। जहांगीरपुर की पूनम सिंह बताती हैं कि साहब आप ही कुछ कीजिए न। बाबू लोग बच्चों के लिए दूध-बिस्कट भी नहीं दे रहे हैं। तीन मवेशियों के साथ आए परमेश्वर महतो कहते हैं कि पांच किलो गेहूं का भूसा मिलता है। उसमें भी लकड़ी का टुकड़ा है। अब आप ही बताइए मवेशी इसे कैसे खाएंगे।

और भी हैं दुश्वारियां

शिविर में सैकड़ों लोगों के लिए सिर्फ दो जेनरेटर लगाए हैं। इसकी शोर और धुएं से जीना और दुश्वार हो गया है। कुछ बल्ब जरूर जलते दिखे। मगर पंखा नहीं दिखा। इतना ही नहीं शिविर में डाक्टर, टीचर, एएनएम के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं की गई है।

एक शिविर पढ़ाई के लिए

पास में ही एक और शिविर दिखा। यहां पढ़ाई हो रही है। इसमें वर्ग क् से 8 तक के बच्चे हैं। बोर्ड पर दिनों का नाम हिन्दी एवं अंग्रेजी में लिखा गया है। साथ ही महापुरुषों की तस्वीर, फल-फूल के चित्र वाले कैलेंडर टंगे थे। इसे हेड मिस्ट्रेस रेखा कुमार और अन्य टीचर मिलकर चला रहे हैं।

सिर्फ तुम्हारा ही इलाज करें

चंद दूरी पर कुछ डॉक्टर्स बाढ़ पीडि़तों से घिरे हैं। इसमें पशु चिकित्सक भी शामिल हैं। भीड़ के कारण कुछ डॉक्टर नाराज दिखते हैं। अचानक एक डॉक्टर झल्ला जाता है। एक आदमी को डांटते हुए कहता है सिर्फ तुम्हें ही देखें। बार-बार दवा लेने आ जाते हो। यहां ज्यादातर लोग सर्दी, खांसी, वायरल, बीपी, एनीमिया के पेशेंट अधिक हैं।

आपको खामी दिखती है, व्यवस्था नहीं

अचानक वैशाली की डीएम रचना पाटिल दिख जाती हैं। व्यवस्था को लेकर पूछने पर उनका चेहरा देखने लायक था। पहले तो बात करने से इंकार कर दिया। फिर यह कहने पर हमलोग प्रेस वाले हैं तो कहा कि बच्चों को कल से दूध दिया जाएगा। साथ ही मार्निग नाश्ता में सुखा चूड़ा और गुड़ भी मिलेगा। मवेशियों को गेहूं का भूसा कम मात्रा में दिए जाने पर कहा कि आपको और व्यवस्था नहीं दिखती है। केवल खामियां निकाल रहे हैं। कहा कि इन सबों के मनोरंजन के लिए शाम में वीडियो दिखाया जाता है। जीविका की दीदियों को बुलाया है। वे महिलाओं को स्वरोजगार और हुनर के बारे में अवेयर करेंगी।

बातचीत

जफराबाद से आई हूं। महज कॉपी एवं पेंसिल मिला है। खाना भी भरपेट नहीं मिलता। नाश्ता भी नहीं देते।

पूजा वर्ग-फ्

खाना में चावल ठीक, मगर दाल व सब्जी कम मिलती है। यहां पहाड़ा सीखाते व कविता सुनाते हैं। हम सातवीं में यही पढ़ेंगे। किताब नहीं है केवल कापी पेंसिल दिया है।

पूजा वर्ग-7

तीन मवेशियों के लिए पांच किलो भूसा में क्या होगा। साहब से बोलने पर नाराज हो जाते हैं। डर से हिम्मत ही नहीं होती है कि उनसे कुछ कहा जाए।

रामचंद्र महतो

अब भूख बर्दाश्त नहीं होती है। बच्चों को भी दूध या बिस्किट तक नहीं दे रहे हैं। बल्ब है तो पंखा नहीं है। शौचालय तक भी नहीं है।

सीता देवी, रुस्तमपुर

नेताओं का हो रहा है दौरा

यहां आरजेडी सुप्रीमो एवं एक्स सीएम लालू प्रसाद, हेल्थ मिनिस्टर तेज प्रताप, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, लोक लेखा समिति के चेयरमैन नंदकिशोर यादव के बाद खुद सीएम नीतीश कुमार भी थ्रसडे को यहां राहत शिविर में पहुंचे। मगर लोगों की स्थिति में कोई सुधार नहीं देखा जा रहा है। लोग परेशान हाल में हैं।