- आई नेक्स्ट के साथ लोगों ने स्टेडियम में ली शपथ

- पैदल मार्च में हर कदम पर कहा बेटी को बचाना है

- सैकड़ों लोग आई नेक्स्ट की इस मुहिम में हुए शामिल

Meerut : हम शपथ लेते हैं कि हमेशा बेटी का सम्मान करेंगे। उन्हें किसी भी तरह की प्रताड़ना से बचाएंगे। उन्हें मरने नहीं देंगे। हम शपथ लेते हैं कि बेटी को हर कदम पर बचाएंगे। इन्हीं लाइनों के साथ मेरठ के लोग और एनसीसी कैडेट्स ने कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में बेटी बचाने की शपथ ली। फिर निकल पड़े पैदल मार्च पर शहर के लोगों को जागरुक करने को। क्या बच्चे, क्या महिलाएं, बूढ़े सभी लोगों ने पैदल मार्च कर संदेश दिया कि बेटी को बचाना कितना जरूरी है। अगर बेटियों को नहीं बचाया गया तो बेटों को पैदा करने वाली मां कहां से आएगी? इस मुहिम में सिटी के प्रोमिनेंट लोग भी जुड़े। पैदल मार्च से वापस आकर आई नेक्स्ट के सिग्नेचर कैंपेन का हिस्सा भी बने।

स्टेडियम में पहुंचे लोग

आईनेक्स्ट के बेटी बचाओ अभियान को सफल बनाने में सिटी के लोगों ने बढ़कर हिस्सा लिया। पिछले एक हफ्ते में लोगों ने बेटी को बचाने की शपथ लेने के साथ आईनेक्स्ट का पूरा सहयोग करने की बात कही। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए बुधवार को पैदल मार्च में शामिल होने के लिए सैकड़ों लोगों ने कैलाश प्रकाश स्टेडियम में शिरकत की। सुबह साढ़े आठ बजे से ही लोगों के आने का सिलसिला चालू हो गया था। आईनेक्स्ट के साथ लोगों ने बेटी बचाने की शपथ ली और इसके बाद लोगों को जागरुक करने के लिए मार्च निकाली। पब्लिक आती गई और मार्च में शामिल होती गई।

बेटी बचाओ की गूंज

पैदल मार्च की अगुवाई कैंट बोर्ड के सीईओ डॉ। डीएन यादव ने की। जहां उन्होंने एनसीसी कैडेट्स के साथ मार्च की शुरुआत की। उसके बाद बेटी बचाओ के नारे लगने शुरू हो गए। सिविल लाइन इलाके के संभ्रांत घरों और मेरठ के आला अफसरों के कानों तक पड़े। ताकि उन्हें भी इस बात का अहसास हो सके कि बेटी के जन्म होने से पहले शुरू होने वाली प्रताड़ना को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा सके। उन लोगों को सजा दिला सके जो बेटी को जन्म देने से पहले मार डालते हैं। एक पल ये भी विचार करने की जरुरत नहीं समझते कि वो क्या करने जा रहे हैं? पुरुष भूल जाता है कि उसे जन्म देने वाली मां भी किसी की बेटी थी और महिला भूल जाती है कि ये अगर तुम्हारे साथ होता तो इस खूबसूरत माहौल को नहीं देख सकती थी।

देखने को मिला भारी उत्साह

आईनेक्स्ट के इस पैदल में मार्च में स्कूली बच्चों के अलावा बुजुर्गो ने भी हिस्सा लिया। करीब तीन किलोमीटर के इस मार्च में उन्हें जरा भी थकावट नहीं हुई। स्कूली छात्रों ने भी बेटी बचाओ के जमकर नारे लगाए। महिलाओं और लड़कियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। हाथों में बैनर-पोस्टर लिए लोग संदेश दे रहे थे कि अगर बेटी को नहीं बचाया गया तो आने वाले दिनों में भारी असंतुलन की स्थिति पैदा होने वाली है। जो लोग तय समय पर स्टेडियम नहीं पहुंच पाए थे, वो बीच में ही मार्च में ज्वाइन कर रहे थे। धूप में भी किसी को कोई थकावट नहीं हो रही थी।

गाडि़यां रोककर भी हुए शामिल

माहौल ही ऐसा था कि कोई भी अपने आप को रोक नहीं सका। जो पैदल अपने काम पर जा रहे थे उन्होंने भी इस मार्च में शामिल होकर इस मुहिम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो अपनी गाड़ी रोककर मार्च में शामिल हुए। पब्लिक की ओर से यही बात निकलकर सामने आ रही थी कि नवरात्रों में इससे बेहतर संकल्प और अभियान कोई और हो ही नहीं सकता।

हर बड़े अधिकारी का पड़ा दफ्तर

सिविल लाइन के जिस रूट को हमने चुना था उस रूट पर ऐसा कोई बड़ा सरकारी ऑफिस नहीं था जो रास्ते में न पड़ा। जैसे ही स्टेडियम से बाहर आए सबसे पहले एसपी सिटी का आवास पड़ा। थोड़ी ही दूर पैदल चलने के बाद डीआईजी ऑफिस भी आ गया। अब बारी सर्किट हाउस और पुलिस लाइन की थी। महिला थाना और उसके सामने एमडीए ऑफिस भी इसी रूट पर था। अंबेडकर चौराहे को जैसे ही क्रॉस किया एसएसपी का ऑफिस आ गया। उसके बाद कचहरी का गेट, नगरायुक्त आवास, मंडल कमिश्नर का ऑफिस भी रूट पर ही था। जो सीधे स्टेडियम की ओर दोबारा लेकर आया।

सिग्नेचर कैंपेन में हुए शामिल

उसके बाद सभी लोग सिग्नेचर कैंपेन में भी शामिल हुए। सिग्नेचर बोर्ड में अपने साइन के साथ बेटी बचाने का मैसेज भी दिया। स्टेडियम के बाद ये कैंपेन बंगाली दुर्गाबाड़ी मंदिर सदर, भैंसाली ग्राउंड, सीईआरटी इंस्टीट्यूट में हजारों लोगों ने सिग्नेचर कैंपेन के तहत बोर्ड में साइन करने के साथ अपना मैसेज भी दिया।

कौन कौन हुए शामिल?

आई नेक्स्ट की इस मुहिम में कैंट बोर्ड के सीईओ डॉ। डीएन यादव, एमएलसी डॉ। सरोजनी अग्रवाल, जादूगर ओपी शर्मा सीनियर, पूर्व विधायक अमित अग्रवाल, डॉ। केपी सैनी, डॉ। मधु वत्स, सुरभि परिवार के दिनेश तलवार और श्रुति तलवार, डॉ। आईए खान, कैंट बोर्ड मेंबर ममता गुप्ता, अमन गुप्ता, छात्र नेता अंकुर राणा, मीनल गौतम, अंकित चौधरी, अंकुर मुखिया आदि मौजूद थे।

समाज में अभी भी भू्रण हत्या व बेटियों में भेदभाव की भावना बनी हुई है। बेटियों के प्रति अपनी नकारात्मक सोच को बदलना बेहद आवश्यक है। आई नेक्स्ट का यह प्रयास बेहद ही सराहनीय है, इस तरह के कार्यक्रमों द्वारा ही समाज में जागृति आती है।

डीएन यादव, कैंट बोर्ड सीईओ

आज समाज में बेटियों को लेकर जो माहौल चल रहा है, वह बड़ा ही दुखदायी है। बेटियों की सुरक्षा अब समाज में एक बहस का मुद्दा बन चुका है। जिसके खिलाफ हमें खुद ही अपनी आवाज बुलंद करना होगा।

डॉ। सरोजिनी अग्रवाल, एमएलसी

समाज में बेटों और बेटियों को बराबरी का दर्जा मिलना अभी बाकी है। बेटियों के प्रति नकारात्मक सोच रखने वालों के जीवन में कभी भी खुशहाली नही आती। इसलिए बेटियों का सदैव सम्मान करना चाहिए।

ओपी शर्मा सीनियर, जादूगर

बेटियां परिवार व समाज में खुशहाली लाती है। बेटियां हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए बेटियों का सम्मान करें, बेटियों व बेटों में बिल्कुल भी फर्क नहीं रखना चाहिए।

अमित अग्रवाल, बीजेपी नेता

बेटा हो या बेटी अंतर करना पाप है। बच्चों को एक सम्मान ही समझना चाहिए। यह हमारा परम धर्म है कि हम अपनी बेटियों को उच्च से भी उच्च शिक्षा दें तथा उन्हें उनकी सफलता तक पहुंचाने में अपना पूरा योगदान दें।

डॉ। केपी सैनी

बेटियां घरों की रौनक व देश की आन होती है। कोख में बेटियां महफूज रहें, इसके लिए हर मिलने वाले से मैं बात कर उन्हें जागरुक करुंगी। आई नेक्स्ट की इस जागरुकता रैली में आज मैनें यह प्रण लिया है कि जीवनभर बेटियों को बचाने का हर संभव प्रयास करुंगी।

डॉ। मधु वत्स, पर्यावरणविद्

बेटी बचाओ अभियान में हमारा पूरा योगदान है। सुरभि फाउंडेशन का पूरा योगदान आई नेक्स्ट के साथ है। इस तरह के सराहनीय कार्यक्रमों के जरिए ही समाज व देश में जागृति पैदा होती है।

दिनेश तलवार, सुरभि फाउंडेशन

बेटा हो या बेटी सभी एक समान है। जो लोग बेटियों को बोझ समझते हैं, वह बिल्कुल गलत हैं, क्योंकि बेटियां अब बोझ नही हैं, वह भी बेटों के साथ कदम से कदम मिलाकर हर क्षेत्र में आगे आ चुकी हैं।

डॉ। आईए खान, टीचर फैज ए आम

मेरी भी एक बेटी है, जिस पर हमें बेहद गर्व महसूस होता है। बेटा हो या बेटी दोनों में कभी भी फर्क नहीं रखना चाहिए। बल्कि दोनों को बेहतर संस्कार व उच्च से उच्च शिक्षा देनी चाहिए।

ममता गुप्ता, कैंट बोर्ड मेम्बर

एक बेटी पूरे परिवार का ख्याल रखती है। बेटियां तो दो कुलों को रोशन करती है। इसलिए बेटियों का सम्मान करना चाहिए। बेटियों को बोझ नही समझना चाहिए। आई नेक्स्ट की ये मुहिम बेहद सराहनीय है, जिसमें हमारा सम्पूर्ण योगदान मिलता रहेगा।

अमन गुप्ता,

घर में सड़क पर या फिर स्कूल-कॉलेज में बेटियों की सुरक्षा एक बड़ा महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया है। जिसके लिए हमें आवाज उठाने की सख्त आवश्यकता है। बेटियों को बचाओ अभियान से इसकी शुरुआत हो चुकी है।

अंकुर राणा, छात्र नेता

मैं भी एक लड़की हूं, मेरा एक महत्वपूर्ण अधिकार है कि मैं बेटी होने के नाते बाकी बेटियों का सहयोग करूं। मेरा हर संभव प्रयास समाज व देश की बेटियों के साथ रहेगा। मैं हर तरह से बेटी बचाओ अभियान में सक्रिय भूमिका निभाती रहूंगी।

मीनल गौतम, पूर्व उपाध्यक्ष, एबीवीपी

बेटा हो या बेटी सभी एक समान समान हैं। सड़क पर कॉलेज में बेटियां महफूज रहें, इसके लिए माहौल बनाना होगा। समाज में हर लड़की किसी न किसी की बहन या बेटी है। किसी दूसरे की बहन बेटी पर बुरी नजर रखने वालों का जीवन सफल नही होता है।

अंकित चौधरी, छात्र नेता

किसी समाज की तरक्की उसकी महिलाओं की शिक्षा पर ही निर्भर करती है। हमारी सुस्ती और नींद तब टूटती है, जब बहुत कुछ खो चुके होते हैं। हमने न सुधरने की कसम खा रखी है। फिलहाल तो किसी भी स्तर से प्रयास नही हो रहा है, लेकिन आई नेक्स्ट ने इस मुद्दे को गंभीर लिया है, जो बेहद सराहनीय है।

अंकुर मुखिया, छात्र नेता

बड़ी ही पीड़ा होती है, जब हम हर रोज महिलाओं के साथ होते अपराध व कन्या भू्रण हत्या की खबरें सुनते या पढ़ते हैं। यह परिस्थिति पूरे यूपी को ही शर्मसार कर रही हैं। यह बहस का मुद्दा है, जिसके लिए हर नागरिक को आवाज उठानी होगी।

अजित चौधरी, टीचर, एनएएस

लड़कियां पराई होती हैं, इन्हें कौन सा कुछ बनना जरुरी है। जब तक यह भाव लोगों में रहेगा, बेटियों के प्रति उनकी नकारात्मक सोच व दृष्टि भी नहीं बदल सकती, लेकिन बेटियां अब बेटों से भी आगे पहुंच चुकी हैं। इसलिए समाज को बेटियों के प्रति अपनी सोच व व्यवहार को बदलना होगा।

अंकुर गोयल, भाजपा नेता

बेटी हमारे देश का गौरव हैं। उनमें भी देश की तरक्की की ओर ले जाने का जज्बा होता है। आई नेक्स्ट के बेटी बचाओ अभियान की, जितनी तारीफ की जाए कम है, क्योंकि यह बेटियों की सुरक्षा चिंता का विषय बन चुका है।

संदीप गोयल, भाजपा नेता

समाज में बालिकाओं का शिक्षित होना बेहद ही आवश्यक है। बालिकाओं की शिक्षा को लेकर हम जागरुक हो रहे हैं, लेकिन अभी भी कमी है। क्योंकि जब नारी शिक्षित होगी तो वह स्वालंबी बनेगी और अपने अधिकारों तक पहुंच पाएगी।

मोहम्मद अजीद, स्टूडेंट

बेटी हमारी जिंदगी है, परिवार की धुरी होती है बेटियां। हमें लोगों से मिलकर खुद को और देश को बेटियों की सुरक्षा के प्रति जागरुक करना होगा।

मोहम्मद फरहान, स्टूडेंट

ये बहुत ही जरुरी है कि लड़कियों को शिक्षा दी जाए, क्योंकि समाज की शुरुआत परिवार से होती है और परिवार औरत से ही चलता है। यदि मां, बहन, बेटी शिक्षित होगी तभी वो अपने परिवार और समाज को जागरुक कर पाएंगी।

शादाब मिर्जा, एनसीसी कैडेट

शिक्षा का उजाला ही बालिकाओं का जीवन प्रकाशित कर सकता है, एक शिक्षित बालिका ही कल एक स्वावलंबी महिला बन सकती है। साथ ही देश की प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

माजिद, एनसीसी कैडेट

इसके लिए समाज सेवियों व अन्य संगठनों की ही जिम्मेदारी नहीं बनती। बल्कि शहर व देश के हर उस नागरिक की बनती है, जो यहां जीने का अधिकार रखता है।

शिवा कुमारी गुप्ता, सचिव, बेटियां फाउंडेशन

मैं आई नेक्स्ट के इस अभियान का हिस्सा बनी मुझे गर्व महसूस होता है। इस तरह के अभियान ही समाज में एक जागृति की भावना उत्पन्न करते हैं। मेरा प्रयास रहेगा इस अभियान के उद्देश्य को अपने आस पास के हर कोने कोने तक पहुंचाऊं।

अंजू पांडे, अध्यक्ष, बेटियां फाउंडेशन

बेटियों को बचाने की इस मुहिम में मैं तन-मन-धन से आई नेक्स्ट के साथ हूं। यह पहल बेहद सराहनीय है। अगर इसी तरह की प्रयास होते रहे, तो निश्चित ही समाज में जागृति व सुधार लाया जा सकता है।

डॉ। शमा चौहान, शास्त्रीनगर

बेटियों को कभी भी बोझ न समझें अभिभावकों, परिवार के हर सदस्य को व समाज को इस बात को समझना होगा। समाज में बेटियों को महत्वपूर्ण दर्जा देना व उनका सम्मान करना बेहद ही आवश्यक है।

राजदीप विकल, छात्र संघ

समाज में हर रोज बेटियों पर होते अत्याचारों को अब जड़ से खत्म करना बेहद जरुरी है। जिसके लिए हमें खुद ही आवाज उठानी होगी। ताकि समाज में जागृति की भावना लाई जा सके।

अंकित नागर, स्टूडेंट

हमें भी यह समझना होगा कि समाज में बेटियों व बहनों को बचाना कितना आवश्यक है। क्योंकि अगर बेटियां नहीं होगी तो समाज में खुशहाली व रौनक कैसे आएगी। बेटियां है तभी तो समाज व देश में रौनक है।

मोहम्मद यासीर, स्टूडेंट

मैं समाज की हर बेटी के साथ हूं। बेटियां वो होती है जो अपने करियर व परिवार में आने वाली हर समस्या का डटकर सामना करती है। घरों में व अपने प्रियजनों के जीवन में खुशहाली लाने वाली भी बेटियां ही होती है।

जयप्रकाश, चेयरमेन, जेपी गु्रप

मेरा मानना है कि समाज में हर बहन बहू बेटी का सम्मान हमारा परम धर्म है, जिसे निभाना बेहद जरुरी है। आई नेक्स्ट की इस मुहिम का हम स्वागत करते है।

विशाल माहेश्वरी, डायरेक्टर, अपोलो क्लिनिक

बेटी है तो आज और कल है, बेटियों के बिना घरों की खुशहाली अधूरी सी लगती है। मैं शपथ लेता हूं कि बेटी बचाओ अभियान में इसी तरह से अपना सहयोग देता रहूंगा। समाज में बेटियों को बचाने का हर संभव प्रयास करुंगा।

भारत ज्ञान भूषण, ज्योतिषाचार्य