नेताओं की ओर से भेजे जाते हैं

जी हां यह अस्पताल देश की राजधानी दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी कि एम्स है। यहां पर हर दिन सिफारिशों को लिए करीब 3 से 4 हजार लेटर आते हैं। खास बात तो यह है कि ये खत देशभर के सांसदों और विधायकों की ओर से भेजे जाते हैं।

सिफारिशी खत बने गले की फांस

ये नेता खतों के जरिए अपनों की सिफारिश करते हैं। जबकि हकीकत में इन खतों से यहां के डॉक्टर परेशान होते हैं। वे मरीज को उसकी बीमारी के हिसाब से एडमिट करने से लेकर ट्रीटमेंट की सुविधा देते हैं लेकिन ये सिफारिशी खत उनके गले की फांस से बन चुके हैं।

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नेता अस्पताल में लेटर्स न भेजें

इस संबंध में एम्स के कई डॉक्टरों का कहना है कि कोशिश करें कि ये नेता अस्पताल में लेटर्स न भेजें। इससे उन्हें काफी परेशानी होती है। अब डॉक्टर्स इन सिफारिश वाले खतों पर ध्यान नहीं देते हैं वे उसी मरीज पर ही ध्यान देते हैं जो उसके सामने मौजूद होता है।  

सभी मरीजों की दिक्कतें दूर होंगी

अगर हकीकत में ये सांसद और विधायक जनता की मदद करना चाहते हैं कि तो उस क्षेत्र को देखें जहां इलाज की दिक्कत है। प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र से उस क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराएं। इससे एक नहीं बल्कि क्षेत्र के सभी मरीजों की दिक्कतें दूर होंगी।

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