-इमरजेंसी ट्रीटमेंट देने से इंकार नहीं कर सकते हॉस्पिटल

-एंबुलेंस सेवा देने से नहीं कर सकते इंकार, पैसा नहीं बनेगा बाधा

Meerut। एक ओर जहां सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज पाना एक चुनौती है तो वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल्स में समय पर इमरजेंसी ट्रीटमेंट न मिलने पर 30 प्रतिशत मरीज इलाज के अभाव में ही दम तोड़ देते देते हैं। वहीं, जागरुकता और अपने अधिकारों की जानकारी के अभाव में मरीज और पीडि़त वर्ग हॉस्पिटल संचालकों के शोषण के शिकार होते रहते हैं। ऐसे में जरूरत है अपने मेडिकल राइट्स को जानने की।

ये है समस्या

दरअसल, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में जहां इलाज को लेकर कोताही बरती जाती है, वहीं पूरी तरह से बिजनेस में तब्दील हो चुके प्राइवेट हॉस्पिटल्स मरीज को भर्ती करने से पहले ही एडवांस फीस जमा करने का दबाव बनाते हैं। जबकि समय पर फीस न जमा करने की स्थिति में हॉस्पिटल मैनेजमेंट नाजुक हालत में भी मरीज को वापस लौटाने से नहीं हिचकते। ऐसे में जहां मरीज के साथ आए परिजन उत्पीड़न का शिकार होते हैं, वहीं समय पर इमरजेंसी ट्रीटमेंट न मिलने पर कई बार मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ देता है।

एंबुलेंस मचाती है लूट

सबसे बड़ी समस्या इमरजेंसी सेवाओं में शामिल एंबुलेंस को लेकर देखने को मिलती है। प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई 108 एंबुलेंस सेवा कई बार जहां लोकेशन मिलने के अभाव में समय से मौके पर नहीं पहुंच पाती। वहीं प्राइवेट एंबुलेंस सर्विस प्रोवाइडर समय की नाजुकता और मौके का फायदा उठाकर मरीज से मोटी उगाही करते हैं।

जानें अपना मेडिकल राइट

याद रहे समय पर इमरजेंसी ट्रीटमेंट पाना न केवल आपकी जरूरत है, बल्कि आपका अधिकार भी है। ऐसे में जरूरत है सजगता और जागरुकता की। मेडिकल सर्विस रूल्स के अनुसार कोई भी प्राइवेट हॉस्पिटल महज पैसे के लिए आपको इमरजेंसी ट्रीटमेंट देने से इंकार नहीं कर सकता। वहीं सरकारी अस्पतालों को भी अपनी इमरजेंसी सेवाएं पुख्ता व अपडेट रखनी होंगी। किसी भी हॉस्पिटल में इमरजेंसी ट्रीटमेंट पाना आपका अधिकार है।

एंबुलेंस देना होगा अनिवार्य

यही नहीं कोई भी दुर्घटना या इमरजेंसी होने पर एंबुलेंस सर्विस प्रोवाइडर मरीज को एंबुलेंस मुहैया कराने से इंकार नहीं कर सकते। यही नहीं इसके साथ ही कोई भी सर्विस प्रोवाइडर आपके से अधिक या फिर एंबुलेंस का अतिरिक्त शुल्क नहीं मांग सकता।

एंबुलेंस सर्विस प्रोवाइडर मौके का फायदा उठाकर मरीज के परिजनों से उल्टे सीधे पैसे मांगता है। हड़बड़ी के माहौल में परिजन बिना कुछ जाने व समझे ही उसकी डिमांड पूरी कर देता है। अब मेडिकल राइट्स से मदद मिलेगी।

-प्रेमचंद, गंगानगर

प्राइवेट हॉस्पिटल्स में बुरा हाल है। बिना एडवांस पैसा जमा कराए मरीज को भर्ती नहीं किया जा सकता। ऐसे में मेडिकल राइट्स की जानकारी के आधार पर मदद की उम्मीद है।

जितेन्द्र, शास्त्रीनगर

इमरजेंसी ट्रीटमेंट पाना पेशेंट्स का अधिकार है। शुल्क या अन्य किसी औपचारिकता के कारण पेशेंट का इलाज प्रभावित नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो इसके लिए कार्रवाई का प्रावधान है।

-वीके सिंह, सीएमओ मेरठ

इमरजेंसी ट्रीटमेंट देना सभी हॉस्पिटल्स व डॉक्टर्स के लिए अनिवार्य है। इस तरह के मामलों में कोई औपचारिकता नहीं देखी जाती। यदि फ‌र्स्ट एड देने से कोई इंकार करता है तो यह अपराध की श्रेणी में है।

-डॉ। रेनू भगत, सचिव आईएमए