- चिकित्साधिकारी पद के लिए हुई परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप

- अभ्यर्थियों ने किया विश्वविद्यालय में हंगामा, वीसी से मिले

- वीसी ने दिया कार्यवाही का आश्वासन

देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चिकित्साधिकारी पद की परीक्षा पर छिड़े विवाद के बीच अब अभ्यर्थियों ने परीक्षा रद करने की मांग की है। मंडे को अभ्यर्थियों ने विश्वविद्यालय पहुंचकर हंगामा किया। उन्होंने इस मामले को लेकर वीसी से भी मुलाकात की।

परीक्षा रद कराने की मांग

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने 11 मार्च को चिकित्साधिकारी पद की लिखित परीक्षा आयोजित की थी। परीक्षा के बाद से ही इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया था। इसी बीच शासन ने प्रभारी कुलसचिव प्रो। अनूप कुमार गक्खड़ को पद से हटाते हुए यह जिम्मेदारी अपर सचिव आयुष जीबी औली को दी थी। हालांकि, उन्होंने अभी ज्वाइन नहीं किया है। चिकित्साधिकारी के 19 पदों के लिए हुई परीक्षा में 798 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों ने कई आरोप लगाते हुए परीक्षा रद करने की मांग की है। इधर विश्वविद्यालय के कुलपति ने अभ्यर्थियों की मांग को शासन के सम्मुख रखने का आश्वासन दिया। अभ्यर्थियों ने ऐलान किया कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

यह हैं अभ्यर्थियों के आरोप

- सीलबंद नहीं था प्रश्नपत्र।

- एक ही गाइड के पेज नंबर 859 से 868 तक सीरियल से पूछे गए प्रश्न।

- 2007 में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की एमडी परीक्षा में भी पूछे गए थे यही प्रश्न।

गोपनीय समिति पर भी सवाल

चिकित्साधिकारी पद की परीक्षा को लेकर छिड़े मौजूदा विवाद के बीच अब अभ्यर्थियों ने कई नए आरोप भी विवि पर लगाए हैं। उनका कहना है कि नियमत: परीक्षा से संबंधित गोपनीय समिति में कोई ऐसा व्यक्ति शामिल नहीं हो सकता, जिसके पुत्र-पुत्री या नाते-रिश्तेदार आवेदक हों। लेकिन इस प्रक्रिया में दो ऐसे लोग शामिल थे, जिनके रिश्तेदार इस भर्ती में आवेदक थे। जो सरासर गलत था। इन्हीं की मिलीभगत से प्रश्न चुनिंदा आवेदकों तक पहुंचाए गए।