फीरोजाबाद। जिलाधिकारी का ¨स्टग ऑपरेशन भी एआरटीओ दफ्तर की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं कर पाया है। यहां पहुंचने वाले वाहन चालकों से अभी भी खुलेआम वसूली जारी है तथा बहस करने पर दफ्तर के लिपिक झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। मंगलवार को एआरटीओ दफ्तर में लाइसेंस बनवाने पहुंचे एक आवेदक ने इस संबंध में जनशिकायत केंद्र में शिकायती पत्र देकर शिकायत की है। दफ्तर में हर काम की सरकारी रेट के साथ में दलालो की रेट खोलते हुए इस मामले की जांच कराने की मांग की है।

फीरोजाबाद में सहायक संभागीय परिवहन दफ्तर में अभी भी दलालों का बोलबाल है। दफ्तर के बाहर से भले चहल पहल कम हो गई हो, लेकिन दफ्तर के अंदर कुर्सियों से यह दलाली चल रही है। जिलाधिकारी को भेजे शिकायती पत्र में सचिन शर्मा नामक आवेदक की शिकायत यही इशारा कर रही है। सचिन मंगलवार को दफ्तर में पहुंचा तो उसने फॉर्म मांगा। जब फॉर्म के दस रुपये मांगे तो सचिन चौंक गया। इसके बाद में उसने कई काउंटर पर अपनी गुहार लगाई, लेकिन हर तरफ से कहा गया कि बगैर रुपये के काम नहीं होगा। सचिन ने दफ्तर में की जाने वाली वसूली की शिकायत करते हुे कहा है लर्निंग लाइसेंस की सरकारी फीस 30 रुपये है, लेकिन दफ्तर में 150 रुपये लिए बगैर कोई भी हाथ में कागज तक नहीं पकड़ा। वहीं स्थायी लाइसेंस की फीस 120 रुपये होने पर भी दफ्तर में 350 रुपये मांगे जाते हैं। वहीं प्लास्टिक कार्ड बनवाने की फीस 200 रुपये है, लेकिन 700 रुपेय मांगे जाते हैं। इस संबंध में सचिन ने जिलाधिकारी दफ्तर में लिखित शिकायत की है।

कई बार की है कार्रवाई, हालात जस के तस

डीएम विजय किरन आनंद ने कई बार एआरटीओ दफ्तर के दलालों पर कार्रवाई की है। बाहर लगे हुए दलालों के बस्तों पर बुलडोजर तक चलवाया, लेकिन इसके बाद भी एआरटीओ दफ्तर की कार्यप्रणाली न बदलना बताता है कि कार्रवाई का दफ्तर में किसी को खौफ नहीं है। वहीं दफ्तर में इस तरह के हालात दफ्तर के अफसरों की कार्यप्रणाली को भी सवालिया घेरे में खड़े करते हैं।

¨स्टग ऑपरेशन में एफआईआर भी दर्ज

जिलाधिकारी लंबे अरसे से एआरटीओ दफ्तर की कार्यप्रणाली सुधारने पर संजीदा है। उन्होने एक बार दफ्तर का ¨स्टग ऑपरेशन कराने के बाद मुकदमा भी दर्ज कराया है।