बदलते समय के हिसाब से बच्चों को अधिक पैरेंट्स देने की है जरूरत

कई बार पैरेंट्स की जरा सी लापरवाही बनती है घटना का सबब

ALLAHABAD: लखनऊ में ब्राइटलैंड स्कूल की घटना ने मौजूदा दौर में स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही आज के समय में बच्चों की बदलती मानसिकता पर भी सोचने को मजबूर कर दिया। बच्चों को पैरेंट्स की ओर से मिलने वाली अटेंशन में आती गिरावट ऐसी घटनाओं के पीछे बड़ा कारण बन रही है। सोशियोलॉजिस्ट के मुताबिक आज पैरेंट्स बच्चों को उतना समय नहीं दे पा रहे हैं, जितनी जरूरत है। ऐसे में बच्चों की दुनिया घर से ज्यादा वर्चुअल हो गई है। इसके चलते बच्चों की सोच और उनका स्वभाव भी बदल रहा है।

बच्चों में बढ़ रही चिड़चिड़ाहट

उत्तर प्रदेश मनोविज्ञानशाला के एक्सपर्ट डॉ। कमलेश तिवारी के मुताबिक बच्चों में झुंझलाहट और चिड़चिड़ेपन की समस्या बढ़ने लगी है। ऐसे केस लगातार मनोविज्ञानशाला में आते हैं। इनमें पैरेंट्स बच्चों की समस्याओं को लेकर परेशान रहते हैं। पैरेंट्स का कहना है कि बच्चे उनकी बात को सीरियसली नहीं लेते हैं। अपनी बात और जरूरत पूरा कराने के लिए वह कुछ भी करने से पहले सोचते नहीं। बच्चों में आ रही ये समस्या बेहद भयावह स्वरूप ले रही है। गुरुग्राम के रेहान इंटरनेशनल स्कूल या फिर लखनऊ के ब्राइटलैंड स्कूल की घटनाएं ऐसे ही माहौल की उपज हैं।

हम वर्किंग कपल हैं। बच्चों को समय दे पाना टफ टास्क है। फिर भी कोशिश रहती है कि बच्चों को समय दिया जाए। समय-समय पर उनकी समस्याओं पर भी खुलकर बात करता हूं। सभी पैरेंट्स के लिए ये बेहद जरूरी है।

- डॉ। शैलेश पांडेय

स्कूल से आने के बाद घर पर काम में अधिक समय बीतता है। ये बात सही है कि बच्चों को पर्याप्त समय देने में दिक्कत आती है। लेकिन सास और ससुर से इस मामले में पूरा सहयोग मिलता है।

-डॉ। रूबी ओझा

लखनऊ की घटना गंभीर है। जहां तक मेरा मामला है, मेरे बच्चे मेरे काफी करीब हैं। मेरी बड़ी बेटी क्लास 7 में है और बेटा 2 में है। हॉस्पिटल से लौटने के बाद बच्चों के साथ पूरा समय देते है।

-डॉ। वाई एन मिश्रा

मेरी बेटी क्लास सिक्स्थ में है। गुरुग्राम की घटना के बाद से ही बच्चों को अवेयर करती हूं। जिससे वह स्कूल ही नहीं अन्य स्थान पर भी खुद को सुरक्षित रख सके।

-रश्मि पाण्डेय

आज के समय में बच्चों को अवेयर करना बेहद जरूरी है। गुरुग्राम या लखनऊ के स्कूलों में हुई घटनाओं ने पैरेंट्स को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। अब पैरेंट्स की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई।

-इंद्रदेव पाण्डेय

बच्चों को हमेशा ही खुद को सुरक्षित रखने के लिए अवेयर करती हूं। इससे किसी भी प्रकार के खतरे को पहचानकर बच्चे खुद को सुरक्षित रख सकें।

-मीना सिंह

मैं खुद पेशे से स्कूल टीचर हूं। ऐसे में स्कूलों की स्थिति को समझ सकती है। यही कारण है कि स्कूल से लौटने के बाद बेटी से स्कूल में दिन भर की बातों को खुलकर डिस्कस करती हूं।

-वंदना सिंह

हर माह करीब 6-7 पैरेंट्स आते हैं, जिनकी समस्या बच्चों के चिड़चिड़ेपन की रहती है। बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगना भी एक कॉमन प्रॉब्लम हो गई है। बच्चे घर के खाने से अधिक फास्ट फूड पर अधिक जिद करते है। ऐसी समस्याओं से बच्चों के व्यवहार में हो रहे बदलाव का पता चलता है। ऐसे में पैरेंट्स को अवेयर किया जाता है कि वह बच्चों की गतिविधियों और उनकी कार्यशैली पर नजर रखे। बच्चों को भी अवेयर करते रहे, ताकि किसी भी अनहोनी को समय रहते रोका जा सके।

-डॉ। कमलेश कुमार तिवारी,

साइकोलॉजिस्ट