- अपने मिशन को पूरा करने में दिन-रात लगा है आईजीआईएमएस एडमिनिस्ट्रेशन

- आई बैंक नहीं होने से सोशल एक्टिविस्ट डॉ। एस.एल। मंडल का आई डोनेट करने का सपना नहीं हो पाया था पूरा

PATNA: पीएमसीएच में आई बैंक क्9ब्8 में ही स्थापित हो गया, पर बिहार का पहला आई बैंक आईजीआईएमएस में ही होगा जो फंक्शन भी करेगा। इसके लिए तैयारी तेज है। अभी हाल यह है कि बिहार में कोई भी आई बैंक फंक्शन नहीं कर रहा है, जिस कारण पीएमसीएच के एक्स प्रोफेसर व सोशल एक्टिविस्ट डॉ। एस.एल। मंडल का आई डोनेट नहीं हो पाया। फ्यूचर में ऐसा न हो कि आई डोनेट करने की इच्छा पूरी नहीं हो पाए, इसके लिए कोशिशें तेज हैं।

आईजीआईएमएस को मिले हैं फ्भ् लाख

बिहार गवर्नमेंट की ओर से फ्भ् लाख रुपए मिले हैं, जबकि एम्स से जो खर्च का ब्योरा मांगा गया था, उसमें एम्स ने म्क् लाख खर्च होना बताया है। चूंकि आईजीआईएमएस के पास क्षेत्रीय चक्षु संस्थान पहले से है, इसलिए इसके रिसोर्स का भी यूज कर कम खर्च में बेहतर करने की कोशिश है।

क्या-क्या होगा आई बैंक में

आई बैंक में स्पोकुलर माइक्रोस्कोप, ऑटो क्लेव, स्लीट लैंप, फोटो स्लीट लैंप, फ्रीजर, सेपेसिफिक गाड़ी होगी। लगभग क्भ्00 स्क्वॉयर फीट में ये आई बैंक तैयार हो रहा है, जिसमें एक टीशू प्रोसेसिंग लैब भी होगा। साथ ही आई लैब, डोक्यूमेंटेशन ऑफिस और रिसेप्शन भी बन रहा है।

अभी भी क्या हैं कमियां

आई बैंक के लिए मशीनों का तो टेंडर हो गया, पर मैन पॉवर की कमी अभी भी है। जानकार बताते हैं कि टेक्नीशियन और ड्राइवर की कमी है। एक सोशल वर्कर भी अप्वाइंट करना होगा। संस्थान मैन पॉवर पर काम कर रहा है।

सिंगल टेंडर हुआ, तो फंस सकता है मामला

आई बैंक के लिए जो सबसे जरूरी मशीन है, वो है स्पोकुलर माइक्रोस्कोप। इसकी कीमत है लगभग क्7 लाख रुपए। देश में दो ही कंपनियां कैनन और आई लैब इसे मंगाकर सेल करती हैं। आईजीआईएमएस ने तो मशीनों के लिए टेंडर कर दिया है और इसकी अंतिम डेट क्0 जुलाई है, पर अगर इस मशीन का सिंगल टेंडर हुआ तो मामला फंस सकता है। प्रोपराइटी आइटम का ही सिंगल टेंडर पास हो सकता है।

सबसे इंपॉर्टेट होगा एचसीआरपी

एचसीआरपी यानी हॉस्पीटल क्रॉनिया रिट्रेवल प्रोग्राम। इसके तहत एक सोशल वर्कर होगा, जो उस समय उन घरवालों को समझाने की कोशिश करेगा, जिनके परिजन की डेथ हॉस्पीटल में होनी वाली है। जिनकी डेथ हो चुकी है, वैसे मरीज के परिजन को भी ये सोशल वर्कर समझाएंगे कि कैसे आई डोनेट करने से डेथ के बाद भी दोनों आंखे कमाल कर सकेंगी और दो ब्लाइंट लोगों को दुनिया दिखा सकेंगी। सोशल वर्कर उस समय भी एक्टिव रहेगा और घर के मेंबर को कंवींस करने में लगा रहेगा, जब आई को निकाला जा रहा होगा।

फ्0 परसेंट डोनेशन एचसीआरपी से संभव

आई बैंक में एचसीआरपी की भूमिका इतनी बड़ी होती है कि फ्0 परसेंट आई डोनेट का काम इसी के जरिए संभव हो सकता है। इसके सोशल वर्कर इस बात पर नजर रखते हैं कि कौन मरीज कितना सीरियस है।

आई बैंक के लिए कमरा बनकर तैयार हो रहा है और इसमें काम चल रहा है। हमारी कोशिश है कि एक महीने में इसे चालू कर दिया जाए, बाकी प्रक्रिया भी साथ-साथ चल रही है।

प्रो (डॉ) एन। आर। विश्वास, डायरेक्टर, आईजीआईएमएस