- होली को लेकर पटना सिटी में ट्रेडिशनल टोपी की बढ़ी डिमांड

- एक दिन में दो सौ पीस तक तैयार कर लेते हैं कारीगर

PATNA : गुलाबी रंग, हरा अबीर वाले खिले चेहरे, मुंह में पान का बीड़ा और नशीली आंखों की रौनक उस समय और भी मदहोश कर देती है, जब सिर पर फगुआ टोपी लगी हो। आपको थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन पानी, रंग, अबीर, भंग के साथ कपड़े वाली टोपी को पहनना और आपकी मदमस्त चाल पर उस टोपी पर लगी मोर पंख का हिलना होली की महफिल जीत लेने के लिए काफी होता है। इस बार भी पटना सिटी में चाइनीज और लोकल मार्केट के द्वंद में फगुआ टोपी सड़क के किनारे की रौनक बनी हुई है। रंग, अबीर के खरीदार टोपी लिए बिना नहीं जाते हैं। होली मिलन समारोह में हर रात सजने वाली महफिल में भी फगुआ टोपी का क्रेज बढ़ रहा है। सत्तर साल पुरानी इस परंपरा को पटना सिटी के दर्जनों कारीगर सहेज रखा है।

रोज तीन सौ टोपी बनाते हैं पांडेयजी

फगुआ टोपी की खासियत है कि इसमें कपड़ा और कूट का इस्तेमाल होता है। इसे बनाने के लिए सिर्फ दो से तीन घंटे का वक्तमिल जाए, तो फिर आसानी से मार्केट में इसे लाया जा सकता है। एक दिन में तीन सौ पिस फगुआ टोपी बनाने वाले पांडेयजी ने बताया कि यूथ इसका इस्तेमाल कम करते हैं। वो चाइनीज टोपी पहनते हैं, लेकिन इस फगुआ टोपी पहनकर जिसने नहीं खेला उसने फगुआ खेला ही नहीं है। इसलिए हर किसी के लिए यह जरूरी है कि वो इस फगुआ टोपी का मजा लें। इसकी खासियत इसका कलर और टोपी के आगे लगी मोर पंख हर कलर में उपलब्ध है। जो आप अपनी पसंद के हिसाब से खरीद सकते हैं।