करोड़ों के खेल में 'रक्षक' का बनाया 'भक्षक

प्रदेश में बड़े पैमाने पर सप्लाई हो रही नकली दवाएं जीवन रक्षक एंटीबायोटिक दवाएं

इलाहाबाद, वाराणसी में पड़े छापे, 2700 रुपए एमआरपी की हाई लेवल की नकली दवा

20 फीसदी दवा की सप्लई देश में नकली

1 फीसदी से भी कम दवा का लैब में होता है टेस्ट

50 फीसदी से अधिक नकली दवा में भारत का हिस्सा

15 हजार करोड़ है भारत में सालाना दवा का कारोबार

LUCKNOW: ये खबर आपकी सेहत से जुड़ी है। असल में कमाई के फेर में नकली एंटीबायोटिक दवाओं की धड़ल्ले से सप्लाई की जा रही है। हाल ही में फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने राजधानी के अमीनाबाद में दवा दुकानों पर छापा मारा तो पूरे खेल से परदा हटा। दरअसल, धंधा बड़े मुनाफे वाला है और इसकी जड़े भी काफी गहरी हैं। गंभीर बीमारियों के कारण दम तोड़ने वाले मरीज कई बार इन दवाओं के इलाज से भी दम तोड़ देते हैं। बता दें कि यूपी में करीब 15 हजार करोड़ की दवाओं का सालाना कारोबार है।

अमीनाबाद में पड़े थे छापे

गत दिनों लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, रायबरेली, बाराबंकी के ड्रग इंस्पेक्टर्स ने छापामार कर अमीनाबाद में निखिल फार्मा व आरएसक्स फार्मा के यहां नकली मेरोप्लान इंजेक्शन (मेरोपेनम) पकड़ा। दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर नमूने जांच के लिए भेजे गए। जब्त दस्तावेजों से पता चला कि यहां से ये जीवनरक्षक एंटीबायोटिक दवाएं इलाहाबाद, बनारस व कई अन्य शहरों में सप्लाई की गई थीं। जिसके बाद इलाहाबाद और बनारस में भी जांच के लिए टीम गई।

इलाहाबाद में पकड़ा बड़ा गोलमाल

लखनऊ में निखिल फार्मा के दस्तावेजों के बाद इलाहाबाद के न्यू अग्रवाल केमिस्ट, मेसर्स परख मेडिकल एजेंसीज और आरबी फार्मा के यहां छापे पड़े। जिसमें न्यू अग्रवाल के यहां कोई स्टॉक नहीं मिला। उसने पहले से ही सभी इंजेक्शन बेच दिए थे। वहीं परख मेडिकल के यहां पर 70 हजार से अधिक की दवाएं जब्त की गई। आरबी फार्मा के यहां पर 10 इंजेक्शन का ही डाटा मिला तीनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट शासन को भेज दी गई। जबकि बनारस के मेडिकल स्टोर्स के एड्रेस ही नकली निकले।

क्रिटिकल केयर की दवा

मेरोपेनम यह ब्राड स्पेक्ट्रम हाई क्वालिटी की एंटीबायोटिक है जो क्रिटिकल स्टेज में मरीज को दी जाती है। जैसे बड़े ऑपरेशन के बाद इंफेक्शन होने, वेंटीलेटर पर निमोनिया के मरीज, पेट के गंभीर इंफेक्शन वाले मरीजों या अन्य मरीज जो क्रिटिकल हैं। बता दें कि मेरोपेनम इंजेक्शन इंफेक्टिव होने के साथ ही अत्यधिक महंगा भी है। अलग अलग कंपनियों में इसकी एमआरपी 2200 से लेकर 2700 रुपये की है। यानी एक नकली इंजेक्शन बेचने से सीधे 2700 रुपए का फायदा। ऐसे ही अन्य एंटीबायोटिक दवाएं भी महंगी होने के कारण नकली दवाओं के कारोबारियों की पसंदीदा होती है।

पहले गाजियाबाद में मिली नकली दवाएं

पिछले कुछ सालों से गाजियाबाद और आस पास के इलाकों में एक नकली एंटीबायोटिक दवा सप्लाई करने का मामला भी सामने आया था। जिसे गाजियाबाद की ही एक कंपनी बनाती थी और जांच में उसके 10 से 7 नमूने फेल हो गए थे। एफएसडीए ने उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया था। ये दवा आस-पास के कई राज्यों में भेजी जाती थी।

मार्केट में हर 5वीं दवा नकली

2009 की एक रिपोर्ट की मानें तो तो देश में मौजूद दवाओं में से 20 फीसदी दवाएं नकली हैं। ये दवाएं इतनी खतरनाक है कि बॉडी में कई साइड इफेक्ट भी डालती है और जानलेवा भी हो सकती हैं। ऐसोचैम की 2009 की रिपोर्ट के अनुसार मुताबिक भारत में बनने वाली दवाओं में एक फीसदी से भी कम का प्रयोगशाला में परीक्षण होता है। जिसका फायदा ये नकली दवा कारोबारी उठाते हैं। आंकड़ा ये भी है कि दुनिया में बिकने वाली कुल नकली दवाओं में 50 फीसदी योगदान भारत का है। इसे रोकने के लए उम्र कैद की सजा और 10 लाख का जुर्माना है लेकिन समय से मामलों का निपटारा न होने और प्रशासनिक ढिलाई के कारण धड़ल्ले से कारोबार चलता है।

तो सस्ती होगीं दवाएं

अब ज्यादातर एंटीबायोटिक व अन्य दवाएं इंडिया में ही बनती हैं। इनकी एमआरपी पर कोई कंट्रोल नहीं है। अगर सरकार सख्ती से एमआरपी कंट्रोल करे तो इतनी सस्ती हो जाएंगी कि नकली दवा का मार्केट अपने आप खत्म हो जाएगा। देश में दवाओं के लिहाज से यूपी सबसे बड़ी मंडी हैं क्योंकि यहां से बिहार सहित अन्य राज्यों और नेपाल तक दवाएं जाती हैं।

बरामद हुई थी नकली एंटीबायोटिक

लास्ट ईयर ही लखनऊ में नकली एंटीबायोटिक दवा जिफी पकड़ी गई थी। अलीगंज में स्वयं ड्रग कंट्रोलर एके मल्होत्रा ने छापामार भारी मात्रा में दवा बरामद की थी। मेडिकल स्टोर मालिक ने अमीनाबाद के एक मेडिकल स्टोर से दवा लाने की बात कही थी, लेकिन उसे दवा सप्लाई करने से मना कर दिया। जिसके कारण मामले में आगे कुछ कार्रवाई नहीं हो सकी।

सूचना के बाद छापा मारा गया था जिसमें नकली दवाएं मिली है। आरोपी केमिस्ट्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

-एके मल्होत्रा, ड्रग कंट्रोलर, एफएसडीए