- आवेदन में लगाई गई मार्कशीट पर लिखे नंबर व बोर्ड की साइट पर अपलोड मार्कशीट के नंबर में भारी अंतर

- फर्जीवाड़ा करने वाले स्टूडेंट्स का तैयार कराया जा रहा डाटा

- एडमिशन प्रॉसेस की रफ्तार भी पड़ रहा असर, बढ़ते जा रहे ऐसे मामले

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी के यूजी एडमिशन में फर्जी मार्कशीट के सहारे एडमिशन लेने का मामला सामने आया है। अब एलयू प्रशासन इस तरह का फर्जीवाड़ा कर एडमिशन पाने की कोशिश करने का डाटा तैयार कर रहा है। डाटा तैयार होने के बाद इन सबके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि कुछ समय पहले ऐसे ही फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी, ऐसे में इन पर भी कानूनी कार्रवाई किए जाने की पूरी संभावना है।

केस फ‌र्स्ट- असद जुबैर ने इसी वर्ष यूपी बोर्ड से इंटरमीडियट का एग्जाम पास किया है। उन्होंने एलयू में बीकॉम में एडमिशन के लिए आवेदन किया है। मगर आवेदन के लिए उन्होंने जो इंटर की मार्कशीट लगाई है, वह फर्जी है। असद का रोल नंबर 2006716 है। उसने आवेदन में जो मार्कशीट स्कैन करके लगाई है उस पर उसका टोटल नंबर 500 में से 425 है। हालांकि, जब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मार्कशीट को यूपी बोर्ड से वेरीफाई किया तो पाया की असद का असली नंबर 270 है।

केस टू- बीएससी बायो में एडमिशन के लिए रिजवान अली ने भी आवेदन किया है। रिजवान ने भी इसी साल यूपी बोर्ड से इंटर पास किया है। उसका रोल नंबर 0823224 है। रिजवान ने प्रवेश पाने के लालच में 500 में से 454 अंक बटोरने का फर्जी सर्टिफिकेट लगा रखा है। बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर उसकी मार्कशीट में टोटल नंबर 279 ही हैं।

केस थ्री- बीए में एडमिशन के लिए सत्या किशोर ने आवेदन किया है। उसने भी यूपी बोर्ड से इंटर पास किया है। सत्या का रोल नंबर 0981641 है। उसने आवेदन में जो मार्कशीट इसी रोल नंबर की स्कैन करके लगाई है, उसमें उसका टोटल नंबर 402 है। जबकि, जांच में यूनिवर्सिटी ने पाया की यूपी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर उसका ग्रेड टोटल 227 अंक ही है।

केस फोर- कंचन यादव ने यूपी बोर्ड से इंटर करने के बाद बीएससी बायो में एडमिशन के लिए आवेदन किया है। मगर जांच में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पाया कि कंचन ने जिस रोल नंबर 2311144 की मार्कशीट स्कैन करके लगाई है वह रोल नंबर उसका नहीं, किसी और छात्रा अंजु यादव का है। अंजु ने 500 में से 449 अंक अर्जित किए हैं। वहीं, कंचन ने इसी रोल नंबर की फर्जी मार्कशीट में अपना नंबर 436 दिखाया है।

बीएससी में भरमार

यूजी कोर्स में बीएससी बायो और बीएससी मैथ्स में एडमिशन के लिए जिन कैंडीडेट्स ने आवेदन किया है। उनमें काफी संख्या में फर्जी मार्कशीट का यूज मिल रहा है। स्टूडेंट्स ने अपना रोल नंबर तो सही रखा है। मगर टोटल नंबर में नेट के माध्यम से तैयार फर्जी मार्कशीट लगाकर हेरफेर करने का कारनामा अंजाम दिया है ताकि मेरिट में यूनिवर्सिटी प्रशासन को धोखा दिया जा सके। फर्जी मार्कशीट के मामले में सबसे अधिक संख्या यूपी बोर्ड के स्टूडेंट्स की है। सीबीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स फर्जीवाड़ा करने वालों में नंबर दो के पायदान पर काबिज हैं। इन सभी ने एडमिशन के लिए अपनी मार्कशीट में हेरफेर किया है।

400 से एबव वालों की जांच

फर्जी मार्कशीट के सहारे एडमिशन लेने के मामले का खुलासा होने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। यूनिवर्सिटी प्रशासन एक-एक स्टूडेंट्स की मार्कशीट को काफी बारीकी से चेक करवा रहा है। खासकर, जिन स्टूडेंट्स के मा‌र्क्स 400 से ऊपर हैं। उन सभी स्टूडेंट्स के मार्कशीट का बोर्ड की ओर से जारी मार्कशीट से ऑनलाइन मिलान किया जा रहा है।

वन वीक डीले हुई प्रवेश प्रक्रिया

फर्जी मार्कशीट का मामला सामने आने के कारण यूनिवर्सिटी की एडमिशन प्रक्रिया काफी पीछे हो गई है। एडमिशन प्रक्रिया में लगे अधिकारियों का कहना है कि फर्जी मार्कशीट की जांच के लिए कमोबेश सभी मार्कशीट्स की जांच की जा रही है। ऐसा न किया गया तो ईमानदार स्टूडेंट्स का नुकसान हो जाएगा। ऐसे में एडमिशन प्रॉसेस की रफ्तार पर काफी असर पड़ा है। यूनिवर्सिटी के एडमिशन कोऑर्डिनेटर प्रो। राजकुमार सिंह ने बताया कि फर्जी मार्कशीट के जांच के कारण पूरी एडमिशन प्रक्रिया एक वीक पीछे चल रही है। एक-एक मार्कशीट की जांच करने के कारण हम बीए व बीएससी जैसे मेन कोर्स की कटऑफ नहीं तैयार कर पा रहे हैं।

जिन स्टूडेंट्स ने फर्जी मार्कशीट के सहारे एडमिशन के लिए आवेदन किया है, उनका डाटा तैयार किया जा रहा है। एक बार डाटा तैयार होने के बाद इन सभी को कार्रवाई के लिए वीसी व कुलसचिव को भेज दिया जाएगा।

-प्रो। राज कुमार सिंह

एडमिशन कोऑर्डिनेटर, एलयू।